Advertisment

Kala Motiyabind: अनुवांशिक बीमारी है ग्लॉकोमा, सिंगापुर, अमेरिका समेत देशभर के 600 स्पेशलिस्ट बताएंगे इसकी आसान पहचान

Kala Motiyabind 34th Annual Conference: ग्लॉकोमा सोसाइटी ऑफ इंडिया का 34वां वार्षिक सम्मेलन "ग्लूकोताल" का आयोजन 12 से 14 सितंबर तक भोपाल के ताज होटल में होने जा रहा है।

author-image
sanjay warude
Glaucoma tal 34th annual conference

Glaucoma tal 34th annual conference

Kala Motiyabind 34th Annual Conference: ग्लॉकोमा सोसाइटी ऑफ इंडिया का 34वां वार्षिक सम्मेलन "ग्लूकोताल" का आयोजन 12 से 14 सितंबर तक भोपाल के ताज होटल में होने जा रहा है। जहां 12 से 14 सितंबर तक सिंगापुर, अमेरिका समेत देशभर के 600 से अधिक स्पेशलिस्ट ग्लॉकोमा पर किए अपने रिसर्च साझा करेंगे।

Advertisment

https://twitter.com/BansalNews_/status/1966146160441307187

ग्लूकोताल की आयोजक सेक्रेटरी व बंसल हॉस्पिटल की डॉ विनिता रमानी के मुताबिक, ग्लॉकोमा को काला मोतियाबिंद भी कहा जाता है। यह बीमारी अंधत्व का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। काला मोतियाबिंद होने पर किसी प्रकार का दर्द नहीं होता। यह धीरे-धीरे और बिना किसी शुरुआती लक्षण के आंखों की रोशनी को कम करती जाती है। इस बीमारी में आंखों का दबाव बढ़ जाता है, जिससे देखने वाली नसें कमजोर हो जाती हैं और दृष्टि प्रभावित होती है। अक्सर, मरीजों को इसका पता तब चलता है जब उनकी आंखों की रोशनी काफी कम हो चुकी होती है। ऐसे में इसकी पहचान के अभाव में कई बार लोग अपनी आंखों की रोशनी खो बैठते है। अब आंख की रोशन जाने से पहले उनकी एआई पद्धति से पहचान आसान हो चुकी है।

MIGS तकनीक से उपचार संभव

बंसल हॉस्पिटल की डॉ विनिता रमानी ने बताया कि इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ग्लॉकोमा के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसके नवीनतम उपचारों पर चर्चा करना है। सम्मेलन में लेजर उपचार और मिनिमल इनवेसिव ग्लॉकोमा सर्जरी (MIGS) जैसी नई और प्रभावी तकनीकों पर भी चर्चा होगी। डॉ विनिता रमानी ने बताया कि सम्मेलन से देशभर के सामान्य नेत्र रोग विशेषज्ञों को भी समय पर जांच और उपचार के महत्व के बारे में जागरूक करना है।

ग्लॉकोमा लक्षण और उपचार

glaucoma

ग्लॉकोमा, जिसे आम भाषा में काला पानी या काला मोतियाबिंद भी कहा जाता है, आंखों की एक गंभीर बीमारी है। इसमें आंखों का दबाव बढ़ जाता है, जिससे देखने वाली नसें धीरे-धीरे कमजोर हो जाती हैं और मरीज की दृष्टि कम होने लगती है।

Advertisment

आंखों का सामान्य दबाव और माप

आंखों का सामान्य दबाव 10-20 mmHg (पारे का मिलीमीटर) होता है। यदि यह दबाव 21 mmHg से ऊपर चला जाता है, तो यह ग्लॉकोमा का एक संभावित लक्षण हो सकता है। आंखों का दबाव मापने के लिए कई मशीनें उपलब्ध हैं, जिनमें सबसे विश्वसनीय मशीन एप्लेनेशन टोनोमीटर है।

क्या हैं ग्लॉकोमा के लक्षण ?

ग्लॉकोमा को 'साइलेंट किलर' (बेआवाज हमलावर) भी कहा जाता है, क्योंकि इसके शुरुआती चरण में कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते। मरीज को अक्सर इस बीमारी का पता नियमित आंखों की जाँच के दौरान ही चलता है।

glaucoma aiims

भारत में ग्लॉकोमा की स्थिति

ग्लॉकोमा, मोतियाबिंद के बाद अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा कारण है, जिसकी रोकथाम संभव है। यह एक अनुवांशिक रोग है। यदि परिवार में किसी को ग्लॉकोमा है, तो उनके भाई-बहन, माता-पिता और बच्चों में यह रोग होने की संभावना 7 से 10 गुना ज्यादा होती है। 40 साल से अधिक उम्र के लोगों में लगभग 4% अंधेपन का कारण ग्लॉकोमा ही होता है।

Advertisment

किन लोगों को है ग्लॉकोमा का खतरा?

  • कुछ लोगों में ग्लॉकोमा विकसित होने का खतरा अधिक होता है:
  • बढ़ा हुआ आंखों का दबाव
  • बढ़ती उम्र
  • आनुवंशिक इतिहास वाले लोग
  • ब्लडप्रेशर और मधुमेह के रोगी
  • मायोपिया (निकट दृष्टि दोष)
  • आंखों में लगी चोट या ऑपरेशन के बाद
  • स्टेरॉयड जैसी दवाओं के इस्तेमाल से।
हमें XFacebookWhatsAppInstagram पर फॉलो करें। हमारे यू-ट्यूब चैनल Bansal News MPCG को सब्सक्राइब करें।

MP RTO HSRP New Rules: हाई सिक्योरिटी प्लेट नहीं लगवाई तो डुप्लीकेट आरसी, वाहन ट्रांसफर होगा न फिटनेस, परमिट मिलेगा !

Advertisment

MP RTO HSRP New Rules

MP RTO HSRP New Rules: मध्यप्रदेश में अब हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाने को लेकर परिवहन विभाग ने सख्ती रवैया अपना लिया है। विभाग ने एचएसआरपी को अनिवार्य कर दिया है। एचएसआरपी नहीं लगवाने पर डुप्लीकेट आरसी, वाहन ट्रांसफर होगा न फिटनेस, परमिट सर्टिफिकेट समेत अन्य सेवाएं मिलेगी। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

hindi news bhopal news MP news Kala Motiyabind Glaucoma Glaucoma Tal Glaucoma 34th Annual Conference
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें