Canadian PM Trudeau Resigns: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो(PM Justin Trudeau ) ने सोमवार शाम को अचानक प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी का नेता पद भी छोड़ दिया। इस्तीफा देने से पहले ट्रूडो ने देश को संबोधित किया। कहा, मैं अगले चुनाव के लिए अच्छा विकल्प नहीं हो सकता हूं।
ट्रूडो ने यह भी कहा
ट्रूडो ने कहा कि ‘यदि में घर में लड़ाई लड़नी पड़ेगी तो आगामी चुनाव में सबसे बेहतर विकल्प नहीं बन सकूंगा।’ उन्होंने खुद को एक अच्छा योद्धा बताते हुए कहा, उन्हें कनाडाई लोगों की बहुत परवाह है। साथ ही बोले कि वे हमेशा कनाडाई लोगों की भलाई के लिए काम करते रहेंगे।’
नए नेता के चुनाव तक पद पर बने रहेंगे ट्रूडो
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, PM ट्रूडो प्रधानमंत्री के पद पर तब तक बने रहेंगे जब तक पार्टी का नया नेता नहीं चुन लिया जाता। ट्रूडो का कार्यकाल अक्टूबर 2025 तक है। हालांकि इस्तीफे के बाद जल्द चुनाव हो सकते हैं। वे नवंबर 2015 से 10 साल तक देश के पीएम रहे।
ट्रूडो को क्यों देना पड़ा इस्तीफा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रूडो पर उनकी लिबरल पार्टी के सांसदों द्वारा कई महीने से पद छोड़ने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। इस कारण ट्रूडो अकेले पड़ते जा रहे थे।
कनाडा की डिप्टी PM और वित्तमंत्री क्रिस्टिया ने भी सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। क्रिस्टिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बताया कि प्रधानमंत्री PM जस्टिन ट्रूडो ने पिछले शुक्रवार को उनसे वित्तमंत्री का पद छोड़कर दूसरे मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा था। इससे नाराज होकर क्रिस्टिया ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने का निर्णय किया है।
सांसद बना रहे थे इस्तीफे का दबाव
वित्तमंत्री ने लिखा कि पिछले कुछ समय से ट्रूडो और वे फैसलों को लेकर एकमत नहीं हो पा रहे थे। यह सब तब तो रहा था क्रिस्टिया लंबे समय से ट्रूडो की सबसे प्रभावशाली और वफादार मंत्री मानी जाती थीं। हाल ही में ट्रूडों के नागरिकों को मुफ्त में 15 हजार रुपए देने पर क्रिस्टिया ने असहमति जताई थी। इसके अलावा, पार्टी के 152 सांसद में से ज्यादातर उनके इस्तीफे का दबाव बना रहे थे।
ट्रूडो की लिबरल पार्टी के 24 से सांसदों ने अक्टूबर में उनसे सार्वजनिक तौर पर इस्तीफा मांगा था। इसके अलावा पर्सनल मीटिंग में भी कई लोग उनसे पद छोड़ने की मांग कर चुके हैं।
ट्रूडो की लिबरल पार्टी के लिए चुनौती
ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी के पास कोई ऐसा नेता नहीं है, जिसकी आम जनता में पकड़ हो। हालांकि, विदेश मंत्री मेलानी जोली , डोमिनिक लेब्लांक, मार्क कानी के नाम इस रेस में आगे हैं। लिबरल पार्टी में शीर्ष नेता को चुनने के लिए विशेष सम्मेलन बुलाया जाता है। इस प्रोसेस में कई महीने लग जाते हैं।
लिबरल पार्टी को विश्वास खोने का खतरा
संसद का सत्र 27 जनवरी को शुरू होना था, लेकिन ट्रूडो ने इसे मार्च तक के लिए बढ़ा दिया है। सत्र के शुरू होते ही लिबरल पार्टी को विश्वास मत का सामना करना पड़ सकता है। लिबरल पार्टी पहले से अल्पमत में है। कार्यकाल के आखिरी वक्त में उन्हें अन्य दलों का समर्थन मिलने की उम्मीद भी बहुत कम है। ऐसे में लिबरल सरकार मार्च में ही विश्वास मत खो सकती है।
ट्रूडो की पार्टी के पास मौजूदा परिस्थिति में बहुमत नहीं है। अभी कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी के 153 सांसद हैं। कनाडा के हाउस में कॉमन्स में कुल 338 सीटें हैं। इसमें बहुमत का आंकड़ा 170 है। पिछले साल ट्रूडो सरकार की सहयोगी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने अपने 25 सांसदों के साथ समर्थन वापस ले लिया था। यहां बता दें, NDP खालिस्तानी समर्थक कनाडाई सिख सांसद जगमीत सिंह की पार्टी है।
गठबंधन टूटने के कारण से ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। हालांकि 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी का समर्थन मिल गया था। इस वजह से ट्रूडो ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया था। ट्रूडो की विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी के पास 120 सीटें हैं।
NDP ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का किया फैसला
हालांकि न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह ने PM ट्रूडो के खिलाफ फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। जगमीत सिंह ने पिछले महीने कहा था कि वह अगले महीने अल्पमत वाली लिबरल सरकार को गिराने के लिए कदम उठाएंगे ताकि देश में फिर से चुनाव हो सकें। कनाडा में 27 जनवरी से संसदीय कार्यवाही शुरू होगी।
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ट्रूडो के खिलाफ नाराजगी की एक वजह यह भी
लगातार बढ़ती मंहगाई के वजह से ट्रूडो के खिलाफ लोगों में नाराजगी है। इसके अलावा पिछले कुछ समय से कनाडा में कट्टरपंथी ताकतों के पनपने, अप्रवासियों की बढ़ती संख्या और कोविड-19 के बाद बने हालातों के चलते ट्रूडो को राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट में ट्रूडो को नापसंद करने वालों की संख्या 65% हो गई है। कनाडा में इसी साल चुनाव होना हैं।
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