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माध्यमिक स्कूल शिक्षक भर्ती: हाइकोर्ट ने पूछा अलग-अलग चरणों में क्यों की भर्ती प्रक्रिया, सरकार से मांगा जवाब

MP Teacher Bharti Issue: कम मेरिट वालों को स्कूल शिक्षा विभाग में और अधिक मेरिट वालों को ट्रायबल वेलफेयर विभाग के स्कूलों में मिली नियुक्ति

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Rahul Sharma
माध्यमिक स्कूल शिक्षक भर्ती: हाइकोर्ट ने पूछा अलग-अलग चरणों में क्यों की भर्ती प्रक्रिया, सरकार से मांगा जवाब

हाइलाइट्स

  • माध्यमिक शिक्षक भर्ती को लेकर एमपी हाईकोर्ट में सुनवाई
  • अलग-अलग चरणों में भर्ती पर कोर्ट ने सरकार से पूछा जवाब
  • शासन की गलती से दूसरे डिपार्टमेंट के स्कूल में मिल गई नियुक्ति
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MP Teacher Bharti Issue: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य शासन से पूछा है कि माध्यमिक स्कूल शिक्षकों की भर्ती अलग-अलग चरणों में क्यों की गई।

जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने राज्य शासन को जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

हाईकोर्ट में इन्होंने लगाई है याचिका

जबलपुर निवासी आरती सिंह राठौर, रागिनी वर्मा, रवींद्र कौरव, आयुषी जैन सहित करीब 600 शिक्षकों की ओर से हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर (MP Teacher Bharti Issue) की गई हैं।

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दलील दी गई कि अलग-अलग चरणों में भर्ती प्रक्रिया के कारण कम मेरिट वालों को स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति मिल गई, जबकि अधिक मेरिट वालों को ट्रायबल वेलफेयर विभाग के स्कूलों में नियुक्ति मिली।

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यह है पूरा मामला

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि नियुक्ति के संबंध में दो परिपत्र जारी किए गए हैं। जिनकी वैधानिकता को चुनौती (MP Teacher Bharti Issue) दी गई है।

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उन्होंने बताया कि पहले 30 मार्च 2022 को एक परिपत्र जारी कर यह कहा गया कि चयनित शिक्षक त्यागपत्र देकर और एक माह का वेतन जमा कराकर विभाग बदल सकते हैं।

इस प्रक्रिया के तहत करीब 900 शिक्षकों को लाभ मिला। वहीं करीब 9 माह बाद 11 जनवरी 2023 को एक और परिपत्र जारी कर कहा कि अब अभ्यर्थियों को शाला विकल्प के चयन का अवसर नहीं दिया जाएगा।

याचिकाओं में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अपनाई गई असंवैधानिक प्रक्रिया (MP Secondary Teacher Recruitment) को चुनौती दी है।

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यहां फंसा है पेंच

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट (MP High Court) को बताया गया कि याचिकाकर्ताओं को पहले ट्रायबल वेलफेयर डिपार्टमेंट में नियुक्ति दी गई। पहले परिपत्र के आधार पर स्कूल शिक्षा विभाग ने चयन सूची जारी की।

लेकिन बाद में यह कहते हुए नियुक्ति नहीं दी गई कि याचिकाकर्ता पहले से ट्रायबल वेलफेयर विभाग में पदस्थ हैं, इसलिए अब उन्हें शाला विकल्प का अवसर नहीं दिया जा सकता।

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