हाइलाइट्स
- नवादा में डोगेश बाबू नाम से कुत्ते का आवेदन
- पटना-मोतिहारी में भी फर्जी प्रमाण पत्र मामले
- प्रशासन सख्त, एफआईआर दर्ज कर रहे अधिकारी
Dogesh Babu Residence Certificate Case: बिहार में निवास प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर फर्जीवाड़े का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। डॉग बाबू और सोनालिका ट्रैक्टर के बाद अब “डोगेश बाबू” के नाम से कुत्ते का निवास प्रमाण पत्र बनवाने का मामला सामने आया है। यह अजीबोगरीब मामला नवादा जिले के सिरदला प्रखंड से जुड़ा है, जिसने पूरे प्रशासन को हिला कर रख दिया है।
डोगेश बाबू के नाम पर प्रमाण पत्र
मामला तब उजागर हुआ जब सिरदला प्रखंड के शेरपुर के खरौंध गांव से एक ऑनलाइन आवेदन सामने आया, जिसमें आवेदक का नाम “डोगेश बाबू”, पिता का नाम “डोगेश के पापा” और माता का नाम “डोगेश की मम्मी” दर्ज किया गया। आवेदन में एक कुत्ते की फोटो भी अपलोड की गई थी।
जैसे ही आवेदन की जांच की गई, प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। नवादा के जिलाधिकारी रवि प्रकाश ने तुरंत संज्ञान लेते हुए सीओ को संबंधित थाने में FIR दर्ज कराने का निर्देश दिया।
पटना में डॉग बाबू का मामला
कुछ दिन पहले पटना जिले के मसौढ़ी में भी “डॉग बाबू” के नाम पर निवास प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया था। आवेदन में पिता का नाम कुत्ता बाबू और माता का नाम कुतिया देवी दर्ज था, साथ ही कुत्ते की तस्वीर लगी थी। इस मामले में 24 जुलाई को जारी सर्टिफिकेट को रद्द कर एफआईआर दर्ज की गई थी।
मोतिहारी में सोनालिका ट्रैक्टर केस
एक और मामला मोतिहारी से आया जहां “सोनालिका ट्रैक्टर” के नाम से निवास प्रमाण पत्र हेतु आवेदन दिया गया था। इसमें पिता का नाम स्वराज ट्रैक्टर और माता का नाम कार देवी दर्ज किया गया। इतना ही नहीं, फोटो में भोजपुरी अभिनेत्री मोनालिसा की तस्वीर लगा दी गई थी। डीएम सौरभ जोरवाल के निर्देश पर इस आवेदन को रद्द कर एफआईआर दर्ज कराई गई।
क्यों हो रही है इतनी लापरवाही?
बिहार सरकार की डिजिटल सेवाओं और ई-गवर्नेंस के तहत अब निवास प्रमाण पत्र सहित कई सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं। इसी व्यवस्था का दुरुपयोग कर कुछ अराजक तत्व सिस्टम की खिल्ली उड़ा रहे हैं। निवास प्रमाण पत्र, एक महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज है, जो व्यक्ति की स्थायी पहचान और पते का सबूत होता है। हाल ही में चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट रिवीजन अभियान के दौरान इसकी मांग में तेज़ी देखी गई थी।
दर्ज हो रही एफआईआर
इन सभी मामलों में संबंधित जिलाधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कराई है और आवेदनों को रद्द कर दिया गया है। साथ ही यह संकेत दिया है कि इस तरह की शरारत करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।