रिपोर्ट-कमलेश सारडा
MP News: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इस वर्ष के लिए नई अफीम नीति जारी कर दी है। नई अफीम नीति के अनुसार नई अफीम पॉलिसी में गत वर्ष 2023-24 में जिन अफीम लाइसेंस धारी किसानों की फसल में मार्फिन की औसत मात्रा 4.2 प्रति किलोग्राम या उससे अधिक है, उन सभी किसानों को लेसिंग पद्धति के माध्यम से अफीम गोंद प्राप्त करने (लुवाई चिरई) वाला लाइसेंस मिलेगा। ऐसे काश्तकार उन्होंने फसल वर्ष 2023-24 के दौरान पोस्त भूसा उत्पादन के लिए अफीम की खेती की, जिन्होंने तोल केन्द्र पर पोस्त भूसा प्रस्तुत किया तथा जिनकी औसत उपज 900 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या उससे अधिक थी, उनको भी अफीम गोंद प्राप्त करने (लुवाई चिरई) वाला लाइसेंस (MP News) मिलेगा।
इस तरह के किसान भी लाइसेंस के पात्र
ऐसे किसान जिनके लाइसेंस अपील के निपटान हो गया है, वे किसान भी फसल वर्ष 2023-24 के लिए लाइसेंस के पात्र थे, लेकिन उन्होंने लाइसेंस हासिल नहीं किया या लाइसेंस लेने के बाद भी अफीम की खेती नहीं की, वे किसान भी अफीम गोंद प्राप्त करने वाले लाइसेंस के पात्र (MP News) होंगे।
लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने यह व्यवस्था भी
नई नीति के मुताबिक अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाइसेंस के तहत पात्र सभी काश्तकारों को केवल एक भूखण्ड में 0.10 हेक्टेयर का लाइसेंस जारी किया जाएगा। यदि किसान चाहे तो लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने के लिए दूसरों की जमीन को पट्टे पर ले सकते (MP News) हैं।
इन किसानों को CPS पद्धति से मिलेगा लाइसेंस
किसान जिनको फसल वर्ष 1995-96 के बाद से कभी भी लाइसेंस दिया गया था, लेकिन किसी कारण से उन्हें लाइसेंस जारी नहीं किया गया। उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति (CPS Method) से लाइसेंस दिया जाएगा। वे किसान जिनका फसल वर्ष 1995-96 से 1997-98 तक की अवधि में लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था, लेकिन जिन्होंने 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से अधिक न्यूनतम औसत उपज प्रदान की हो, उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा। वर्ष 1995-96 मृतक होने की स्थिति में उनके वैध उत्तराधिकारी भी लायसेंस प्राप्त कर (MP News) सकेंगे।
नई अफीम नीति के तहत यह किसान होंगे पात्र
इसके साथ ही सीपीएस पद्धति के लिए भी नोटीफिकेशन जारी किया गया है। सीपीएस पद्धति, जिसमें लेंसिंग के माध्यम से रस नहीं निकाला जाता, वे किसान पात्र होंगे। जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 के दौरान सीपीएस पद्धति से खेती की और तौल केन्द्र पर प्रति हेक्टेयर 675 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसे की उपज पेश की हो, वे किसान भी पात्र (MP News) होंगे।
चीरा पद्धति से खेती करने वाले किसानों को भी पात्रता
इसी के साथ ही सीपीएस पद्धति के अंतर्गत जिन किसानों ने 675 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से कम उपज दी उनके लायसेंस भी केवल 1 वर्ष के लिए ही रोके गए हैं। उन्हें पुनः सीपीएस पद्धति से खेती करने का मौका मिलेगा। ऐसे काश्तकार जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 में चीरा पद्धति द्वारा खेती की तथा अफीम फसल की औसत 3 किलोग्राम से अधिक और 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से कम प्रदान की है, वे इस वर्ष सीपीएस पद्धति में पात्र (MP News) होंगे।
5 साल के लिए लाइसेंस जारी
सीपीएस पद्धति में भी सभी पात्र किसानों को केवल एक प्लॉट में 0.10 हेक्टेयर का लाइसेंस जारी किया जाएगा। यदि काश्तकार चाहे तो लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने के लिए दूसरों की भूमि को पट्टे पर ले सकता है। जो काश्तकार इस नीति में पहली बार सीपीएस पद्धति के लिए खेती के पात्र हो गए हैं, उन्हें आगामी 5 वर्षों के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे, जो कि फसल वर्ष 2024-25 से जारी होकर फसल वर्ष 2028-29 तक प्रभावी रहेंगे। वहीं मौजूदा लाइसेंस धारियों को ऐसे कागज जमा करवाने की आवश्यकता नहीं होगी, जिसकी जानकारी पहले से ही नारकोटिक्स विभाग के पास (MP News) है।
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नई पॉलिसी से 16 हजार नए किसानों को मिलेगा खेती का मौका
यह पॉलिसी किसान हितैषी है। इस पॉलिसी के कारण लगभग 16 हजार नए किसानों को खेती का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही विभाग ने नवाचार करते हुए लाइसेंस प्रक्रिया को भी ऑनलाइन किया है, जो कि किसानों के हित में है। इस पॉलिसी में किसानों के द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने फिर एक बार किसान हितैषी अफीम पॉलिसी जारी की (MP News) है।
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