अक्सर लोग सोचते हैं कि अगर सोने, चांदी या किसी रत्न की अंगूठी पहन ली जाए, तो जीवन की परेशानियां खत्म हो जाती हैं और भाग्य चमक उठता है। लेकिन संत प्रेमानंद महाराज का मानना है कि किसी भी धातु में भाग्य बदलने की ताकत नहीं होती, बल्कि असली शक्ति कर्म और भक्ति में होती है। प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि अगर अंगूठियों में इतनी शक्ति होती, तो जो व्यक्ति इन्हें बनाता है, वही सबसे सुखी होता। वो बताते हैं कि लोग ज्यादातर भय या लालच में अंगूठियां पहन लेते हैं, यह सोचकर कि इससे ग्रह-नक्षत्र ठीक हो जाएंगे। लेकिन सच्चाई यह है कि अंगूठी केवल एक धातु या पत्थर है, यह आपके कर्मों का फल नहीं बदल सकती।
महाराज जी ने एक उदाहरण दिया कि एक व्यक्ति मेरे पास आया और बोला कि उसकी साढ़ेसाती चल रही है। उसने घोड़े की नाल की अंगूठी पहन रखी थी और कहा कि इससे साढ़ेसाती नहीं आएगी। अब सोचो, अगर घोड़े की नाल से साढ़ेसाती उतरती, तो बेचारे घोड़े की तो कब की उतर जाती! वो तो दिनभर दौड़ता है, उसकी तो खुद दुर्गति हो रही है। यह बात लोगों के अंधविश्वास पर सीधा प्रहार करती है।
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