Bihar News: बिहार की नीतीश-तेजस्वी सरकार को बड़ा झटका लगा है। पटना हाई कोर्ट ने बिहार में चल रहे जातीय जनगणना को तत्काल रूप से रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया है।
हाई कोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगाई
बता दें कि पिछले साल नीतीश-तेजस्वी सरकार ने बिहार में जाति के आधार पर जनगणना का फैसला लिया था। इसको लेकर नीतीश सरकार 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद दोनों में पास करा चुकी है। जनगणना का काम जनवरी, 2023 में शुरू किया गया और इसे मई 2023 तक मई खत्म हो जाने की उम्मीद थी। इसी बीच हाई कोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वी चन्द्रन की बेंच ने ये फैसला सुनाया। इस मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी।
जातीय जनगणना के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
बता दें कि जहां एक तरफ बिहार में जदयू और आरजेडी ने जातीय जनगणना को जमकर समर्थन दिया, वहीं दूसरी ओर विपक्षी पार्टियों ने बिहार को जाति के आधार पर अलग-थलग करने वाला फैसला बताया था। नतीजातन बिहार सरकार के जातीय जनगणना कराने के खिलाफ हाई कोर्ट में 5 याचिकाएं दायर की गई थी, जिसमें जातिगत जनगणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
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सरकार ने जातीय जनगणना के पीछे यह वजह बताई
बिहार सरकार ने हाई कोर्ट में दिए जवाब में कहा कि सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए सभी अपनी जाति बताने को आतुर रहते हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार ने नगर निकाय और पंचायत चुनाव में पिछड़ी जातियों को आरक्षण नहीं देने का हवाला देते हुए हाई कोर्ट को बताया, “ओबीसी को 20 प्रतिशत, एससी को 16 फीसदी और एसटी को एक फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। अभी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 50 फीसदी आरक्षण दिया जा सकता है। ऐसे में राज्य सरकार नगर निकाय और पंचायत चुनाव में 13 प्रतिशत और आरक्षण दे सकती है।”
ओबीसी की सही आबादी का अनुमान लगाना
इसके साथ ही बिहार सरकार का जातीय जनगणना के पीछे एक तर्क यह भी है कि 1951 से एससी और एसटी जातियों का डेटा पब्लिश होता है, लेकिन ओबीसी और दूसरी जातियों का डेटा नहीं आता है। इससे ओबीसी की सही आबादी का अनुमान लगाना मुश्किल होता है। बिहार सरकार का मानना है कि राज्य में बड़ी संख्या में ओबीसी आबादी है, जो आरक्षण का लाभ नहीं ले पा रही है। ऐसे में राज्य सरकार आरक्षण की 50% की सीमा तोड़ सकती है, जिसका फायदा उन्हें मिलेगा।
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बिहार के उपमुख्यमंत्री ने ये कहा
उधर हाई कोर्ट के जातीय जनगणना पर रोक का आदेश के बाद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा- कोर्ट का निर्देष पढ़ने के बाद ही सरकार अपना अगला कदम उठाएगी। मगर ये जाति आधारित जनगणना नहीं था बल्कि सर्वे था, जो सरकार का कोई पहला सर्वे नहीं था। हमारी सरकार ये सर्वे कराने के लिए प्रतिबद्ध है। ये जनता के हित में था और जनता की मांग थी कि ये सर्वे होना चाहिए।
कोर्ट का निर्देष पढ़ने के बाद ही सरकार अपना अगला कदम उठाएगी। मगर ये जाति आधारित जनगणना नहीं था बल्कि सर्वे था, जो सरकार का कोई पहला सर्वे नहीं था। हमारी सरकार ये सर्वे कराने के लिए प्रतिबद्ध है। ये जनता के हित में था और जनता की मांग थी कि ये सर्वे होना चाहिए: पटना हाईकोर्ट के… pic.twitter.com/n9a0wIdN5W
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 4, 2023