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Medical College Fraud
Medical College Fraud CBI Investigation: सीबीआई ने देशभर में मेडिकल कॉलेजों को फर्जी तरीके से मान्यता दिलाने के एक बड़े घोटाले का खुलासा किया है। CBI ने इंडेक्स मेडिकल कॉलेज इंदौर के चेयरमैन सुरेश भदौरिया और यूजीसी के पूर्व चेयरमैन एवं DAVV के पूर्व कुलपति प्रो. डीपी सिंह को आरोपी बनाया है। इस मामले में रावतपुरा सरकार उर्फ रविशंकर महाराज समेत कुल 35 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
रावतपुरा सरकार समेत 35 पर FIR
मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने के फर्जीवाड़े में सीबीआई का लगातार शिकंजा अब कसता जा रहा है। इस मामले में ग्वालियर-चंबल के प्रसिद्ध संत रावतपुरा सरकार उर्फ रविशंकर महाराज के साथ ही 35 नामजद के खिलाफ केस दर्ज है। इन सभी पर करेप्शन के आरोप हैं।
डीपी सिंह को भी बनाया आरोपी
मामले में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) के पूर्व कुलपति डीपी सिंह का नाम भी सामने आया है। इस कांड में वे भी आरोपी हैं। वर्तमान में वे टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के चांसलर हैं। अप्रैल 2024 में टाटा इंस्टीट्यूट में चांसलर बनने से पहले वह यूजीसी के चेयरमैन थे। इससे पहले वह इंदौर के देवी अहिल्या विवि (DAVV) के कुलपति थे। वे बीएचयू के भी कुलपति रह चुके हैं। उन पर आरोपी है कि रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज को एनएमसी की पॉजिटिव रिपोर्ट दिलवाने में उन्होंने भूमिका निभाई। सीबीआई पूरे मामले की गहन जांच कर रही है।
भदौरिया की केंद्र के अफसर से थी गोपनीय जानकारी
सीबीआई ने इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश भदौरिया सहित 35 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि भदौरिया ने घूस लेकर मेडिकल कॉलेजों को अपनी मर्जी से मान्यता दिलवाई। सीबीआई के मुताबिक, भदौरिया की केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में गहरी पकड़ थी और वह फर्जी तरीके से कॉलेजों को मान्यता और रिन्यूअल दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। इसके लिए वह बड़ी रकम वसूलता था।
एफआईआर में मंत्रालय के अधिकारी चंदन कुमार को भी आरोपी ठहराया गया है। वह भदौरिया को एनएमसी निरीक्षण से संबंधित गोपनीय जानकारी देता था, जैसे- कब टीम आएगी, कौन सदस्य होंगे, निरीक्षण की तारीख आदि। 30 जून को केस दर्ज होते ही भदौरिया भूमिगत हो गया है।
रावतपुरी मेडिकल कॉलेज में हुआ फर्जीवाड़ा
सीबीआई ने रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज की जांच शुरू की थी। यहीं से पूरे देश में फैले मेडिकल कॉलेजों के नेटवर्क का खुलासा हुआ। जांच में यह सामने आया कि 40 से ज्यादा कॉलेज इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं। इंडेक्स मेडिकल कॉलेज का नाम भी इसी दौरान सामने आया। एफआईआर में भदौरिया को 25वें नंबर का आरोपी बनाया गया है।
जांच में यह भी पता चला कि एनएमसी से सांठ-गांठ के लिए एक बड़ा दलाल नेटवर्क सक्रिय है। इसमें भदौरिया और रावतपुरा सरकार उर्फ रविशंकर महाराज की साझेदारी थी। दोनों भिंड के लहार के रहने वाले हैं। इंडेक्स ग्रुप के तहत मेडिकल, डेंटल, फार्मेसी, पैरामेडिकल और मैनेजमेंट कॉलेज शामिल हैं, जो मालवांचल यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं। भदौरिया इस यूनिवर्सिटी और मयंक वेलफेयर सोसायटी का संचालन करते हैं।
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भदौरिया पर ये हैं गंभीर आरोप
भदौरिया पर ये आरोप हैं कि वे कॉलेजों के चेयरमैन और डायरेक्टर से 3 से 5 करोड़ रुपए लेकर अनुकूल मान्यता दिलवाते थे, भले ही संस्थान एनएमसी के मानकों पर खरे न उतरते हों। भदौरिया ने कॉलेज में अस्थायी डॉक्टरों की नियुक्ति की और एनएमसी निरीक्षण के दौरान उन्हें स्थायी फैकल्टी बताया। इसके लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम में फिंगरप्रिंट क्लोन कर फर्जी थंब इंप्रेशन बनाए गए और रेगुलर अटेंडेंस दिखाई गई।
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