Advertisment

Buddha Purnima 2024: क्या है गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण की कहानी, जब बन गया था जिंदगी का आखिरी दिन!

Buddha Purnima 2024: पूरी दुनिया में भारत की पहचान गौतम बुद्ध से, बौद्धों के लिए तीर्थ स्थल है तथागत की यह धरती

author-image
BP Shrivastava
Buddha Purnima 2024: क्या है गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण की कहानी, जब बन गया था जिंदगी का आखिरी दिन!

हाइलाइट्स

  • बुद्ध पूर्णिमा आज मनाई जा रही
  • गौतम बुद्ध ने पढ़ाया सत्य, अहिंसा, प्रेम... का पाठ
  • बुद्ध के अंतिम दिन की कहानी दर्दनाक है
Advertisment

Buddha Purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा आज ( 23 मई, गुरुवार ) पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाई जा रही है।

बुद्ध भारत के उन अनमोल रत्नों में शामिल हैं, जिन्हें पूरे विश्व में सम्मान मिलता है। बुद्ध भारत के ऐसे संत रहे हैं जिन्हें भगवान का दर्जा हासिल है।

ढाई हजार साल बाद भी उनके दिए संदेशों को दुनिया मान रही है।  तो ऐसे में चलिए जानते है कि गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण की कहानी क्या है , जब बन गया था जिंदगी का आखिरी दिन...

Advertisment

बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग

publive-image

यही वजह है कि दुनिया के अनेक देश बौद्ध धर्म को मानते हैं। बुद्ध के दिए अष्टांगिक मार्ग की शिक्षा ने धर्म को एक नया आयाम दिया।

श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, चीन जैसे देशों में बुद्ध को मानने वाले नागरिक हर साल तथागत की इस पावन धरा को नमन करने आते हैं।

बुद्ध को मानते हैं भगवान विष्णु का नौवां अवतार

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गौतम बुद्ध (Buddha Purnima 2024) को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है।

Advertisment

गौतम बुद्ध ने संसार को सत्य, अहिंसा, प्रेम, दयालुता, करुणा, सहानुभूति और परोपकार का पाठ पढ़ाया था।

भारत में लोग इस दिन बिहार के बोधगया जाकर पूजा-पाठ करते हैं और बोधिवृक्ष की पूजा करते हैं। इस दिन इसकी पूजा करने का विशेष धार्मिक महत्‍व है।

ऐसा माना गया है कि भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति इसी स्थान पर हुई थी।

Advertisment

यहां बता दें गौतम बुद्ध (Buddha Purnima 2024) जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था और बाद में उन्होंने राजपाट छोड़कर वैराग्य धारण किया।

मोदी भी करते हैं विश्व मंच पर बुद्ध का जिक्र

publive-image

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब विश्व मंच पर जाते हैं, तो वे खुद भी इस बात का जिक्र करते हैं और कहते हैं मैं बुद्ध की पावन धरती से आया हूं।

गौतम बुद्ध कौन थे?

बौद्ध धर्म एक प्राचीन भारतीय धर्म है। बौद्ध धर्म का इतिहास गौतम बुद्ध (Buddha Purnima 2024) से आरम्भ होता है।

2600 वर्ष पहले इसकी स्थापना भगवान बुद्ध ने की थी। गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व कपिलवस्तु के लुंबिनी नामक स्थान ( वर्तमान नेपाल ) में हुआ था।

उनके पिता का नाम शुद्धोधन था। जो शाक्य गण के मुखिया थे। उनकी माता का नाम मायादेवी था। जिनकी मृत्यु गौतम बुद्ध (Buddha Purnima 2024) के जन्म के सातवें दिन हो गई थी।

इसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया था।

भगवान बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था। निरंजना नदी के तट पर स्थित उरूवेला (बोधगया) में पीपल वृक्ष के नीचे वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।

इसके बाद उन्होंने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया।

publive-image

यह भी जानें...

बताते हैं बौद्ध धर्म की उत्पति ईसाई और इस्लाम धर्म से पहले हुई थी।

गौतम बुद्ध (Buddha Purnima 2024) को एशिया का ज्योति पुंज कहा जाता है।

इनका 16 साल की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ था। इनके पुत्र का नाम राहुल था।

बुद्ध के महापरिनिर्वाण की कहानी

publive-image

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने गौतम बुद्ध (Buddha Purnima 2024) के अंतिम समय और उनकी मृत्यु के बारे में बताया कि गौतम बुद्ध की मृत्यु जहरीला खाना खाने से हुई थी।

हालांकि, उसे खाने के बाद गौतम बुद्ध को उसमें जहर होने का एहसास हो गया था।

इसलिए उन्होंने मेजबान से वो खाना अपने शिष्यों को परोसने से रोक दिया था और शिष्यों को भी वह खाना ना खाने की सलाह दी थी।

इसके बाद गौतम बुद्ध (Buddha Purnima 2024) ने मेजबान से कहा था, 'आपका खाना बहुत स्वादिष्ट है। मैं वो खा चुका हूं,

लेकिन मुझे नहीं लगता कि मेरे शिष्य इस खाने को पचा पाएंगे। इसलिए कृपया उन्हें यह खाना ना परोसें। इस तरह से गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों को उस जहरीले खाने से बचा लिया था।

जहरीला भोजन करने के बाद गौतम बुद्ध (Buddha Purnima 2024) की तबियत बिगड़ने लगी और वो वहीं जमीन पर लेट गए।

ऐसे में उनका अंतिम संदेश सुनने के लिए वहां मौजूद सभी शिष्य उनके पास पहुंच गए थे।

ये खबर भी पढ़ें: हीटवेव पर कार्यशाला: मई के अंत तक जारी रहेगी हीटवेव, इससे बचने क्या करें और क्या न करें, पर भी हुई विस्तार से चर्चा

जहर के असर के कारण गौतम बुद्ध की शारीरिक शक्ति क्षीण हो चुकी थी। तो उसी स्थान पर लेटे गए और उपदेश देना शुरू कर दिया।

गौतम बुद्ध (Buddha Purnima 2024) की इस मुद्रा (लेटे हुए पोज) को आज 'महापरिनिर्वाण' के नाम से जाना जाता है।

बौद्ध धर्म के लोगों के लिए यह मुद्रा अत्यंत पवित्र हो चुकी है। लेटे हुए गौतम बुद्ध की प्रतिमा को उनके अंतिम संदेश की वजह से विशेष स्थान मिला है।

अब गौतम बुद्ध की तरह कई बौद्ध इस मुद्रा की नकल करते हुए लेटने लगे हैं।

Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें