सुकमा। केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने सोमवार को कहा कि अपने चार सहकर्मियों की गोली मारकर जान लेने और तीन अन्य को घायल करने वाला जवान कथित तौर पर ‘तनाव’ से गुजर रहा था। जिस वजह से अचानक उसने मानसिक संतुलन खो दिया। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के बस्तर क्षेत्र में केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 50वीं बटालियन के एक शिविर में जवान रितेश रंजन ने अपने साथियों पर एके-47 राइफल से गोली चला दी थी, जिससे चार जवानों की मौत हो गई है जबकि तीन अन्य घायल हो गए। अधिकारियों और जवानों ने मौके पर पहुंच आरोपी जवान को किसी तरह काबू में किया।
गुस्से में आकर चलाई गोली
सीआरपीएफ के एक प्रवक्ता ने कहा, स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और फिर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने घटना के कारण का पता लगाने और उपचारात्मक उपाय के सुझाव देने के लिए जांच के आदेश दिए हैं।’’ उन्होंने कहा, प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि किसी तनाव के कारण कॉन्स्टेबल रितेश रंजन ने अचानक मनोवैज्ञानिक संतुलन खो दिया और गुस्से में आकर अपने सहकर्मियों पर गोलियां चला दीं। उन्होंने बताया कि सीआरपीएफ के उप महानिरीक्षक (डीआईजी), 50वीं बटालियन के कमांडेंट और अन्य वरिष्ठ अधिकारी घटना स्थल पर मौजूद हैं। प्रवक्ता ने कहा, सभी घायलों को आवश्यक उपचार मुहैया कराया गया है। जिन घायलों को अतिरिक्त उपचार की आवश्यकता है उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाने की व्यवस्था की जा रही है।वहीं,एक अन्य अधिकारी ने बताया कि आरोपी जवान को सुबह चार बजे संतरी पोस्ट पर ड्यूटी पर जाना था। लेकिन तैयार होने के तुरंत बाद ही उसने अपने साथी कर्मियों पर गोलियां चला दी, जो सो रहे थे।
25 से अधिक बटालियन तैनात
यह जानकारी शिविर में मौजूद अन्य जवानों ने दी है। घटना के बारे में अधिक जानकारी और पिछले कुछ दिनों की घटनाओं का पता सीआरपीएफ द्वारा शुरू की गई ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ (सीओआई) के तहत लगाया जा रहा है। नक्सल विरोधी अभियानों के लिए राज्य में 25 से अधिक बटालियन तैनात करने वाले अर्धसैनिक बल ने हाल ही में अपनी सभी टुकड़ियों को एक पत्र भेजकर उन कर्मियों की पहचान करने को कहा था, जो अवसाद या तनाव में हैं और उन्हें आत्महत्या करने से रोकने तथा किसी साथी पर हमला करने से रोकने के लिए, उन्हें उचित परामर्श देने को कहा था। ऐसे कर्मियों की हथियार तक आसान पहुंच सुरक्षा बल के लिए एक बड़ी चुनौती है, जो या तो आत्महत्या कर लेते हैं या अपने सहकर्मियों पर हमला कर देते हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए कई विकल्प अपनाए गए, लेकिन फिर भी कोई उचित समाधान अभी तक नहीं मिल पाया है।