Bhopal Saif Ali Khan Ancestral Property Dispute: भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्ला खान की पुश्तैनी संपत्ति को लेकर 25 साल से चल रहे पुराने संपत्ति विवाद में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने साल 2000 में ट्रायल कोर्ट द्वारा दिया गया आदेश रद्द करते हुए इस मामले की फिर से सुनवाई करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट के इस निर्णय से फिल्म अभिनेता सैफ अली खान, उनकी मां शर्मिला टैगोर और पटौदी परिवार को बड़ा झटका लगा है।
कोर्ट ने पलटा 25 साल पुराना फैसला
जबलपुर हाई कोर्ट की एकल पीठ (जस्टिस संजय द्विवेदी) ने स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट ने इलाहाबाद HC के पुराने निर्णय के आधार पर यह मामला खारिज कर दिया था, जबकि सभी पहलुओं पर विचार भी नहीं किया गया था। हाई कोर्ट ने निजी संपत्ति पर ट्रायल कोर्ट की धारणाओं को कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण बताया।
अदालत ने यह फैसला नवाब मोहम्मद हमीदुल्लाह खान की संपत्ति के उत्तराधिकार से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया है। साथ ही अदालत ने ट्रायल कोर्ट के साल 2000 में दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया है, और मामले की दोबारा सुनवाई के निर्देश दिए हैं।
1 साल में फैसला सुनाए ट्रायल कोर्ट
हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही ‘भोपाल सिंहासन उत्तराधिकार अधिनियम 1947’ को रद्द कर चुका है, इसलिए ट्रायल कोर्ट का निर्णय कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण और अधूरा था। हाई कोर्ट ने निचली अदालत (ट्रायल कोर्ट) को निर्देश दिए हैं कि वह इस संपत्ति विवाद की नई सुनवाई एक वर्ष के भीतर पूरी करे। साथ ही सभी पक्षों की दलीलों को फिर से सुना जाए और किसी भी पक्ष को न्याय से वंचित न रखा जाए।
क्या है पूरा संपत्ति विवाद
इस फैसले से अभिनेता सैफ अली खान और उनका परिवार कानूनी रूप से प्रभावित हुआ है, क्योंकि यह विवाद उनकी परदादी साजिदा सुल्तान से जुड़ी संपत्ति को लेकर है। ट्रायल कोर्ट ने पहले साजिदा सुल्तान को नवाब हमीदुल्ला खान की पूरी पैतृक संपत्ति का उत्तराधिकारी मानते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया था। नवाब की बड़ी बेगम की बेटी साजिदा सुल्तान को ट्रायल कोर्ट ने संपूर्ण पैतृक संपत्ति दे दी थी, जिसे अब अन्य वारिसों ने चुनौती दी है।
संपत्ति के अन्य वारिसों ने दी चुनौती
इस संपत्ति विवाद में याचिकाकर्ताओं में नवाब की दूसरी पत्नी की संतानें और उत्तराधिकारी शामिल हैं। नवाब की दूसरी पत्नी और अन्य वारिसों ने हाई कोर्ट में अपील कर मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार संपत्ति के समान और न्यायपूर्ण बंटवारे की मांग की है। उनका कहना है कि संपत्ति का पूरा अधिकार केवल एक वारिस को नहीं दिया जा सकता, जबकि अन्य उत्तराधिकारी भी कानूनी रूप से इसके हकदार हैं।
हाई कोर्ट ने इस अपील को स्वीकारते हुए अब वारिसों की अपील पर अदालत ने यह फैसला सुनाया है। साथ ही पुराना फैसला रद्द कर दिया है और ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया है कि वह सभी पक्षों को सुनकर नए सिरे से निर्णय ले।
भोपाल नवाब की करोड़ों की संपत्ति पर अधिकार को लेकर उठे इस विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है। ट्रायल कोर्ट में दोबारा सुनवाई से अब पटौदी परिवार और नवाब की अन्य संतानों के दावे की जांच नए सिरे से होगी।