Bilaspur High Court: हाथियों की बिजली करंट से होने वाली मौतों को लेकर दायर की गई जनहित याचिका में वन विभाग ने अदालत में शपथ पत्र पेश किया। इसमें बताया गया कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी अब भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार हाथियों को बिजली करंट से सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाएगी। इस संबंध में बिजली कंपनी ने आवश्यक निर्देश भी जारी कर दिए हैं।
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इसके बाद, मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश बी. डी. गुरु की डिवीजन बेंच (Bilaspur High Court) ने रायपुर के नितिन सिंघवी द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा करते हुए भारत सरकार की गाइडलाइंस के पालन का आदेश दिया, जिसमें शब्द और मूल भावना दोनों का ध्यान रखा जाएगा।
क्या कहती है भारत सरकार की गाइडलाइंस?
भारत सरकार की 2016 की गाइडलाइंस के अनुसार, हाथियों जैसे वन्य प्राणियों को बिजली करंट से बचाने के लिए विद्युत लाइनों को हाथी की सूंड की पहुंच के अनुसार ऊंचाई पर रखा जाना चाहिए।
एक वयस्क हाथी की लंबाई 20 फीट तक हो सकती है, जब वह अपने पिछले पैरों पर खड़ा होता है और सूंड ऊपर उठाता है। इस गाइडलाइन के तहत, बिजली कंपनी को हाथियों के आवागमन वाले वन क्षेत्र में विद्युत लाइनों की ऊंचाई 20 फीट तक बढ़ानी होगी और विद्युत तारों को कवर्ड कंडक्टर में बदलने या अंडरग्राउंड केबल बिछाने का कार्य करना होगा।
अस्थाई पंप और अवैध विद्युत कनेक्शनों की भी होगी जांच
इसके अलावा, कंपनी झुकी हुई बिजली लाइनों और खंभों को सही करने के साथ-साथ बिजली के खंभों पर 3 से 4 मीटर तक बारबेट वायर लगाएगी ताकि वन्य प्राणी सुरक्षित रह सकें। हाथी विचरण क्षेत्र में, बिजली कंपनी जंगली जानवरों के शिकार के स्थानों और फसलों एवं घरों की सुरक्षा हेतु बनाए गए घेरे में विद्युत फैलाए जाने की नियमित जांच करेगी। अस्थाई पंप और अवैध विद्युत कनेक्शनों की भी जांच की जाएगी।
प्रोटेक्टेड एरिया जैसे नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व, अभ्यारण और हाथी कॉरिडोर में वन विभाग के साथ साल में दो बार संयुक्त सर्वेक्षण किए जाएंगे।
बिजली कंपनी और वन विभाग के अधिकारियों की हुई थी बैठक
26 जून 2024 को अपर मुख्य सचिव, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अध्यक्षता में ऊर्जा विभाग, विद्युत वितरण कंपनी और वन विभाग के अधिकारियों की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि हाथियों को बिजली करंट से बचाने के लिए समय-समय पर जारी गाइडलाइंस का पालन किया जाएगा।
बैठक में निर्देश दिए गए कि ऊर्जा विभाग झुकी हुई 11 केवी, 33 केवी और एलटी लाइनों को कसने, उनकी ऊंचाई बढ़ाने और वन क्षेत्र में भूमिगत बिजली लाइनों या इंसुलेटेड केबल लगाने का कार्य करेगा।
सितंबर में प्रधान मुख्य संरक्षण (वन्य प्राणी) की बैठक में बिजली कंपनी ने बताया कि पंप कनेक्शन के लिए केबल लगाने का कार्य जारी है। बेयर कंडक्टर को कवर्ड कंडक्टर में बदलने का कार्य चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। वन विभाग ने 2333 लूज पॉइंट्स को चिन्हित किया है, जहां सुधार कार्य मार्च 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।
एक-दूसरे पर खर्च वहन करने की जिम्मेदारी डाल रहे दोनों विभाग
बिजली कंपनी ने हाथियों की बिजली करंट से हो रही मृत्यु के मुद्दे पर 2018 में सिंघवी द्वारा दायर की गई पहली जनहित याचिका (Bilaspur High Court) के संदर्भ में वन विभाग से 1674 करोड़ रुपये की मांग की थी। इस राशि का उपयोग लगभग 8500 किलोमीटर लंबी 33 केवी, 11 केवी और निम्न दाब वाली लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने, बेयर कंडक्टर के बजाय कवर्ड कंडक्टर और एबीसी केबल लगाने के लिए किया जाना था।
इसके बाद से दोनों विभाग एक-दूसरे पर खर्च वहन करने की जिम्मेदारी डालते रहे हैं। इस स्थिति को लेकर 2021 में सिंघवी ने फिर से जनहित याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने मांग की कि खर्चे की जिम्मेदारी किसके ऊपर होगी, यह स्पष्ट किया जाए।