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विश्व संवाद केंद्र में बोले डॉ. मनमोहन वैद्य: सोशल मीडिया ने हमें दुनिया से तो जोड़ दिया लेकिन परिवार के लोग दूर हो गए

Bhopal News: भोपाल विश्व संवाद केंद्र में बरोह पुस्तक का विमोचन किया गया। इस मौके पर आरएएस की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. मनमोहन वैद्य ने कुटुंब प्रबोधन पर संबोधित किया।

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BP Shrivastava
Bhopal News

हाइलाइट्स

  • विश्व संवाद केंद्र में पुस्तक 'बरोह' का विमोचन
  • परिवारिक दूरियां खत्म करने में बरोह मददगार
  • MCU के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी भी रहे मौजूद
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Bhopal News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि आज के समय में करियर की चाह में परिवार के साथ बैठना नहीं हो पा रहा है। सोशल मीडिया ने दुनिया के लोगों से तो हमें जोड़ दिया है, लेकिन परिवार के सदस्यों से दूरियां बढ़ा दी हैं। इसलिए आवश्यक है कि हम मोबाइल फोन बंद साइलेंट रखे, टेलीविजन बंद करें और परिवार के साथ अपनों के साथ बैठें।

‘बरोह’ का पुस्तक का विमोचन

[caption id="attachment_784556" align="alignnone" width="1012"]publive-image संस्कृति अध्येता, अकादमिक प्रशासक गिरीश जोशी द्वारा अनुवादित पुस्तक ‘बरोह’ का विमोचन किया।[/caption]

डॉ. मनमोहन वैद्य गुरुवार को विश्व संवाद केंद्र में आयोजित पुस्तक विमोचन और परिचर्चा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए। इस दौरान उन्होंने संस्कृति अध्येता, अकादमिक प्रशासक गिरीश जोशी द्वारा अनुवादित पुस्तक ‘बरोह’ का विमोचन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCU) के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने की।

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डॉ. वैद्य ने कहा- सहस्रबुद्धे के लेख पढ़ने उत्सुक रहता था

डॉ. वैद्य ने कहा, संघ ने शताब्दी वर्ष में कुछ पुस्तकों को आमजन तक पहुंचने का निर्णय लिया है। यह पुस्तक इसी श्रृंखला का एक प्रमुख हिस्सा है। मुझे याद आता है कि पीजी सहस्रबुद्धे द्वारा लिखित तरुण भारत में प्रकाशित होने वाले लेख पढ़ने के लिए मैं प्रत्येक शनिवार को उत्सुक रहता था। क्योंकि इन लेख में बहुत सरल भाषा में जीवन के संदेश, चुनौती और प्रसंग पढ़ने को मिलते थे।

बरोह मराठी पुस्तक 'पारंब्या' का हिन्दी अनुवाद

उल्लेखनीय है कि गिरीश जोशी ने पुणे के प्रसिद्ध चिंतक, विचारक एवं लेखक सहस्रबुद्धे द्वारा जीवन की चुनौतियों का सहज समाधान देने के लिए सरल एवं रुचिकर प्रसंगों पर आधारित मराठी पुस्तक 'पारंब्या' का हिन्दी अनुवाद किया है। कार्यक्रम का आयोजन पुस्तक प्रकाशित करने वाली संस्था श्रीभारती प्रकाशन, नागपुर द्वारा किया गया।

[caption id="attachment_784557" align="alignnone" width="1024"]publive-image विश्व संवाद केंद्र में ‘बरोह’ के विमोचन और चर्चा कार्यक्रम में मौजूद गणमान्य नागरिक।[/caption]

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परिवार में बढ़ रही दूरियां...

डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा, संघ ने शताब्दी वर्ष में जिन पांच विषयों पर कार्य करने का निश्चय किया है। उसमें कुटुंब प्रबोधन प्रमुख है। आज के समय में करियर की चाह में परिवार के साथ बैठना नहीं हो पा रहा है। सोशल मीडिया ने दुनिया के लोगों से तो हमें जोड़ दिया है, लेकिन परिवार के सदस्यों से दूरियां बढ़ा दी है। इसलिए आवश्यक है कि हम मोबाइल फोन बंद साइलेंट रखे, टेलीविजन बंद करे और परिवार के साथ अपनों के साथ बैठे।

डॉ. वैद्य ने यह भी कहा

डॉ. वैद्य ने कहा, हम सभी परिवार के लोगों के साथ बैठें, उनसे पुस्तक पर चर्चा करें, इसमें शामिल छोटी-छोटी कहानियों पर चर्चा करें, तभी इस पुस्तक की सार्थकता बनेगी। इस दौरान उन्होंने पुस्तक की कहानी छुट्टी और विक्रम का संक्षिप्त विवरण दिया।

'वैल्यू अलग है और स्किल्स अलग'

डॉ. वैद्य ने कहा, हमें यह बात बहुत अच्छे से समझने की आवश्यकता है कि वैल्यू अलग है और स्किल्स अलग। अगर हम यह बात अच्छे से समझ लें और दोनों शब्दों के अर्थ को बेहतर ढंग से जान लें, तो हमें जीवन में कभी कोई दिक्कत नहीं आएगी। डॉ. वैद्य ने कहा, हमें साथ बैठना है, अतीत को झांकना है और भविष्य के स्वप्न देखना है।

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[caption id="attachment_784559" align="alignnone" width="1032"]publive-image विश्व संवाद केंद्र में 'बरोह' पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में संबोधित करते डॉ. मनमोहन वैद्य।[/caption]

पुस्तक की हर कहानी प्रासंगिक- तिवारी

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने कहा, मैंने कई किताबें पढ़ी जिनका अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ और वह किताब कहीं न कहीं अपना प्रवाह छोड़ देती है। इस किताब को गिरीश जोशी जी ने जिस सूझबूझ के साथ अनुवादित किया, वह आपको अंत तक बांधे रखने में सफल होगी। उन्होंने कहा कि हिंदी के पाठकों को जोड़ने के लिए यह जो पहल की गई है वह सराहनीय है। उन्होंने आगे भी इस तरह की श्रृंखला को जारी रखने की बात कही।

'बरोह में 48 लेख और प्रसंग'

इस दौरान पुस्तक के बारे में गिरीश जोशी ने कहा, 125 पृष्ट की इस पुस्तक में 48 लेख और प्रसंग शामिल हैं। उन्होंने कहा, विद्वान वही है जो कठिन भाषा को सरल और सहज ढंग से आमजन तक पहुंचा सके, सहस्त्रबुद्धे जी ने वही कार्य किया है।

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ऐसे समझें... बरोह मतलब

जोशी ने बताया, 'बरोह' का संबंध वटवृक्ष से होता है। 'बरोह' का नाम सुनते ही आंखों के सामने वटवृक्ष आ जाता है। अन्य वृक्षों की भी अनेक शाखाएं होती हैं, लेकिन 'बरोह' तो केवल वटवृक्ष का ही वैभव है। वटवृक्ष की शाखाओं से 'बरोह' नीचे उतरकर पुनः धरती में प्रविष्ट होती है और एक नवीन वटवृक्ष को जन्म देती है। ऐसा वृक्ष जो नया होने के बावजूद पुराने से जुड़ा रहता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंशुल राय और आभार मंगेश जोशी ने माना।

सरकार का किसानों के हित में बड़ा फैसला: PSS के तहत तुअर-उड़द, मसूर की खरीद को मंजूरी, शिवराज ने किसान हितैषी फैसला बताया

PM AASHA Yojana

PM AASHA Yojana: केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों के हित में एक और बड़ा फैसला लिया है। अब किसानों की अरहर, उड़द और मसूर की खरादी 100 प्रतिशत मूल्य समर्थन योजना (PSS ) पर की जाएगी। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि सरकार ने खरीद वर्ष 2024-25 के लिए राज्य के उत्पादन को इस पीएसएस के तहत खरीद को मंजूरी दी है। देश के केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार किसानों की भलाई के लिए लगातार काम कर रही है। इसी कड़ी में सरकार ने अरहर (तुअर), उड़द और मसूर दाल की 100% खरीदी की मंजूरी दी है। पुरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...

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