Digital Detective Hiring: आज के जमानें में डिजिटलाइजेशन के साथ-साथ स्कैम्स बढ़ते जा रहे हैं। इतना ही नहीं आजकल सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कई तरह के फेक मैसेज भी वायरल होते हैं।
लेकिन अब केंद्र सरकार द्वारा मोबाइल, हैंडसेट, लैपटॉप और क्लाउड में छिपे डाटा को क्रेक करने के लिए सरकार डिजिटल फॉरेंसिक सर्विस प्रोवाइडर्स की तलाश में है।
दरअसल आज कल के लेटेस्ट अत्याधुनिक मोबाइल हैंडसेट, लैपटॉप और क्लाउड में छिपा डेटा कैक करना और संदेशों के एन्क्रिप्शन समझना जांच एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
केंद्र सरकार को ऐसे लोगों की तलाश है जो पासवर्ड बाइपास कर मोबाइल का डाटा निकलने में सक्षम हों। इसके साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे व्हाट्सएप या टेलीग्राम जैसी सेवाओं के एन्क्रिप्टेड मैसेज पढ़ सकें।
डेटा ट्रांसफर की जांच के लिए बनेगी टीम
इन एक्सपर्ट्स को हायर करने के लिए कम्पटीशन ऑफ़ इंडिया के जरिए टेंडर निकाला गया है। जिसमें कहा गया है कि डिजिटल फॉरेंसिक सर्विस प्रोवाइडर के पास वित्तीय लेनदेन, प्रेजेंटेशन, विभिन्न पक्षों में डेटा आदान-प्रदान की जांच करने के लिए बड़ी टीम होनी चाहिए।
इस टीम में कम से कम 15 प्रोफेशनल होने की बात कही गई है। ये प्रोफेशनल सर्विस प्रोवाइडर डिलीट फाइल्स फिर से क्रिएट कर सकें और मोबाइल ऐप के टेक्स्ट मैसेज, वॉइस नोट्स, कॉल रिकार्ड्स और डाक्यूमेंट्स पढ़ सके।
ये सभी प्रोफेशनल सर्विस प्रोवाइडर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के तहत काम करेंगे। इजराइल और रूस की कंपनियां पहले से ऐसे कामों में सक्षम है।
कौन होते है डिजिटल डिटेक्टिव ?
डिजिटल डिटेक्टिव वे लोग होते हैं जो इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर अपराधों की जांच करते हैं। ये विशेषज्ञ विभिन्न तकनीकी साधनों का उपयोग करके साइबर अपराधों, डेटा चोरी, हैकिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी और अन्य डिजिटल अपराधों की तहकीकात करते हैं।
डिजिटल डिटेक्टिव्स को कंप्यूटर साइंस, साइबर सिक्योरिटी, डेटा एनालिटिक्स और फॉरेंसिक में गहरी जानकारी होती है। वे डिजिटल साक्ष्य जुटाते हैं, उनका विश्लेषण करते हैं, और अपराधियों का पता लगाते हैं।
डिजिटल डिटेक्टिव्स की मदद से साइबर अपराधों को हल करने में पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को काफ़ी मदद मिलती है।
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