हाइलाइट्स
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23 जुलाई को निर्मला सीतारमण पेश करेंगी बजट
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युवाओं को मिल सकता है रोजगार का तोहफा
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22 सालों में बढ़ी है शिक्षित बेरोजगारी की दर
Budget 2024: युवाओं के लिए खुशखबरी है। जल्द ही नौकरी की बहार आने वाली है।
इससे शिक्षित बेरोजगारों को काफी राहत मिलेगी। देश में नौकरियों का पिटारा खुलने से युवाओं को रोजगार मिल सकेगा।
23 जुलाई को आएगा बजट
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारणम (Nirmala Sitharaman) 23 जुलाई को बजट (Budget 2024) पेश करेंगी।
विपक्ष रोजगार के मुद्दे को चुनाव से लेकर सदन तक कई बार उठा चुका है।
ऐसे में इस बजट से उम्मीद की जा रही है कि रोजगार के कई द्वार खुलेंगे।
इन सेक्टर में आएंगे रोजगार
कुछ रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया कि पिछले कुछ सालों में प्राइवेट सेक्टर में जॉब्स की भरमार आई है।
उम्मीद है इस बजट (Budget 2024) में रेलवे, केंद्रीय स्कूल जैसे विभागों में सरकारी नौकरियां के अवसर बन सकते हैं।
इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर जैसे इंफ्रा, मैन्युफैक्चर, आईटी, ग्रीन एनर्जी में भी रोजगार की संभावनाएं बनेंगी।
22 सालों में शिक्षित बेरोजगार बढ़े
India Employment Report 2024 के अनुसार युवा रोजगार में वृद्धि हुई है, लेकिन काम की गुणवत्ता चिंता का विषय बनी हुई है।
युवा रोजगार और अल्परोजगार 2000 और 2019 के बीच बढ़ा, लेकिन महामारी के वर्षों के दौरान इसमें गिरावट आई।
2022 में, कुल बेरोजगार आबादी में बेरोजगार युवाओं की हिस्सेदारी 82.9% थी।
सभी बेरोजगार लोगों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी भी 2000 में 54.2% से बढ़कर 2022 में 65.7% हो गई।
बेरोजगारी की ये है स्थिति
2022 में युवाओं में बेरोजगारी दर माध्यमिक शिक्षा या उच्च शिक्षा पूरी करने वालों (18.4%) के लिए छह गुना अधिक थी और स्नातकों (29.1%) के लिए नौ गुना अधिक थी, जबकि पढ़ या लिख नहीं सकने वाले लोगों (3.4%) के लिए नौ गुना अधिक थी।
यह पुरुषों (17.5%) की तुलना में शिक्षित युवा महिलाओं (21.4%) में अधिक थी, खासकर महिला स्नातकों (34.5%) में, जबकि पुरुषों (26.4%) में यह अधिक थी। शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी दर 2000 में 23.9% से बढ़कर 2019 में 30.8% हो गई, लेकिन 2022 में घटकर 18.4% हो गई।
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रोजगार की गुणवत्ता भी चिंता का विषय
रिपोर्ट के अनुसार अनौपचारिक रोजगार में वृद्धि हुई है। औपचारिक क्षेत्र में लगभग आधी नौकरियां अनौपचारिक प्रकृति की हैं। स्वरोजगार और अवैतनिक पारिवारिक काम में भी वृद्धि हुई है, खासकर महिलाओं के लिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 82% कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में लगे हुए हैं और लगभग 90% अनौपचारिक रूप से कार्यरत हैं। स्वरोजगार रोजगार का प्राथमिक स्रोत बना हुआ है – 2022 में 55.8%।
आकस्मिक और नियमित रोजगार क्रमशः 22.7% और 21.5% है। 2000 और 2019 के बीच स्वरोजगार का हिस्सा लगभग 52% के आसपास स्थिर रहा, जबकि नियमित रोजगार लगभग 10 प्रतिशत अंकों की वृद्धि के साथ 14.2% से 23.8% हो गया।
2022 तक यह उलट गया, स्वरोजगार बढ़कर 55.8% हो गया, जबकि नियमित रोजगार का हिस्सा घटकर 21.5% रह गया। आकस्मिक रोजगार लगातार घटकर 2000 में 33.3% से 2022 में 22.7% हो गया।
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रोजगार के आंदोलनों के बीच एक फैक्ट ये भी
मध्य प्रदेश में रोजगार को लेकर युवा आंदोलनरत है…खासकर शिक्षक भर्ती को लेकर।
इस सबके बीच ग्रामीण क्षेत्रों की श्रम शक्ति को रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में मध्य प्रदेश देश में सबसे अच्छी स्थिति में है।
यहां यह बेरोजगारी दर कुल श्रम शक्ति की 0.8 प्रतिशत है। इसके बाद झारखंड की 0.9 प्रतिशत है।
शहरी बेरोजगारी के मामले में दिल्ली का नाम आगे है। यहां सबसे कम 1.7 प्रतिशत और दूसरे नंबर पर गुजरात में 2.2 प्रतिशत बेरोजगारी है।
ये आंकड़े वित्तीय वर्ष 2022-23 के हैं, जो श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ओर से इसी माह राज्यसभा में प्रस्तुत किए गए थे।