हाइलाइट्स
- भोपाल में बीसीएलएल के डिपो में महीनों से सड़ रही 149 बसें
- आधे से ज्यादा रूट पर रेड बसें नहीं मिलने से परेशान यात्री
- ऑटो, निजी बसों में जानवरों की तरह जाने को मजबूर यात्री
Bhopal Red Bus Public Transport Issues: राजधानी भोपाल की करीब 25 लाख की आबादी इन दिनों सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के संकट से गुजर रही है। भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (Bhopal City Link Limited) की रेड सिटी बसें (City Bus) लंबे समय से डिपो में खड़े-खड़े सड़ रही हैं, जिससे आम लोगों को दैनिक आवागमन के लिए ऑटो और निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है। यात्री बताते हैं कि वे “भेड़-बकरियों की तरह” सफर करने को मजबूर हैं।
दरअसल, नगर निगम (Municipal Corporation), बीसीएलएल (BCLL) और बस ऑपरेटर (Bus Operator) के बीच विवाद के चलते 149 रेड बसें महीनों से डिपो में खड़ी हैं। इन बसों के संचालन पर रोक का असर आम नागरिकों पर साफ नजर आ रहा है। भोपाल (Bhopal) के 24 रूटों में से फिलहाल केवल 12 रूटों पर ही बसें चल रही हैं। बस ऑपरेटर और नगर निगम प्रशासन के विवाद में इन बसों के पहिए थमने का खामियाजा आम यात्रियों को भुगतना पड़ रहा हैं, लेकिन प्रशासन से लेकर शहर के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि जनता की मुसीबत को लेकर बेफिक्र नजर आ रहे हैं।
महंगा किराया चुकाकर सफर करना पड़ रहा
वर्किंग वूमेन (Working Woman) रेशमा वमल (Reshma Vamal) कहती हैं कि लालघाटी (Lal Ghati) रूट पर रेड सिटी बस चल ही नहीं रही है। सुबह ऑफिस (Office) आने में देर हो जाती है। रोज प्राइवेट बसों (Private Buses) का 50 से 60 रुपए किराया चुकाना पड़ रहा। स्टूडेंट (Student) हर्षा उपाध्यय (Harsha Upadhyay) कहती हैं कि रेड सिटी बसें चल ही नहीं चलने से कोचिंग (Coaching) लेट पहुंचते है। आने-जाने में काफी दिक्कत होती है।
ब्लू बसों में भेड़-बकरियों की तरह लेकर जा रहे
वर्किंग वूमन पूनम (Poonam) कहती हैं कि रेड सिटी बसें (Red City Bus) तो नहीं आती है। जो ब्लू बसें (Blue Buses) चल रही, उसमें भेड़-बकरियों की तरह लेकर जा रहे हैं। प्रॉब्लम (Problem) रोज फेस करना पड़ रहा है। कोई विकल्प नहीं है तो जाना मजबूरी है। पता नहीं प्रशासन और ऑपरेटर में क्या विवाद चल रहा है। वैशाली (Vaishali) कहती हैं कि बैठने के लिए जगह नहीं है। सरकार को रेड सिटी बस चलाना चाहिए।
निजी बसों में काफी भीड़ हैं, सभी परेशान हो रहे
स्टूडेंट शीतल (Shital) ने बताया कि कटारा हिल्स (Katara Hills) के लिए रेड सिटी बस नहीं मिल रही हैं। जो प्राइवेट बसें चल रही हैं, उनमें काफी भीड़ हैं। स्टूडेंट विद्या (Vidhya) कहती हैं जिस रूट पर चलाना चाहिए, वहां बसें ही नहीं मिल रही हैं। स्टूडेंट पूनम कमरे ((Poonam Kamare) ने कहा कि रातीबड़ (Ratibad) जाने के लिए बस नहीं मिल रही। सयम पर बस नहीं मिलने से परेशान होते है।
रूट पर रेड बस ही नहीं चल रही हैं
कर्मचारी नीतेश (Nitesh) कहते हैं शहर में अशोका गार्डन थाना (Ashoka Garden Police Station) रूट पर रेड बस ही नहीं चल रही हैं। आप देख सकते हैं ऑटो में किस तरह बैठने को मजबूर है। रेड बसें पहले चलती थीं, अब दो-चार बसें ही दिखती हैं। उसमें भी भीड़ हैं। इसलिए ऑटो में जाना पड़ रहा है।
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खड़ी बसों के मेंटनेंस पर कौन उठाएगा खर्च
दो साल पहले 368 बसों से शुरू हुई ये सेवा आज सीमित हो गई है। 149 बसें डिपो में सड़ रही हैं, जबकि बस ऑपरेटर मां एसोसिएट्स (Bus Operator Maa Associates) बीते 10 महीने का 5 करोड़ रुपए मेंटनेंस का खर्च मांग रहा है। जिसको लेकर कोर्ट में मामला लंबित है। बता दें कि शहर में 24 रूट्स हैं, जिनमें से सिर्फ 12 रूट पर बसें चल रही हैं।
पहले सहमति बनी, फिर केस लगाया, जनता परेशान
बीसीएलएल डायरेक्टर मनोज राठौर ( BCLL Director Manoj Rathore) ने बताया कि महापौर (Mayor), आयुक्त (Commissioner), सीईओ (CEO) के साथ मिलकर ऑपरेटर के साथ बैठक हो चुकी है। दोनों पक्षों में सहमति बन गई थी लेकिन फिर ऑपरेटर ने कोर्ट में केस लगा दिया। जिस वजह से आम जनता परेशान हैं। प्रयास कर रहे हैं कि जल्द बसें शुरू हो।
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