हाइलाइट्स
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फर्जी भर्ती में 29 कर्मचारी बर्खास्त
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हाईकोर्ट जांच के बाद कार्रवाई
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सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की
Bilaspur Cooperative Bank Scam: बिलासपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक (District Cooperative Central Bank Bilaspur) में हुई फर्जी भर्तियों (illegal recruitment scam) का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। बैंक की स्टाफ कमेटी ने 29 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त (termination of employees) करने का बड़ा फैसला लिया है। इनमें 1 शाखा प्रबंधक, 4 सहायक लेखापाल, 8 पर्यवेक्षक, 6 लिपिक सह कंप्यूटर ऑपरेटर और 10 समिति प्रबंधक शामिल हैं।
भर्ती प्रक्रिया में धांधली, जांच में उजागर हुआ घोटाला
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2015 में बैंक में भर्ती प्रक्रिया (recruitment process) के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताएं (irregularities in hiring) हुईं। जांच में पाया गया कि कई अभ्यर्थियों को बिना लिखित परीक्षा (written exam) और इंटरव्यू के ही नियुक्ति दे दी गई। कुछ मामलों में चयन प्रक्रिया को पूरी तरह दरकिनार कर पिछला दरवाजा खोलकर भर्ती की गई।
हाईकोर्ट का आदेश और विभागीय जांच
इन अनियमितताओं की शिकायत (complaint against recruitment) पर बैंक प्रबंधन ने 110 नियुक्तियां रद्द कर दीं। प्रभावित कर्मचारियों ने हाईकोर्ट (High Court appeal) में याचिका दायर की। सिंगल बेंच ने उनके पक्ष में फैसला देते हुए बहाली का आदेश दिया। लेकिन डिवीजन बेंच ने इस आदेश को निरस्त करते हुए बैंक के फैसले को सही ठहराया। हाईकोर्ट ने प्राकृतिक न्याय (principle of natural justice) के तहत बैंक को विभागीय जांच (departmental inquiry) पूरी करने का निर्देश दिया।
हालांकि, डिवीजन बेंच ने 29 याचिकाकर्ताओं को आंशिक राहत देते हुए कहा कि बैंक तीन महीने के भीतर उनका पक्ष सुनकर फैसला करे कि उन्हें दोबारा नियुक्त किया जाए या नहीं। बैंक के सीईओ ने 4 वरिष्ठ शाखा प्रबंधकों की जांच समिति गठित की, जिसने समय सीमा के भीतर रिपोर्ट सौंप दी।
व्यक्तिगत सुनवाई और सुप्रीम कोर्ट का फैसला
जांच के दौरान सभी कर्मचारियों को व्यक्तिगत सुनवाई (personal hearing process) का अवसर दिया गया। तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर स्टाफ कमेटी ने सर्वसम्मति से उनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया।
बर्खास्त कर्मचारियों ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील (Bilaspur Cooperative Bank Scam) में राहत की कोशिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका (petition dismissal) खारिज कर दी। इससे बैंक प्रबंधन के फैसले पर कानूनी मुहर लग गई है।
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लोगों की नजरें आगे की कार्रवाई पर
यह मामला अब सिर्फ बैंक कर्मचारियों का नहीं, बल्कि सरकारी और सहकारी संस्थाओं (government and cooperative institutions) में पारदर्शिता (transparency in recruitment) के सवाल से भी जुड़ गया है। कोर्ट के फैसले के बाद बैंक प्रबंधन पर अब यह जिम्मेदारी है कि भविष्य में भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए।
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