नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बाद से ठंडे पड़े सेकेंड हैंड कारों के बाजार एक बार फिर गुलजार दिख रहे हैं। नवंबर महीने के पहले हफ्ते में बाजारों में खूब रौनक देखने को मिली है। वहीं बीते 4 महीने में सेकेंड हैंड कारों की मांग में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। लंबे समय से बंद यह मार्केट एक बार फिर अपने पुराने रूप में लौट आया है। सेकेंड हैंड कारों की मांग बढ़ने से इन कारों के दामों में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। बीते 4 महीनों की बात करें तो यूज्ड कारों की कीमतों में 25 प्रतिशत तक का इजाफा देखने को मिलने लगा है। इसकी वजह है बीते महीनों में इन कारों की मांग एक बार फिर पटरी पर लौट आना। साथ ही ग्लोबल चिप शॉर्टेज (Global Chip Shortage) के बाद बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियां भी प्रोडक्शन शॉर्टेज से जूझ रही हैं। ऐसे में सेकेंड हैंड कारों की मांग तेजी से बढ़ी है। दरअसल चिप शॉर्टेज की वजह से टाटा मोटर्स और मारुति सुजुकी जैसी कई कंपनियां भी प्रोडक्शन के लिए कुछ परेशान दिख रही हैं। ऐसे में सेकेंड हैंड कारें ग्राहकों को अपनी तरफ खींच रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चिप शॉर्टेज के कारण सेकेंड हैंड कारों की बिक्री बढ़ी है। बाजार के जानकारों का मानना है कि कंपनी की नई कारों के लिए ग्राहकों को लंबे समय का इंतजार करना पड़ रहा है।
कारों की तेजी से बढ़ रही मांग
इसलिए भी ग्राहकों की रुचि सेकेंड हैंड कारों की तरफ बढ़ रही है। पिछले 4 महीने में सेकेंड हैंड कारों की बिक्री 25 प्रतिशत बढ़ी है। इस कारण ही इन कारों का दाम भी बढ़ाया जा रहा है। सेकेंड हैंड कारों का व्यापार करने वाले व्यापारियों ने बताया कि सीएनजी से चलने वाली गाड़ियों की कीमतों में भी 20 से 25 प्रतिशत की तेजी आई है। इतना ही नहीं बाजार के जानकारों का मानना है कि अगले कुछ महीने में कारों की कीमत और बढ़ाई जा सकती है। बता दें कि बीते करीब एक साल से ज्यादा समय के लिए कोरोना काल में ऑटोमोबाइल बाजार काफी सुस्त रहा है। अब कोरोना महामारी की तीसरी संभावित लहर टलने के बाद बाजार एक बार फिर खिलने लगे हैं। ऐसे में ऑटोमोबाइल बाजार भी एक बार फिर पटरी पर लौट आया है। ऐसे में कारों की मांग भी तेजी से बढ़ती हुई दिख रही है। इसके साथ ही इलेक्ट्रिक कारों का भी बाजार में स्वागत किया जा रहा है। ग्राहकों को ये कारें भी खूब पसंद आ रही हैं।