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केंद्र सरकार बड़ा ऐलान: 25 जून को मनाया जाएगा संविधान हत्या दिवस, केंद्रीय गृह मंत्री ने ने एक्स पोस्ट कर दी जानकारी

Samvidhaan Hatya Diwas: केंद्र सरकार बड़ा ऐलान: 25 जून को मनाया जाएगा संविधान हत्या दिवस, केंद्रीय गृह मंत्री ने ने एक्स पोस्ट कर दी जानकारी

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Manya Jain
केंद्र सरकार बड़ा ऐलान: 25 जून को मनाया जाएगा संविधान हत्या दिवस, केंद्रीय गृह मंत्री ने ने एक्स पोस्ट कर दी जानकारी

Samvidhaan Hatya Diwas: 1947 में भारत को आज़ादी मिलने के बाद 1975 में इंदिरा गांधी वाली केंद्र सरकार ने 25 जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले पर आपातकाल का ऐलान कर दिया था. इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का रायबरेली ने निर्वाचन रद्द कर दिया था.

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इस दिन को आज भी इतिहास में भारत के लिए काला दिवस मानते थे. लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाली केंद्र सरकार ने 25 जून को अधिकारिक रूप से 'संविधान हत्या दिवस' घोषित कर दिया है. इसे लेकर केंद्र सरकार ने शुक्रवार को नोटीफिकेशन भी जारी कर दी है.

शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर नोटिफिकेशन की कॉपी पोस्ट कर जानकारी दी है.

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लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया-अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को ट्विटर पर 25 जून को अधिकारिक रूप से 'संविधान हत्या दिवस' घोषित करते हुए कहा कि "25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तानाशाही मानसिकता का परिचय देते हुए देश पर आपातकाल थोपकर हमारे लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को बिना किसी गलती के जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया।

भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है। यह दिन उन सभी लोगों के महान योगदान को याद करेगा जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को सहन किया था"।

कब लगी थी इमरजेंसी 

25 जून 1975 को भारत में आपातकाल की घोषणा की गई थी, जो भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद अध्याय है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे का हवाला देते हुए आपातकाल लागू किया।

इस दौरान नागरिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, राजनीतिक विपक्ष को दबाया गया, और प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाया गया। कई प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। यह अवधि 21 महीनों तक चली और 21 मार्च 1977 को समाप्त हुई।

इस आपातकाल ने भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डाला, जिससे लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थाओं की मजबूती की आवश्यकता को उजागर किया।

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