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छत्तीसगढ़ में माओवादियों पर बड़ा प्रहार: 40 किमी पैदल चलकर नक्सलियों के गढ़ में पहुंचे जवान, ऐसे दिया ऑपरेशन को अंजाम

Anti Naxal Operation: छत्तीसगढ़ में माओवादियों पर बड़ा प्रहार: 40 किमी पैदल चलकर नक्सलियों के गढ़ में पहुंचे जवान, ऐसे दिया ऑपरेशन को अंजाम

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Harsh Verma
Anti-Naxal-Operation
रिपोर्ट- रजत वाजपेयी

Anti Naxal Operation:अक्टूबर, शुक्रवार के दिन सुरक्षाबलों ने छत्तीसगढ़ के इतिहास में सबसे बड़े नक्सली ऑपरेशन को अंजाम दिया है। दंतेवाड़ा-नारायणपुर जिले के बॉर्डर पर जवानों  ने 2 घंटे की मुठभेड़ में ही 31 नक्सलियों को ढेर कर दिया। इस मुठभेड़ में पूर्वी बस्तर डिवीजन कमेटी की लीडर नीति मारी गई है। कहा जा रहा है कि मारे गए नक्सलियों की संख्या इससे अधिक भी हो सकती है। 

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पूर्वी बस्तर इंचार्ज नीति उर्फ उर्मिला मारी गई

बता दें कि इस मुठभेड़ में 25 लाख की इनामी डीकेएसजेडसी, पूर्वी बस्तर इंचार्ज नीति उर्फ उर्मिला मारी गई है। वहीं 18 पुरुष और 13 महिला नक्सलियों को जवानों ने मार गिराया है।
इसमें डीकेएसजेडसी, डीवीसी, पीएलजीए कंपनी नंबर 6 के कई कॉडर वाले नक्सली ढेर हुए हैं।

अबतक 31 में से 16 नक्सली पहचाने गए हैं। कॉडर वाले 2 नक्सली 8-8 लाख के इनामी हैं। सुरक्षाबलों ने 4 एके-47, एक एलएमजी, 6 एसएलआर, 3 इंसास, 2 थ्री नाट थ्री बरामद किया है।

[caption id="attachment_675130" align="alignnone" width="677"]publive-image नक्सलियों का सफाया करने के बाद लौटते हुए जवान[/caption]

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मारे गये 16 नक्सलियों की हुई पहचान

1. नीति, DKSZC
2. सुरेश सलाम, डीवीसीएम
3. मीना माडकम, डीवीसीएम
4. अर्जुन PPCM, पीएलजीए कंपनी 6
5. सुंदर PPCM, पीएलजीए कंपनी 6
6. बुधराम, PPCM पीएलजीए कंपनी 6
7. सुक्कू, PPCM, पीएलजीए कंपनी 6
8. सोहन, एसीएम, बारसूर एसी
9. फूलो, PPCM, पीएलजीए कंपनी 6
10. बसंती, PPCM, पीएलजीए कंपनी 6
11. सोमे, PPCM, पीएलजीए कंपनी 6
12. जमीला उर्फ बुधरी, PM, पीएलजीए कंपनी 6
13. रामदेर, एसीएम
14. सुकलू उर्फ विजय एसीएम
15. जमली एसीएम
16. सोनू कोर्राम, एसीएम अमदेयी

इन 16 नक्सलियों पर 1 करोड़ 30 लाख से ज्यादा का इनाम घोषित था। अन्य 15 नक्सलियों की शिनाख्तगी जारी है।

[caption id="attachment_675137" align="alignnone" width="662"]publive-image नक्सलियों का शव ले जाते जवान[/caption]

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नक्सलियों की मौजूदगी के मिले थे इनपुट्स

पुलिस को अबूझमाड़ के थुलथुली इलाके में नक्सलियों की मौजूदगी के इनपुट्स मिले थे। जिसके बाद बुधवार की देर रात तक प्लानिंग की गई और शुक्रवार को माओवादियों के खिलाफ जवानों ने धावा बोल दिया।

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छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में ये एक बड़ा ऑपरेशन है। शुक्रवार का अभियान इस साल अप्रैल में हुए अभियान से भी बड़ा था, जब कांकेर जिले में लोकसभा चुनाव से पहले एक मुठभेड़ में 29 माओवादियों को मार गिराया गया था। 

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सुरक्षाबलों के अनुसार, इस साल 'माड़ बचाओ अभियान-नक्सलवाद से माड़ की रक्षा' के तहत 40 से अधिक एंटी-नक्सल अभियान चलाए गए हैं। इनमें से अप्रैल से अब तक छह बड़े अभियान शामिल हैं।

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दोनों तरफ से काफी देर तक होती रही गोलीबारी

बस्तर के आईजी सुंदरराज पी सुंदरराज ने बताया कि दंतेवाड़ा जिले के बारसूर थाना और नारायणपुर जिले के ओरछा थाना क्षेत्र में गवाड़ी, थुलथुली, नेंदूर और रेंगावाया गांव के बीच पहाड़ी पर माओवादियों की कंपनी नंबर छह और पूर्वी बस्तर डिवीजन के नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी।

इसके बाद, बृहस्पतिवार दोपहर को दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले से डीआरजी और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के जवानों का संयुक्त दल रवाना किया गया। शुक्रवार को जब सुरक्षाबल के जवान क्षेत्र में थे, तब नक्सलियों ने उन पर गोलीबारी शुरू कर दी।

[caption id="attachment_675133" align="alignnone" width="664"]publive-image जवानों के साथ महिला कमांडो भी ऑपरेशन में शामिल थीं[/caption]

इसके जवाब में सुरक्षाबल ने भी कार्रवाई की, और दोनों तरफ से काफी देर तक गोलीबारी होती रही। मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने 31 मारे गए माओवादियों के शव बरामद किए। मारे गए माओवादियों की पहचान की जा रही है।

घटनास्थल से कई अन्य हथियार भी बरामद

मुठभेड़ के बाद, जवानों ने घटनास्थल से LMG, AK-47, इंसास, 303 जैसे हथियारों के साथ-साथ 12 बोर और 15 बोर के कई अन्य हथियार भी बरामद किए हैं। सर्च अभियान अभी भी जारी है। जवानों के लौटने के बाद इस मामले में और विस्तृत जानकारी मिल पाएगी।

[caption id="" align="alignnone" width="663"]publive-image छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा घायल जवान रामचंद्र यादव से मिलने अस्पताल पहुंचे।[/caption]

नक्सलियों को भनक तक नहीं लगी

भारी बारिश के कारण नक्सलियों को जवानों के आने की सूचना नहीं मिल पाई। अपने 50 साथियों के साथ जंगल में बैठी नीति को भनक नहीं थी कि जवान उनकी घेरेबंदी कर रहे हैं। जब जवान नक्सलियों के एकदम पास पहुंचे तो उन्होंने आत्मसमर्पण करने का विकल्प सुझाया, लेकिन हड़बड़ाए नक्सलियों ने गोलियां बरसानी शुरु कर दी। जवाबी कार्रवाई के दौरान 31 नक्सली ढेर हो गए और घायल नक्सली भागने में सफल हुए।

नक्सलियों का गुमान टूटा 

खास बात यह रही कि जिस इलाके को नक्सली अपनी सुरक्षित पनाहगाह समझते और प्रचारित करते थे, वहीं इस बार जवानों ने रात बिताई और आज 31 शवों के साथ वापस लौटे। सुबह होते ही एक बार फिर से सर्च ऑपरेशन चलाया गया। फोर्स ने मौके से एके-47, इंसास, एलएमजी, 312 बोर समेत अन्य हथियार और विस्फोटक बरामद किया है।

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पांच जिलों के सर्वश्रेष्ठ जवानों को शामिल किया गया

ऑपरेशन में जवानों को दो तरफ से भेजने का निर्णय लिया गया था। इसमें पांच जिलों के सर्वश्रेष्ठ जवानों को शामिल किया गया। 3 अक्टूबर को दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले से करीब 1,000 से अधिक DRG और STF के जवानों को ऑपरेशन पर भेजा गया। गुरुवार की सुबह दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले को ऑपरेशन को नेतृत्व देने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

ऑपरेशन साइट तक पैदल चलकर पहुंचे जवान

जवानों के साथ महिला कमांडो भी गुरुवार से ऑपरेशन में शामिल थीं। अलग-अलग टीमों का गठन किया गया था। भूख मिटाने के लिए मैगी के पैकेट दिए गए। सभी टीमें एक स्थान तक गाड़ियों से पहुंचीं, इसके बाद जवानों ने 40 किलोमीटर तक पैदल चलकर उस जगह पहुंचे, जहां नक्सलियों की मौजूदगी थी। लोकेशन की पुष्टि के बाद हाईकमान को सूचित किया गया और आदेश मिलने पर एनकाउंटर को अंजाम दिया गया।

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खुलेंगी और परतें

माओवादियों के ठिकाने से फोर्स के जवानों को एक बटुवा मिला है, जिसमें से एक पत्र बरामद किया गया है, जो गोंडी बोली में लिखा हुआ है। कुछ लोगों के मोबाइल नंबर भी इसमें दर्ज हैं। ये नंंबर किसके हैं और पत्र किसने, किसको लिखा है, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए पुलिस विवेचना आगे बढ़ाएगी। निश्चित है इस मामले में अभी प्याज की तरह परतें खुलनी बाकी हैं।

नक्सलियों के गढ़ अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों का डेरा

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, सुरक्षा बलों ने दावा किया है कि उन्होंने अबूझमाड़ का लगभग 50 प्रतिशत क्षेत्र कवर कर लिया है। यह क्षेत्र, जो गोवा से भी बड़ा है, 1980 के दशक से नक्सलियों का गढ़ रहा है और इसका अधिकांश हिस्सा नारायणपुर में है, जबकि यह बीजापुर और दंतेवाड़ा के कुछ छोटे हिस्सों में भी फैला हुआ है।

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अबूझमाड़ लगभग 4,000 वर्ग किमी का घना वन क्षेत्र है, जो नक्सली आंदोलन का मुख्य केंद्र है। सरकारी राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार, इस क्षेत्र का केवल 10 प्रतिशत भाग ही सर्वेक्षण किया गया है, इसका मतलब बड़े हिस्से में अभी भी सर्वेक्षण नहीं हुआ है।

बस्तर में 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात

नक्सलियों के खिलाफ चल रही लड़ाई के लिए बस्तर में विभिन्न फोर्स के करीब 60 हजार से अधिक जवान तैनात हैं। इनमें कांकेर में SSB, BSF और ITBP, नारायणपुर में ITBP, BSF और STF, और कोंडागांव में ITBP और CRPF के जवान शामिल हैं।

इसके अलावा, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा में STF, कोबरा और CRPF के जवान भी तैनात हैं। सभी जिलों में DRG, जिला बल, बस्तर फाइटर्स और बस्तरिया बटालियन भी सुरक्षा बलों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

प्रदेश से नक्सलवाद का खात्मा ही हमारा लक्ष्य: सीएम साय

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इस भुठभेड़ के बाद सीएम साय ने जवानों को बधाई दी है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि जवानों को मिली यह बड़ी कामयाबी सराहनीय है। उनके हौसले और अदम्य साहस को नमन करता हूं। नक्सलवाद के खात्मे के लिए शुरू हुई हमारी लड़ाई अब अपने अंजाम तक पहुंचकर ही दम लेगी, इसके लिए हमारी डबल इंजन सरकार दृढ़ संकल्पित है। प्रदेश से नक्सलवाद का खात्मा ही हमारा लक्ष्य है।

इस साल अब तक 185 नक्सली मारे गए

10 दिन पहले, 24 सितंबर को सुकमा जिले में एक मुठभेड़ हुई, जिसमें 2 नक्सलियों को मार गिराया गया। हालांकि, दोनों शव उनके साथियों ने ले लिए। DRG, CRPF और कोबरा के जवान कर्कनगुड़ा में नक्सलियों के मुख्य क्षेत्र में दाखिल हुए थे। साल 2024 में अब तक कुल 185 नक्सलियों को मारा गया है।

एक महीने पहले, 29 अगस्त को नारायणपुर और कांकेर के सीमा पर अबूझमाड़ इलाके में एक और मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 3 महिला नक्सलियों को मार गिराया गया। इनकी पहचान उत्तर बस्तर डिवीजन कमेटी और PLGA कम्पनी नंबर 05 के सदस्य के रूप में की गई।

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