Advertisment

CG High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के निलंबन अवधि को माना जाएगा ड्यूटी का हिस्सा

CG Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों के निलंबन की अवधि को अब ड्यूटी का हिस्सा माना जाएगा। पढ़ें पूरी खबर।

author-image
Shashank Kumar
Chhattisgarh (CG) Bilaspur High Court

Chhattisgarh (CG) Bilaspur High Court

CG Bilaspur High Court:बिलासपुर हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के पक्ष में अहम फैसला सुनाया है। वन विभाग के एक कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने स्पष्ट किया कि निलंबन की अवधि को ड्यूटी का हिस्सा माना जाएगा। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने राज्य शासन के आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें निलंबन अवधि को ड्यूटी का हिस्सा न मानते हुए वेतन की शत-प्रतिशत रिकवरी का आदेश जारी किया गया था।

Advertisment

याचिकाकर्ता ने वन विभाग के फैसले को दी थी चुनौती

रायगढ़ वन मंडल में कार्यरत फॉरेस्टर दिनेश सिंह राजपूत ने वन विभाग के आदेश को अधिवक्ता संदीप दुबे और आलोक चंद्रा के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने उनके निलंबन की अवधि को ड्यूटी का हिस्सा न मानते हुए 312 दिनों की सैलरी रिकवरी का निर्देश दिया, जो कि अन्य समान मामलों में नहीं किया गया था।

हाई कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला

हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के समान मामलों में दिए गए फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि निलंबन की अवधि को कर्तव्य की अवधि माना जाएगा। राज्य सरकार के फैसले को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता और सभी को समान न्याय मिलना चाहिए।

क्या है पूरा मामला?

याचिकाकर्ता दिनेश सिंह राजपूत 02 जनवरी 2015 से 02 जुलाई 2019 तक एतमानगर रेंज के पोंडी सब-रेंज में कार्यरत थे। उन पर तथ्य छिपाने और गुमराह करने के आरोप में 02 जुलाई 2019 से निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, 08 मई 2020 को मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर वन वृत्त ने उनके निलंबन आदेश को रद्द कर दिया और उन्हें कटघोरा रेंज में विशेष ड्यूटी पर पदस्थ कर दिया गया।

Advertisment

ये भी पढ़ें:  CG Board Exam:सरगुजा में छात्र के जगह पर स्वीपर ने दिया 5वीं बोर्ड एग्जाम, वीडियो वायरल! DEO ने कार्रवाई का दिया निर्देश

सरकार का आदेश था भेदभावपूर्ण

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया कि उनके अलावा अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी इसी तरह के आरोप थे, लेकिन उन्हें कम दंड दिया गया। पंकज कुमार खैरवार (बीट गार्ड, पोंड़ी), प्रीतम पुरैन (बीट गार्ड, तानाखार) और अजय कुमार साय (वनपाल) को सिर्फ सैलरी रिकवरी और एक वेतन वृद्धि रोकने का दंड दिया गया। जबकि दिनेश सिंह राजपूत की सैलरी की 100% रिकवरी और तीन वेतन वृद्धि रोकने का आदेश दिया गया था।

हाई कोर्ट ने किया भेदभावपूर्ण कार्रवाई को खारिज

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार का यह आदेश भेदभावपूर्ण था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि समान मामलों में भिन्न-भिन्न दंड देना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है।

Advertisment

ये भी पढ़ें:  Chhattisgarh Teacher Transfer 2025: प्राचार्य प्रमोशन के बाद बनेगी 3 केटेगरी, जानें पोस्टिंग की पूरी प्रक्रिया

Bilaspur High Court Latest Decision छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट न्यूज़ 2025 Chhattisgarh Employees Suspension News सरकारी कर्मचारी निलंबन आदेश Forest Department Suspension Case Bilaspur High Court Latest Judgment Chhattisgarh Government Employees Rights Chhattisgarh Civil Service Rules
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें