Car Run On Salt : देशभर में पेट्रोल-डीजल के आसमान छूते दामों से आम जनता काफी परेशान तो है ही वही महंगाई भी लोगों की जेब पर काफी असर डाल रही है, ऐसे में अगर आपकी कार में डालने वाले पेट्रोल-डीजल की टेंशन खत्म हो जाए तो कैसा रहेगा? आपकी कार नमक से चलने लगे तो आपकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। हालांकि इन दिनों इलेक्ट्रिक कारों का जमाना आ गया है, लेकिन इसके लिए बैटरी में डलने वाला लीथियम सबसे ज्यादा जरूरी है, और इसका भंडार सीमित है। हालांकि हाल ही में भारत के जम्मू-कश्मीर में इसका भंडार मिला है।
वैज्ञानिकों की माने तो लिथियम की जगह नमक और रेत भी एनर्जी का स्रोत बन सकते है। इन विकल्पों के विकसित होने में भले ही थोड़ा वक्त लगे, लेकिन नमक, लीथियम का सस्ता और टिकाऊ विकल्प बन सकता है। इस संभावना पर दुनिया की कई कंपनियों ने काम करना शुरू कर दिया है। एक केमेस्ट्री के सीनियर के अनुसार सोडियम और लीथियम में समान गुण होते हैं। ये दोनों ही धरती पर पाई जाने वाली क्षारीय धातुएं हैं। दोनों के बाहरी आवरण में एक इलेक्ट्रॉन होता है। दोनों ऑक्साइड नहीं बनातीं और समान तरह की प्रतिक्रियाएं करती हैं। लिथियम की तुलना में सोडियम बेहद सस्ता होता है।
सोडियम से बनेगी बैट्री?
लिथियम की बैटरियों को सोडियम से बनी बैटरी से बेहतर बताया जाता है। लेकिन लिथियम की डिमांड ज्यादा है और भंडार कम। ऐसे में सोडियम की बैटरी बेहद सस्ता विकल्प हो सकती है। करीब 10 साल पहले जहां इसकी कीमत करीब 4500 डॉलर प्रति टन के करीब थी, वहीं आज इसकी कीमत 80,000 डॉलर प्रति टन के भी पार पहुंच गई है।
कई कंपनियां कर रही काम
आपको बता दें कि कई सारी कंपनियां सोडियम आयन बैटरी बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। हालांकि लीथियम की तुलना में सोडियम आयन बैटरियां कम ऊर्जा स्टोर कर सकती हैं। यानी आपको लीथियम आयन की बैटरी के बराबद ऊर्जा पाने के लिए उसकी तुलना में काफी भरी बैटरी की जरूरत होगी। लीथियम आयन बैटरी को हजारों बार चार्ज-डिस्चार्ज किया जा सकता है, जबकि सोडियम-आयन बैटरियों में इतना पोटेंशियल नहीं है। फेराडियन का दावा है कि उसकी बैटरियां प्रति किलो 160 वॉट-आवर की एनर्जी स्टोर कर सकती है। वहीं दूसरी ओर अन्य कंपनियां भी इस दिशा में फोकस बढ़ा रही हैं।