नई दिल्ली। देशभर में भले ही कोरोना के मामले थमने लगे हो लेकिन लोगों की परेशानियां बढ़ते ही जा रही है। कोरोना मामलों में कमी आने के बाद भी कई अन्य तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में आए ब्लैक फंगस का खतरा अभी थमा नहीं है। पूरे देश में ब्लैक फंगस के कई मामले देखने को मिल चुके है। ब्लैक फंगस का खतरा कोरोना से ठीक हुए मरीजों में ही दिखाई दे रहा है। कई राज्यों में ब्लैक फंगस ने मरीजों की जान तक लेली है। ब्लैक फंगस अधिकतर मरीजों की आंख और दिमाग पर हमला करता है। लेकिन देश के कुछ राज्यों में ब्लैक फंगस के ऐसे भी मामले सामने आ रहे हैं जो मरीज के आंख और दिमाग के अलावा उनके जबड़ों पर भी हमला कर रहा है। विशेषज्ञों द्वारा बताया जा रहा है कि यह ब्लैक फंगस का नया रूप है।
करोना से स्वास्थ हुए मरीजों को ज्यादा खतरा
डॉक्टरों द्वारा बताया जा रहा है कि करोना से स्वास्थ हुए मरीज ही ब्लैक फंगस के इस नए वेरिएंट की चपेट में आ रहे हैं। यह वेरिएंट मरीजों के आंख दिमाग के साथ अब जबड़ों पर भी हमला कर रहा है। ब्लैक फंगस का इलाज लंबे समय तक चलता है। इस बीमारी से ग्रस्त हुए मरीज के इलाज में तकरीबन 20 दिन लग जाते हैं।
इन राज्यों में ब्लैक फंगस के नए वेरिएंट का खतरा
देश में अब तक कुल 42, 000 ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से ज्यादातर मरीजों के दिमाग और आंख में ही संक्रमण हुए है। हालही में देश के कुछ राज्यों में ब्लैक फंगस के नए वेरिएंट का खतरा भी देखने को मिला है। यह वेरिएंट मरीज के आंख और दिमाग के अलावा जबड़ों में भी संक्रमण कर रहा है। यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में ब्लैक फंगस के नए मामले सामने आए हैं।
इसलिए जबड़ों में हो रहा है संक्रमण
विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस पहले नाक से सायनेस मे फैलता है। जिसके बाद आंख और दिमाग भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। वहीं आंख और दिमाग के बाद इसका संक्रमण जबड़ों में शुरू होता है। आंख,दिमाग और जबड़े एक दूसरे से जुड़े होते हैं। इस वजह से ही ब्लैक फंगस जबड़ों पर हमला करता है। डॉक्टर्स के मुताबिक यदि इस बीमारी का समय रहते इलाज नहीं किया जाए तो इसका खतरा इतना बढ़ जाता है कि जबड़े निकालने तक की नौबत आ जाती है। वहीं इस बीमारी का खतरा युवाओं को ज्यादा है।