Bilaspur High Court DEO Case: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) रहे डॉ. अनिल तिवारी को राहत देने से मना कर दिया है। डॉ. तिवारी ने छह महीने में अपने ट्रांसफर और सहायक संचालक पद पर नियुक्ति के खिलाफ हाईकोर्ट (High Court) में याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने यह भी कहा
साथ ही कोर्ट ने DEO को ट्रांसफर कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है और शासन को कहा है कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई ना की जाए। इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश रविंद्र कुमार अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई।
दरअसल, शिक्षा विभाग ने बीते 10 जुलाई को जिला शिक्षा अधिकारियों के ट्रांसफर का आदेश जारी किया था। इस आदेश के तहत बिलासपुर के तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. अनिल तिवारी को उनके पद से हटाकर संभागीय संयुक्त संचालक, शिक्षा कार्यालय बिलासपुर में सहायक संचालक बना दिया। उनकी जगह कोटा विकासखंड के शिक्षा अधिकारी विजय कुमार टांडे को बिलासपुर का नया DEO नियुक्त किया गया।
इस ट्रांसफर आदेश को डॉ. तिवारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और इसके खिलाफ याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता ने कहा- जूनियर को बनाया DEO
याचिकाकर्ता डॉ. तिवारी की तरफ से तर्क दिया गया कि वरिष्ठता सूची में उनका नाम 237वें क्रम पर है। जबकि, विजय टांडे का नाम 330वें क्रम पर है। इसके बाद भी जूनियर को बिलासपुर में DEO बना दिया गया है। याचिका में यह भी बताया कि टांडे के खिलाफ रिश्वत लेने समेत कई गंभीर शिकायतें दर्ज हैं, जिसकी जांच रिपोर्ट भी आ चुकी है। इसके बावजूद उन्हें पोस्टिंग दी गई है।
ट्रांसफर कमेटी में दिया है आवेदन
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एसपी काले ने तर्क दिया कि तबादला प्रशासनिक आदेश के तहत किया गया है। दोनों अधिकारियों को उनके नए पद पर कार्यभार भी सौंपा जा चुका है।
शासन 3 हफ्ते में सुनवाई कर आदेश दे
इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही ट्रांसफर कमेटी के समक्ष अपना आवेदन पेश कर चुका है। ऐसे में कोर्ट इस स्तर पर मेरिट में हस्तक्षेप नहीं करेगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कमेटी 3 हफ्तों में सुनवाई कर आदेश पारित करे। आदेश मिलने के बाद याचिकाकर्ता आगे कानूनी उपाय करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
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