Bhupesh Baghel: देश में लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. एनडीए को बहुमत मिला है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसदीय दल के नेता भी चुन लिए गए हैं. इस बीच छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने देश में 1 साल के अंदर मध्यावधि चुनाव होने का बड़ा दावा किया है. इसके लिए भूपेश बघेल ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को तैयार रहने की भी बात कह डाली है.
कार्यकर्ता साथी तैयार रहें: बघेल
बघेल (Bhupesh Baghel) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि कार्यकर्ता साथी तैयार रहें!, 6 महीने से 1 साल के भीतर मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं. फडणवीस इस्तीफा दे रहे हैं, योगी जी की कुर्सी डोल रही है. भजनलाल शर्मा भी डगमग-डगमग कर रहे हैं. सरकार बनी नहीं है लेकिन जदयू प्रवक्ता अग्निवीर योजना रद्द करने और जातिगत जनगणना की बात कर रहे हैं. ये सब वो मुद्दे हैं जो श्री राहुल गांधी जी लेकर चले हैं.
कार्यकर्ता साथी तैयार रहें!
6 महीने- 1 साल के भीतर मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं.
फड़नवीस इस्तीफ़ा दे रहे हैं, योगी जी की कुर्सी डोल रही है. भजनलाल शर्मा भी डगमग-डगमग कर रहे हैं.
सरकार बनी नहीं है लेकिन जदयू प्रवक्ता अग्निवीर योजना रद्द करने और जातिगत जनगणना की बात कर रहे हैं.… pic.twitter.com/ufyt6aNJL6
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) June 7, 2024
9 तारीख को शपथ ले सकते हैं पीएम मोदी
बता दें कि नरेन्द्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. शुक्रवार को एनडीए (NDA) संसदीय दल की बैठक में उन्हें सर्वसम्मति से नेता चुना गया है. पीएम मोदी 9 तारीख को शपथ ले सकते हैं. बता दें कि कांग्रेस ने भूपेश बघेल को राजनांदगांव लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें बीजेपी के संतोष पांडेय के हाथों करारी हार मिली है. छत्तीसगढ़ की 11 में से 10 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है. कांग्रेस सिर्फ एक ही सीट जीत पाई है.
कांग्रेस ने कैबिनेट मंत्रियों पर लगाया था दांव
कांग्रेस ने इस लोकसभा चुनाव में 11 में से कई सीटों पर दिग्गजों को उतारा. इनमें जांजगीर चांपा, महासमुंद, राजनांदगांव, कांकेर और कोरबा जैसी सीटें हैं. इन सीटों पर पार्टी ने पूर्व कैबिनेट मंत्रियों को टिकट दिया था, कांग्रेस ने राजनांदगांव से पूर्व सीएम भूपेश बघेल, महासमुंद से पूर्व कैबिनेट मंत्री ताम्रध्वज साहू, जांजगीर चांपा से पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया और बस्तर से पूर्व मंत्री कवासी लखमा पर दांव लगाया गया था. इन सभी नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा है.
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