हाइलाइट्स
- नीतीश सरकार नहीं दे पा रही 70 हजार करोड़ का हिसाब
- राज्य की कुल देनदारी बढ़कर ₹3,98,560.98 करोड़
- बजट खर्च में सरकार ने दिखाई ढिलाई
Bihar CAG Report: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट ने बिहार की वित्तीय व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गुरुवार को विधानसभा में प्रस्तुत इस रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार लगभग ₹70,000 करोड़ के खर्च का हिसाब नहीं दे पाई है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है और नीतीश सरकार की जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
राज्य की कुल देनदारी बढ़कर ₹3,98,560.98 करोड़
विकास दर में बढ़त, पर देनदारियां भी बढ़ीं कैग की रिपोर्ट बताती है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में बिहार की विकास दर 14.47% रही, जो राष्ट्रीय औसत से 4.87% अधिक है। हालांकि, यह पिछले वर्ष (2022-23) की 15.30% की दर से थोड़ी कम है। रिपोर्ट यह भी इंगित करती है कि विकास दर के साथ-साथ राज्य की देनदारियों में भी वृद्धि हुई है। 2023-24 में राज्य की कुल देनदारी बढ़कर ₹3,98,560.98 करोड़ हो गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.34% अधिक है। हालांकि, यह कुल देनदारी निर्धारित अधिसीमा के भीतर रही, फिर भी बिहार 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सका।
राज्य पर बढ़ी देनदारियां
क्षेत्रीय योगदान और बढ़ते प्रतिबद्ध व्यय रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के विकास में सर्वाधिक 57.06% का योगदान तृतीयक क्षेत्र (सेवा क्षेत्र) का रहा। प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन आदि) का योगदान 24.23% रहा, जबकि द्वितीयक क्षेत्र (निर्माण और बुनियादी ढांचा) का योगदान 18.16% रहा। राज्य का प्रतिबद्ध व्यय (वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान) औसतन 8.86% की दर से बढ़ रहा है। यह 2019-20 के ₹48,477.72 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹70,282.32 करोड़ हो गया है। हालांकि, राजस्व प्राप्तियों में संतोषजनक वृद्धि दर्ज की गई है, जो 2023-24 में पिछले वर्ष की तुलना में 11.96% बढ़कर कुल ₹20,659 करोड़ रही। केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के साथ-साथ बिहार के स्व-कर राजस्व और गैर-कर राजस्व में क्रमशः 9.87% और 25.14% की बढ़ोतरी हुई है।
बजट खर्च में सरकार ने दिखाई ढिलाई
बजट खर्च में ढिलाई और लंबित उपयोगिता प्रमाण-पत्र कैग रिपोर्ट का सबसे चिंताजनक पहलू बजट के उपयोग में ढिलाई है। 2023-24 में बिहार का कुल बजट ₹3,26,230.12 करोड़ था, लेकिन सरकार इसका मात्र 79.92% (₹2,60,718.07 करोड़) ही खर्च कर पाई। इस तरह ₹65,512.05 करोड़ की बड़ी राशि बिना खर्च हुए बची रही, जिसमें से सरकार ने मात्र 36.44% (₹23,875.55 करोड़) ही वापस जमा किया। इसके अतिरिक्त, 31 मार्च, 2024 तक बिहार के महालेखाकार (लेखा और हकदारी) को ₹70,877.61 करोड़ के उपयोगिता प्रमाण-पत्र (UC) प्राप्त नहीं हुए हैं। स्मरण कराने के बावजूद, इस अवधि तक ₹9,205.76 करोड़ के सार आकस्मिक विपत्र (DC बिल) भी उपलब्ध नहीं कराए गए, जिसमें से ₹7,120.02 करोड़ के बिल वित्तीय वर्ष 2022-23 से संबंधित हैं।
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