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Bilaspur Highcourt News: निजी मेडिकल कॉलेजों की 5.5 लाख फीस पर सवाल, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ के निजी मेडिकल कॉलेजों से बिना हॉस्टल और ट्रांसपोर्ट सुविधा दिए ₹5.5 लाख से अधिक फीस वसूली पर सख्ती दिखाई है।

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Shashank Kumar
CG High Court

CG High Court

हाइलाइट्स  

  • हाईकोर्ट ने मांगा कॉलेजों से जवाब

  • 5.5 लाख फीस पर सवाल उठे

  • छात्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई

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Bilaspur Highcourt News: छत्तीसगढ़ के निजी मेडिकल कॉलेजों (Private Medical Colleges) की फीस संरचना को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। छात्रों से सालाना साढ़े 5 लाख रुपए से अधिक फीस वसूली जा रही है, जबकि इसमें हॉस्टल (Hostel) और ट्रांसपोर्टेशन (Transportation) की सुविधा शामिल नहीं है। इस मामले में दाखिल एक जनहित याचिका पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने सभी मेडिकल कॉलेजों और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

मेडिकल छात्रा ने उठाई आवाज, हाईकोर्ट में याचिका

प्रतीक्षा जांगड़े नामक छात्रा ने अधिवक्ता हमीदा सिद्दिकी के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की। याचिका में कहा गया है कि कई निजी मेडिकल कॉलेज छात्रों से करीब 5.5 लाख रुपए सालाना फीस ले रहे हैं, जबकि हॉस्टल और ट्रांसपोर्ट जैसी सुविधाएं अलग से वसूली जा रही हैं।

याचिका में दलील दी गई कि यह प्रथा छत्तीसगढ़ प्राइवेट कमर्शियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स (Admission & Fees Fixation) Rules, 2008 की धारा 32 का उल्लंघन है। इस धारा के अनुसार हॉस्टल और ट्रांसपोर्टेशन पूरी तरह वैकल्पिक (Optional) सेवाएं हैं और इन्हें अनिवार्य शुल्क में शामिल नहीं किया जा सकता।

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कोर्ट ने कॉलेजों और सरकार से मांगा जवाब

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस इंस्टीट्यूट्स गुरु की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य के सभी निजी मेडिकल कॉलेजों समेत अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने राज्य सरकार को भी निर्देश दिया कि कॉलेजों को नोटिस की जानकारी दी जाए ताकि वे तय समय सीमा में अपना पक्ष रख सकें।

हाईकोर्ट ने कहा कि छात्रों से अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालने के मामले में पारदर्शिता जरूरी है। यदि फीस नियमों के विपरीत है तो इसे ठीक करना सरकार और संस्थानों की जिम्मेदारी है।

फीस विवाद से छात्रों और अभिभावकों में नाराजगी

छात्रों और अभिभावकों का कहना है कि पहले से ही मेडिकल एजुकेशन (Medical Education) बेहद महंगी है। ऐसे में हॉस्टल और ट्रांसपोर्ट को अलग रखते हुए भी 5.5 लाख से ज्यादा फीस वसूलना अनुचित है। कई परिवारों के लिए यह बड़ा आर्थिक बोझ साबित हो रहा है।

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अक्टूबर के पहले सप्ताह में अगली सुनवाई

प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर के पहले सप्ताह में तय की है। तब तक कॉलेजों और राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करना होगा। इस फैसले से हजारों छात्रों और अभिभावकों को राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि यदि कोर्ट ने इसे नियम-विरुद्ध माना, तो फीस संरचना में बड़ा बदलाव हो सकता है।

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