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Burhanpur Farmers Protest
हाइलाइट्स
केला फसल बीमा को लेकर हंगामा
किसानों की अर्धनग्न रैली से बवाल
ASP सहित कई पुलिसकर्मी घायल
Burhanpur Farmers Protest: बुरहानपुर में गुरुवार, 23 अक्टूबर को केला फसल बीमा योजना में अनियमितताओं को लेकर किसानों ने कलेक्टर कार्यालय में जमकर हंगामा किया। नाराज किसान कलेक्ट्रेट परिसर में धरने पर बैठ गए। हालात बिगड़ने पर पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसमें धक्का-मुक्की के दौरान ASP समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। मौके पर पहुंचे एसपी देवेंद्र पाटीदार ने स्थिति संभाली और किसानों से बातचीत की।
सड़क पर निकाली रैली
बुरहानपुर में किसानों ने फसल बीमा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग को लेकर अर्धनग्न होकर विरोध प्रदर्शन किया। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किसान सड़कों पर उतरे और रैली निकाली। कांग्रेस ने भी इस आंदोलन का समर्थन करते हुए अर्धनग्न रैली में हिस्सा लिया। सभी गुरुवार दोपहर में सिंधी बस्ती में जमा हुए और विरोध प्रदर्शन किया।
इसके बाद किसानों की कलेक्टोरेट कार्यालय में घुसने के दौरान पुलिस से झड़प हो गई। जमकर हुई धक्का-मुक्की में कलेक्टर कार्यालय के प्रवेश द्वार के कांच फूट गए।
एक किसान के समर्थन में आए लोग
यह विरोध प्रदर्शन खकनार के किसान किशोर वासनकर से प्रेरित है, जिन्होंने केले की फसल के सही दाम न मिलने और बीमा न होने से नाराज होकर शर्ट और चप्पल पहनना छोड़ दिया था। वह पिछले कुछ दिनों से अर्धनग्न ही रह रहे हैं, और जिले के किसानों का उन्हें व्यापक समर्थन मिल रहा है।
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बुरहानपुर में कलेक्टोरेट के सामने केला किसान प्रदर्शन करते हुए।[/caption]
केला फसल की मांग के लिए प्रदर्शन
गुरुवार को भारतीय किसान संघ के साथ यह आंदोलन बैरियर फाटे पर शुरू हुआ, जहां से बड़ी संख्या में किसान दोपहर एक बजे बुरहानपुर पहुंचे। इससे पहले, बुधवार, 22 अक्टूबर शाम को किसानों ने कलेक्टर हर्ष सिंह से मुलाकात कर उन्हें आंदोलन की जानकारी दी थी।
किसानों ने कहा कि बुरहानपुर जिले में केला उत्पादकों को मौसम आधारित फसल बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है, जबकि मध्य प्रदेश की सीमा से महज 10 किलोमीटर दूर रावेर में वहां की सरकार यह लाभ दे रही है। उन्होंने जिला प्रशासन के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों से अवगत कराया।
...फिर भी फसल बीमा का लाभ नहीं
भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष संतोष महाजन ने बताया कि संघ 2019 से केले की फसल का बीमा कराने की मांग कर रहा है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बुरहानपुर जिला 'एक जिला एक उत्पाद' योजना के तहत केले के लिए चिह्नित है, फिर भी फसल बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है। इसलिए किसानों ने फसल बीमा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग को लेकर यह प्रदर्शन किया।
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केला किसानों के प्रतिनिधि अपनी परेशानी बताते हुए।[/caption]
मांग कैसे धीरे-धीरे ले रही आंदोलन का स्वरूप
खकनार के किसान किशोर वासनकर ने दिवाली से दो दिन पहले अपनी शर्ट और चप्पल उतार दी थी। उनका कहना है कि जब तक किसानों को केले का फसल बीमा और एमएसपी पर फसल खरीद की सुविधा नहीं मिलती तब तक वे कपड़े और चप्पल नहीं पहनेंगे। उन्होंने यह प्रण किसानों की बदहाली को उजागर करने के लिए लिया है। वासनकर ने कहा, पूरे भारत में किसानों को फसल बीमा का लाभ मिल रहा है, लेकिन बुरहानपुर जिले में 2018 से केले की फसल का बीमा बंद कर दिया गया है। इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मांग को लेकर तहसीदार को सौंप चुके ज्ञापन
वासनकर ने बताया कि दिवाली जैसे त्योहार पर भी किसानों के पास अपने और बच्चों के लिए नए कपड़े और पटाखे खरीदने के पैसे नहीं रहे। इसे लेकर उन्होंने मंगलवार, 21 अक्टूबर को भी खकनार में रैली निकालकर तहसीलदार जितेंद्र अलावा को ज्ञापन सौंपा था। जिसमें सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने और केले की फसल का बीमा बहाल करने की मांग की गई थी।
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सीएसपी गौरव पाटिल।[/caption]
सांसद और नेपानगर विधायक उठा चुके मामला
केला फसल पर बीमा लाभ की मांग को लेकर खंडवा संसदीय सीट से सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल लोकसभा में दो बार तो वहीं नेपानगर विधायक मंजू दादू एक बार मप्र विधानसभा में यह मुद्दा उठा चुकी हैं। अब तक इस मामले में कोई फैसला नहीं हो सका है।
जानें, किसानों को क्या है नुकसान
दरअसल, केला फसल पर किसानों को बीमा प्रीमियम का लाभ नहीं मिलता। किसानों का कहना है कि हर साल प्राकृतिक आपदा से केला फसल प्रभावित होती है।
मप्र सरकार को ओर से फसल खराब होने पर राजस्व विभाग के आरबीसी नियम 6-4 के तहत मुआवजा दिया जाता है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं होता, क्योंकि इससे फसल की लागत भी नहीं निकल पाती। जबकि हर साल किसानों को सीएमवी वायरस, आंधी, तूफान, बारिश के दौरान नुकसान उठाना पड़ता है।
इस साल भी जिले में तीन बार प्राकृतिक आपदा के कारण अलग-अलग गांवों में केला फसल खराब हुई थी, जिसका मुआवजा उतना नहीं मिलता। अगर मौसम आधारित फसल बीमा लागू हो तो किसानों को इसका उचित और पूरा लाभ मिले सकेगा।
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