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Bihar Election Result 2025 NDA Victory Reasons
Bihar Election Result 2025 NDA Victory Reasons : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का जनादेश अब पूरी तरह साफ हो चुका है और परिणामों ने राज्य की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर दिया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने 243 में से 200 से अधिक सीटों पर बढ़त लेकर रिकॉर्ड जीत दर्ज की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी ने इस चुनाव में अपनी पकड़ और भी मजबूत कर ली है।
दूसरी ओर महागठबंधन, जिसे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में मजबूत चुनौती बताया जा रहा था, 35 सीटों के आसपास सिमटता दिखा। सर्वे और ओपिनियन पोल की चमक नतीजों की हकीकत में बदल नहीं पाई। इस चुनाव नतीजे ने एक बार फिर साफ कर दिया कि बिहार की राजनीति में जमीन की नब्ज़ और चुनावी गणित दोनों को समझना कितना अहम है।
क्यों टूटा तेजस्वी का सपना?
बिहार चुनाव 2025 के नतीजों में सिर्फ NDA की जीत नहीं, बल्कि एक सुविचारित रणनीति, सटीक संदेश और जमीनी योजनाओं का प्रभाव साफ दिखाई दिया। केंद्र से लेकर गांवों तक, “डबल इंजन” के विकास मॉडल ने वह भरोसा पैदा किया जिसकी बदौलत मतदाताओं ने NDA को भारी बहुमत सौंपा।
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टूटा तेजस्वी का सपना[/caption]
गठबंधन की परिपक्वता बनी मास्टरस्ट्रोक
भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यू) के बीच समय रहते और सौहार्दपूर्ण तरीके से हुआ सीट-बंटवारा इस चुनाव का पहला निर्णायक मोड़ साबित हुआ। दोनों दलों ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़कर संदेश दिया कि उनका गठबंधन सत्ता नहीं, स्थिरता के लिए है। जिसका सीधा असर यह हुआ कि प्रत्येक दल अपनी मजबूत सीटों पर केंद्रित रह सका और सीटों का नुकसान भी कम हुआ। यह तालमेल महागठबंधन पर भारी पड़ा, जहाँ सीटों के बंटवारे से लेकर उम्मीदवार चयन तक हर कदम पर असहमति और भ्रम दिखा।
‘जंगल राज’ की वापसी का डर बना बड़ा मुद्दा
NDA ने 90 के दशक के कानून-व्यवस्था संकट को मुद्दा बनाकर तेजस्वी यादव के अभियान को कमजोर किया। लालू-राबड़ी शासनकाल को “अराजक युग” बताकर, NDA ने यह संदेश फैलाया कि राजद की जीत ‘जंगल राज’ की वापसी होगी। सुरक्षा, स्थिरता और सुशासन का वादा ऐसे माहौल में ज्यादा मजबूत होकर उभरा, जिसने कई मतदाताओं को सीधे NDA के पाले में कर दिया।
महिला + EBC = NDA का अपराजेय समीकरण
इस चुनाव ने बिहार की जातीय राजनीति का नया सूत्र प्रस्तुत किया- “ME फैक्टर” (महिला + अत्यंत पिछड़ा वर्ग)। ईबीसी समुदाय में नीतीश कुमार की मजबूत पकड़ और महिलाओं में उनकी योजनाओं का गहरा प्रभाव NDA की सफलता का मुख्य कारण बना।
जीविका दीदियों, स्वयं सहायता समूहों, उज्ज्वला जैसी योजनाओं और महिलाओं के सम्मान में केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों ने बड़ा असर डाला। सबसे महत्वपूर्ण बात- इस बार महिलाओं ने पुरुषों से लगभग 10% अधिक मतदान किया, जिसने चुनाव का पूरा गणित ही बदल दिया।
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Bihar Election 2025 Result[/caption]
युवा वोटरों ने भी दिया NDA को मजबूत आधार
14 लाख से अधिक नए मतदाता इस बार पहली बार वोट डालने पहुंचे। इन युवा मतदाताओं में प्रधानमंत्री मोदी की अपील और रोजगार योजनाओं का प्रभाव दिखा। सोशल मीडिया पर NDA का पक्ष लेकर चल रहे अभियान ने भी युवाओं में माहौल बनाया।
नीतीश कुमार की स्थायी अपील बनी निर्णायक
कड़ी आलोचनाओं के बावजूद नीतीश कुमार का “स्थिर नेतृत्व” और प्रशासनिक अनुभव राज्य के बड़े वर्ग के लिए भरोसे का आधार बना रहा। उनका कुर्मी-ईबीसी समर्थन BJP के सवर्ण आधार के साथ मिलकर अखिल जातीय समीकरण तैयार करता है, जो NDA के लिए अजेय बन चुका है। ‘टाइगर अभी ज़िंदा है’ जैसे पोस्टरों ने उनकी लोकप्रियता को फिर से जनता के बीच मजबूत किया।
बीजेपी का 90% स्ट्राइक रेट बना गेमचेंजर
BJP इस चुनाव की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। 101 सीटों में से 90% सीटों पर बढ़त ने यह साबित कर दिया कि ‘मोदी मैजिक’ अभी भी बिहार में पूरी ताकत से कायम है। यह जीत 2024 के लोकसभा चुनावों में लगे झटके को भी संतुलित कर रही है।
वहीं, 2020 में 43 सीटों पर सिमट चुकी JDU इस बार नई ऊर्जा के साथ वापसी कर रही है। मोदी फैक्टर और नीतीश के ईबीसी आधार के संयोजन ने उसे बड़ी सफलता दिलाई।
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छोटे दलों का भी असर
चिराग पासवान की LJP (रामविलास) और जीतनराम मांझी की हम ने अपने-अपने क्षेत्रों में NDA को मजबूती दी। AIMIM भी कई सीटों पर प्रभावी नजर आई, जबकि जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा।
महागठबंधन की गिरावट
महागठबंधन ने चुनाव प्रचार में तेजस्वी को चेहरा बनाकर बड़े दावे किए, लेकिन जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे और संगठनात्मक कमजोरी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा- 61 सीटों में से केवल 1 सीट जीतना उसके संगठन की स्पष्ट कमजोरी को दिखाता है।
चुनाव के नतीजे क्या संदेश देते हैं?
बिहार चुनाव 2025 का यह परिणाम केवल सरकार बदलने या सत्ता में वापसी का नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों का संकेत है। महिलाओं की अभूतपूर्व भागीदारी, जातियों के नए समीकरण और विकास की राजनीति का उभार, बिहार की राजनीति को एक नए दौर में ले जाता दिख रहा है।
इसके साथ ही, आने वाले छह महीनों में पश्चिम बंगाल और असम के चुनावों पर भी इस परिणाम का सीधा प्रभाव पड़ने वाला है। बिहार NDA की यह बड़ी जीत भाजपा और जेडीयू दोनों के लिए राष्ट्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण संकेत देती है।
बिहार ने दिखाया 'डबल इंजन' पर भरोसा
पटना में NDA कार्यालयों के बाहर जश्न का माहौल है- ढोल-नगाड़े, पटाखे, और जीत के नारों से पूरा शहर गूंज उठा। NDA नेता इसे 'विकास की जीत', 'सुशासन की जीत' और 'महिलाओं के विश्वास की जीत' बता रहे हैं। बिहार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह स्थिरता, सुशासन और ठोस विकास की राजनीति को प्राथमिकता देता है। और सबसे बड़ी बात- तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनने का सपना एक बार फिर NDA की सुनामी में बह गया है।
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