Bilaspur High Court On IIT NIT: आईआईटी और एनआईटी में एडमिशन के नियमों में बदलाव के खिलाफ दायर याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि प्रवेश नीति और मापदंड तय करना केंद्र सरकार का अधिकार है, और छात्र छूट के लिए दावा नहीं कर सकते हैं। छूट देना या न देना सरकार का नीतिगत निर्णय है। इस याचिका को सऊदी अरब में रहने वाले कई छात्रों ने दायर किया था।
याचिका में छात्रों ने रखी थी ये मांग
याचिकाकर्ता छात्रों ने तर्क दिया था कि वे डीएएसए (डासा) योजना के तहत एनआईटी, आईआईटी और अन्य संस्थानों में प्रवेश के लिए पात्र हैं, जो विदेशी छात्रों को सीधे प्रवेश प्रदान करती है। हालांकि, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा शैक्षणिक योग्यता के मापदंड में बदलाव के कारण, वे अब प्रवेश प्रक्रिया में भाग लेने में असमर्थ होंगे। याचिकाकर्ता छात्रों ने तर्क दिया कि स्नातक कोर्स में एडमिशन के लिए पूर्व में निर्धारित 60% अंकों की आवश्यकता को अब बढ़ाकर 75% कर दिया गया है और इसे अनिवार्य शर्त बना दिया गया है। छात्रों ने हाईकोर्ट से केंद्र सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करने और उन्हें प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति देने के लिए आदेश जारी करने की मांग की थी।
60 से बढ़ाकर 75 प्रतिशत नम्बर अनिवार्य
शिक्षा मंत्रालय ने 2001-02 में डासा योजना शुरू की, जो विदेशी नागरिकों, भारतीय मूल के विदेश में रहने वाले अप्रवासी भारतीयों और एनआरआई को 66 प्रमुख तकनीकी शिक्षा संस्थानों में प्रवेश की अनुमति देती है। एनआईटी रायपुर को 2024-25 के लिए प्रवेश प्रक्रिया का जिम्मा सौंपा गया है। 30 जनवरी 2024 को जारी अधिसूचना में डासा योजना के तहत प्रवेश के लिए निर्धारित अंकों में बदलाव किया गया। एनआईटी रायपुर ने कोर्ट को बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण 2020-21 से 2023-24 तक कक्षा 12वीं के लिए अंकों में छूट दी गई थी, लेकिन 2024-25 से कोई छूट नहीं दी जा रही है। विशेषज्ञों और कोर कमेटी से विचार विमर्श के बाद कक्षा 12वीं में 75 प्रतिशत अंक की अर्हता तय की गई है।