Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए डीपीआई से पूछा है कि कितने लेक्चरर्स को नियमों के खिलाफ बीईओ के पद पर नियुक्त किया गया है। कोर्ट ने यह भी जानकारी मांगी कि राज्य में कितने प्राचार्य और एबीईओ हैं, जिन्हें बीईओ के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। यह सभी जानकारियां डीपीआई को शपथ पत्र के साथ कोर्ट में प्रस्तुत करनी होंगी।
दयाल सिंह ने 2022 में हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
कबीरधाम जिले के निवासी दयाल सिंह ने 2022 में हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) में याचिका दायर की थी। उन्होंने बताया कि वे व्याख्याता हैं, जबकि उनके जूनियर संजय कुमार जायसवाल को प्रभारी विकासखंड शिक्षाधिकारी नियुक्त किया गया है। दयाल सिंह ने शिक्षा विभाग में इस संबंध में आवेदन दिया था, लेकिन अधिकारियों ने उस पर विचार नहीं किया।
हाईकोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के दिए थे निर्देश
सुनवाई के बाद, हाईकोर्ट ने दिसंबर 2022 में शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी किया और याचिकाकर्ता के आवेदन पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के निर्देश दिए थे। इसके बाद, जब अभ्यावेदन का निराकरण नहीं हुआ, तो याचिकाकर्ता ने न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर की।
कितने व्याख्याताओं को बीईओ का कार्य सौंपा गया: कोर्ट
कोर्ट ने व्याख्याता ई संवर्ग से पूछा कि जूनियर एलबी संवर्ग के व्याख्याता को विकास खंड शिक्षा अधिकारी क्यों नियुक्त किया गया। संचालक लोक शिक्षण संचालनालय को यह जानकारी शपथ पत्र के साथ देने के लिए कहा गया है कि कितने व्याख्याताओं को बीईओ का कार्य सौंपा गया है, जबकि भर्ती नियमों के अनुसार उन्हें ऐसा नहीं किया जा सकता।
30 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
हाईकोर्ट ने पूछा कि राज्य में कुल कितने प्राचार्य और सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी हैं, जिन्हें बीईओ बनाया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षा देने वाले व्याख्याताओं की क्षमता का उपयोग राज्य की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने में क्यों नहीं किया जा रहा। अवमानना याचिका की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 30 सितंबर की तारीख तय की है।
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