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Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने इस नगर पंचायत परिषद को भंग करने का दिया निर्देश, जानें क्या है पूरा मामला?

Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने इस नगर पंचायत परिषद को भंग करने का दिया निर्देश, जानें क्या है पूरा मामला?

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Harsh Verma
Bilaspur High Court

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मरवाही नगर पंचायत की राज्य सरकार से मनोनित परिषद को भंग करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि मरवाही, कुम्हारी और लोहारी ग्राम पंचायतों के चुने हुए जनप्रतिनिधियों से एक महीने के भीतर नई परिषद का गठन किया जाए।

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हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने समिति गठन की प्रक्रिया में त्रुटि होने के कारण 27 जून को जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया है। साथ ही, कोर्ट ने निर्देश दिया कि नई परिषद् का गठन एक महीने के भीतर किया जाए। जब तक नई समिति का गठन नहीं होता, तब तक वर्तमान समिति कार्य करती रहेगी।

तीन ग्राम पंचायतों को मिलाकर नगर पंचायत का गठन

मरवाही को नगर पंचायत बनाने की अधिसूचना जारी, स्थानीय लोगों में खुशी का

बता दें कि राज्य सरकार ने मरवाही, कुम्हारी और लोहारी ग्राम पंचायतों को मिलाकर मरवाही नगर पंचायत का गठन किया है। सरकार ने इसके लिए राजपत्र में अधिसूचना जारी कर दी है। भाजपा नेता किशन ठाकुर को नगर पंचायत का अध्यक्ष बनाया गया है और आठ अन्य सदस्यों को मनोनीत किया गया है।

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हालांकि, तीनों ग्राम पंचायतों के सरपंचों को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। सरकार के इस फैसले से मरवाही नगर पंचायत में नई परिषद के गठन का रास्ता साफ हुआ है। लेकिन सरपंचों को बाहर रखने से विवाद भी खड़ा हो सकता है।

पूर्व सरपंच प्रियदर्शिनी नहरेल ने हाईकोर्ट में याचिका की दायर 

मरवाही ग्राम पंचायत की पूर्व सरपंच प्रियदर्शिनी नहरेल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने नगर पंचायत के गठन को चुनौती दी थी। याचिका में उन्होंने नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव, गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के कलेक्टर, नवनियुक्त अध्यक्ष और आठ पार्षदों सहित कुल 11 लोगों को पक्षकार बनाया था। यह याचिका मरवाही नगर पंचायत के गठन को लेकर विवाद को दर्शाती है।

हाईकोर्ट ने सुनाया ये फैसला

हाईकोर्ट की जस्टिस पार्थ प्रीतम साहू की बेंच ने मरवाही नगर पंचायत मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि नगर पंचायत के गठन में त्रुटि हुई थी, इसलिए 27 जून की अधिसूचना को रद्द किया जाता है।

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इसके साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि नई परिषद् का गठन एक महीने के भीतर किया जाए। तब तक वर्तमान समिति कार्य करती रहेगी।

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