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CG High Court
Bilaspur High Court News: बिलासपुर हाई कोर्ट (Bilaspur High Court) ने सूदखोरी (illegal money lending) के आरोपों में घिरे रायपुर के चर्चित तोमर बंधुओं (Tomar Brothers Raipur) को एक अहम अंतरिम राहत (interim relief) दी है। प्रशासन द्वारा उनके मकान को तोड़ने (demolition action) की तैयारी पर कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है और स्पष्ट किया है कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया (legal procedure) के इस प्रकार की कोई भी कार्यवाही (arbitrary action) न्याय संगत नहीं मानी जा सकती।
तोमर बंधुओं के दफ्तर पर चला था बुलडोजर
रायपुर में तोमर बंधुओं पर आरोप है कि उन्होंने सूदखोरी के जरिए अवैध संपत्ति (illegal assets) बनाई है। इसी आरोप के तहत प्रशासन ने उनके चल-अचल संपत्तियों (immovable and movable properties) को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की थी और रविवार को उनके निवास स्थल में स्थित कार्यालय पर बुलडोजर चला दिया गया। प्रशासन का यह भी दावा है कि यह संपत्तियां अवैध कमाई (black money property) से अर्जित की गई थीं, इसलिए उन्हें नष्ट करना कानून सम्मत (legally justified) है।
अधिवक्ताओं ने दी दलील, बताया कार्यवाही अवैध और मनमानी
तोमर बंधुओं की ओर से हाई कोर्ट में पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद वर्मा और वरिष्ठ अधिवक्ता सजल गुप्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया कि यह कार्रवाई बिना किसी पूर्व सूचना (prior notice) और न्यायिक आदेश (judicial order) के की गई है। इससे न्यायिक सिद्धांतों (judicial principles) और प्राकृतिक न्याय (natural justice) का खुला उल्लंघन हुआ है। वकीलों की यह दलील कोर्ट को भी संतोषजनक लगी और इसी के आधार पर अंतरिम रोक (stay order) लगाई गई।
कोर्ट ने कहा- “प्रशासन भी कानून से ऊपर नहीं”
जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की सिंगल बेंच ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट कहा कि प्रशासन चाहे जितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, वह कानून के अधीन (subject to law) है। किसी भी मकान को तोड़ने के लिए वैध कारण (valid reason) और प्रक्रिया जरूरी होती है। बिना सक्षम आदेश (authorized order) के की गई कार्रवाई “मनमानी” मानी जाएगी, जो अस्वीकार्य है।
फिलहाल राहत, लेकिन अंतिम निर्णय अब भी लंबित
हाई कोर्ट का यह फैसला केवल एक अंतरिम राहत है। कोर्ट ने जिला प्रशासन (district administration) को नोटिस जारी करते हुए जवाब-तलब किया है। अगली सुनवाई में दोनों पक्षों को सुना जाएगा और तभी अंतिम निर्णय (final judgment) लिया जाएगा। तब तक मकान गिराने की कार्रवाई पर पूर्ण रोक (stay on demolition) लागू रहेगी।
जनता के लिए सवाल, क्या प्रशासन ने की जल्दबाज़ी?
इस मामले ने एक नई बहस छेड़ दी है - क्या प्रशासन कानून से ऊपर जाकर कार्यवाही कर रहा है? या क्या यह भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ सख्त कदम है? यह सवाल आम जनता (public opinion) के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, और इसकी हर अपडेट को लोग गूगल न्यूज़ (Google News) और डिस्कवर (Google Discover) पर सर्च कर रहे हैं।
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FAQs:
Q1: हाई कोर्ट ने तोमर बंधुओं को क्या राहत दी है?
उत्तर: बिलासपुर हाई कोर्ट ने प्रशासन द्वारा तोमर बंधुओं के मकान को तोड़ने की कार्यवाही पर अंतरिम रोक (interim stay order) लगा दी है और कहा है कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जा सकता।
Q2: प्रशासन ने तोमर बंधुओं पर क्या आरोप लगाए हैं?
उत्तर: प्रशासन का आरोप है कि तोमर बंधुओं ने सूदखोरी (illegal money lending) के जरिए अवैध संपत्ति (illegal property) बनाई है, और उनकी संपत्तियों को जब्त (seized) करने व ध्वस्त (demolish) करने की कार्यवाही की जा रही थी।
Q3: हाई कोर्ट ने प्रशासन की कार्रवाई को कैसे देखा?
उत्तर: कोर्ट ने कहा कि प्रशासन भी कानून से ऊपर नहीं है और बिना सक्षम आदेश या नोटिस के मकान तोड़ना “मनमानी” कार्यवाही मानी जाएगी, जो स्वीकार्य नहीं है।
Q4: क्या यह फैसला अंतिम है या आगे भी सुनवाई होगी?
उत्तर: यह केवल अंतरिम राहत है। हाई कोर्ट ने प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है और अंतिम फैसला आगामी सुनवाई के बाद ही होगा। तब तक कोई भी तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं हो सकती।
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