Aaj Ka Mudda: 2023 चुनाव को लेकर दोनों ही दल दबाव का दांव आजमाते नजर आ रहे हैं। अरुण यादव ने बयान देकर सियासी हलकों में हलचल मचा दी तो वहीं, बीजेपी ने अरुण यादव को ये सलाह दे डाली कि कुछ समय और इंतजार करो। क्या है इस पूरी सियासत और माइंड गेम के मायने।
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पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव के इस दावे से मध्यप्रदेश की सियासत का पारा चरम पर पहुंच गया। उन्होंने ना सिर्फ ये दावा किया कि सिंधिया के कई करीबी नेता कांग्रेस के संपर्क में हैं। बल्कि, अरुण यादव ये भी कहते नजर आए कि सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में रहेंगे।
अरुण यादव ने दावा तो कर दिया, लेकिन उनका ये बयान पार्टी लाइन के ही अपोजिट नजर आया। कई मौकों पर दिग्विजय सिंह कह चुके हैं कि बेईमानों के लिए कांग्रेस में कोई जगह नहीं है तो कमलनाथ भी कह चुके हैं कि पार्टी में बगावत करने वालों के लिए दरवाजे बंद है। 12 जून को जबलपुर आई प्रियंका गांधी भी इसी सुर में बात कहती नजर आईं थीं।
इधर बीजेपी भी सियासत के इस माइंडगेम को बखूबी समझ रही है। बीजेपी ने इसको लेकर कहा कि कांग्रेस में नेता एक-दूसरे को ही बात को काट रहे हैं तो वहीं बीजेपी ने भी दावा किया कि कई लोग उनके भी संपर्क में हैं।
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जाहिर है कि 2020 की उठापटक से 2023 चुनाव के नियम बदले हैं। दोनों ही दल मैदान से लेकर बंद कमरे की राजनीति तक में एक दूसरे पर दबाव बनाने में जुटे हैं तो साथ ही एक-दूसरे को चौंकाने में भी दोनों पार्टियां कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी।
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