Bijapur hostel girl pregnancy: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Girl Hostel News) के बीजापुर जिले के भोपालपटनम विकासखंड स्थित कन्या आश्रम छात्रावास में पढ़ने वाली 12वीं कक्षा की एक नाबालिग छात्रा के गर्भवती (Minor girl pregnant in hostel) होने के सनसनीखेज मामले ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। 4 माह की गर्भवती छात्रा की पुष्टि होते ही सामाजिक संगठनों से लेकर राजनीतिक दलों तक इस मामले ने गंभीर रूप ले लिया है।
मामले (Bijapur hostel girl pregnancy) की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज (Congress State President Deepak Baij) ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक 9 सदस्यीय जांच समिति (Congress Fact Finding Committee) का गठन किया है। समिति को जल्द से जल्द घटनास्थल का दौरा कर अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
विधायक सावित्री मंडावी की अगुवाई में पहुंचेगी जांच टीम
कांग्रेस द्वारा गठित जांच समिति की संयोजक विधायक सावित्री मंडावी (MLA Savitri Mandavi) को बनाया गया है। उनके साथ देवती कर्मा, नीना रावतिया, सरिता चापा, गीता कमल, कमलापति मृगतृष्णा, रिंकी कोरम, पार्वती कश्यप और अनिता तेलम को समिति में शामिल किया गया है। यह समिति घटनास्थल पर जाकर छात्रा, अधीक्षिका, डॉक्टर और संबंधित अधिकारियों से बातचीत कर वस्तुस्थिति स्पष्ट करेगी।
छात्रा की तबीयत बिगड़ने पर हुआ खुलासा
जानकारी के अनुसार 10 जुलाई को छात्रा अपने घर से लौटकर छात्रावास में रुकी थी। 20 जुलाई को उसे पेट दर्द और चक्कर आने की शिकायत हुई, जिसके बाद अधीक्षिका तोंडेश्वरी शेट्टी (Hostel Warden Tondeshwari Shetty) ने उसे भोपालपटनम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। डॉक्टर गोपी द्वारा प्राथमिक उपचार के बाद छात्रा को बीजापुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां मेडिकल टीम ने जांच के बाद 4 महीने की गर्भावस्था की पुष्टि की (Medical confirmation of pregnancy)।
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जल्द सार्वजनिक होगी रिपोर्ट
यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है बल्कि आदिवासी इलाकों में छात्राओं की सुरक्षा (Safety of tribal girl students in Chhattisgarh) पर भी सवाल खड़ा करता है। कांग्रेस की जांच समिति घटनास्थल का दौरा कर हर पहलू पर रिपोर्ट तैयार करेगी और दोषियों की पहचान कर जल्द कार्रवाई की सिफारिश करेगी।
इस घटना के बाद यह ज़रूरी हो गया है कि छात्रावासों में सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ किया जाए। ऐसे संवेदनशील मामलों में राज्य सरकार की जवाबदेही तय होना भी आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
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