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Bhopal: जब सोने का रेट 50 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम से ज्यादा हो तो लाजमी है कि आपको शुद्ध सोना ही मिले।सोना लेना और उसकी शुद्धता को पहचानना कठिन काम है।ऐसे में सरकारें जनता कि भलाई के लिए खुद गारंटी लेती हैं कि जनता को उपभोक्ता होने के नाते शुद्ध चीज मिले।हॉलमार्क(BIS hallmark) सोने की शुद्धता का पैमाना होता है। इसके तहत हर गोल्ड ज्वैलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) अपने मार्क यानि कि चिन्ह के द्वारा शुद्धता की गारंटी देता है।
गोल्ड हॉलमार्किंग(BIS hallmark) सोने की शुद्धता का प्रमाण होती है।जब आप सोना लेते हैं तो उसमें लगाया गया ये चिन्ह यानि कि हॉलमार्किंग यह सुनिश्चित करती है कि जो सोना वे खरीद रहे हैं वह ठीक वैसी ही शुद्धता है जैसा कि हॉलमार्क में बताया गया है।और इस काम को करता है बीएसआई।BIS सोने की शुद्धता और सुंदरता के प्रमाण पत्र पर मुहर लगाता है, जिसे हॉलमार्किंग कहा जाता है। सोने पर हॉलमार्किंग से पता चलता है कि आभूषण बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सोना शुद्धता के अंतरराष्ट्रीय मानकों का कितना पालन करता है।
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किस श्रेणी के सोने के लिए हॉलमार्किंग-BIS hallmark
भारतीय मानक ब्यूरो की वेबसाइट के मुताबिक, 6 शुद्धता श्रेणियों, जिसमें 14 कैरेट, 18 कैरेट, 20 कैरेट, 22 कैरेट, 23 कैरेट और 24 कैरेट के लिए सोने की हॉलमार्किंग की अनुमति है।यानि प्रयास करिए की आप जब भी सोना ले इन्हीं श्रेणियों में से किसी का लें और ज्वेलरी शॉप में हालमार्किंग के लिए जरूर पूछें।
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हॉलमार्किंग के निशान में क्या होता है?
सोने के किसी गहने की हॉलमार्किंग(BIS hallmark) करते समय उस पर तीन जानकारियां दर्ज की जाती हैं।और ये जानकारियां इसलिए दी जाती हैं कि आप कहीं भी किसी अच्छी सोने की दुकान या सोने की शुद्धता जांचने की लैब में जाकर आसानी से अपना सोना चेक करवा सकें।और गलत जानकारी होने पर जिस दुकान ने आप को गलत सोना दिया है उस पर मुकदमा कर सकें।
1-BIS का लोगो
2-प्योरिटी का ग्रेड
3-छ:(6) अंकों का अल्फान्यूमरिक कोड जिसे हॉलमार्क यूनीक आइडेंटीफिकेशन (Hallmark Unique Identification – HUID) भी कहते हैं।
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सोने की हॉलमार्किंग क्यों की जाती है?
एक आम ग्राहक आमतौर पर गहने को देखकर यह अंदाजा नहीं लगा सकता कि उसमें किस शुद्धता का सोना इस्तेमाल किया गया है। ऐसे में उसके ठगे जाने का खतरा हमेशा बना रहता है। ग्राहकों को इसी जोखिम से बचाने के लिए सोने की हॉलमार्किंग शुरू की गई। ताकि ग्राहकों को कोई भी मिलावटी या कम शुद्धता वाले सोने के गहने बेचकर ठग न सके। साथ ही इससे ज्वैलर और ग्राहक के बीच सोने की क्वॉलिटी को लेकर भरोसा भी बढ़ता है।
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क्या है BIS?
BIS एकमात्र एजेंसी है, जिसे भारत सरकार द्वारा सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग(BIS hallmark) के लिए प्रमाणन योजना संचालित करने के लिए मान्यता मिली हुई है। लेकिन इस पूरी कवायद से ग्राहकों को क्या फायदा होने वाला है। तो बात ये है कि हॉलमार्किंग का सबसे ज्यादा फायदा ग्राहकों को होने वाला है। इससे ज्वेलर्स के फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगा।
ज्वैलर्स बिना हॉलमार्क वाली गोल्ड ज्वेलरी को ग्राहक को नहीं बेच सकते, लेकिन ग्राहक अपनी बिना हॉलमार्क वाली पुरानी ज्वैलरी को अभी भी ज्वैलर को वैसे ही बेच सकता है, जैसे कि पहले बेचता था। यानी उसे घर में रखी अपनी बिना हॉलमार्क वाली ज्वैलरी को हॉलमार्क कराने की टेंशन नहीं लेनी है। हालांकि ग्राहक खुद से अपनी ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग नहीं करा सकता। क्योंकि पुरानी गोल्ड ज्वैलरी, ज्वैलर के लिए एक तरह से रॉ मैटेरियल होती है।
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