हाइलाइट्स
- भोपाल में पहली बार देहदानी को राजकीय गार्ड ऑफ ऑनर।
- नेशनल हॉस्पिटल संचालक की मां रमा चौदा को सम्मान।
- प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने दी श्रद्धांजलि।
Bhopal First Body Donation With State Honors: राजधानी भोपाल में देहदान करने वाली नेशनल हॉस्पिटल संचालक राजेश गुप्ता की मां रमा चौदा का ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देकर राजकीय सम्मान किया गया। भोपाल में यह पहला मौका है जब किसी देहदानी का ऐसा राजकीय सम्मान किया गया। देहदान जैसे महान कार्य के लिए उन्हें न सिर्फ मेडिकल साइंस ने सराहा, बल्कि सरकार ने भी उन्हें राजकीय सम्मान देकर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। यह भोपाल का पहला मौका था जब किसी देहदानी को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देकर अंतिम विदाई दी गई। दरअसल, 1 जुलाई 2025 को मध्य प्रदेश शासन ने देहदान और अंगदान करने वाले व्यक्ति को राजकीय सम्मान देने के निर्देश दिए गए थे।
भोपाल में देहदान को मिला सम्मान
राजधानी भोपाल में समाजसेवा और मानवता की मिसाल बनीं स्व. रमा चौदा को उनके देहदान के फैसले पर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा राजकीय सम्मान प्रदान किया गया। यह पहली बार है जब किसी देहदानी को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देकर विदाई दी गई। यह कार्य किरण फाउंडेशन और गांधी मेडिकल कॉलेज के सहयोग से संपन्न हुआ।
मेडिकल शिक्षा को मिलेगा लाभ
रमा चौदा के बेटे राजेश गुप्ता, जो नेशनल हॉस्पिटल भोपाल के मेडिकल संचालक हैं, ने मां के इस निर्णय को आगे बढ़ाते हुए गांधी मेडिकल कॉलेज में देहदान की प्रक्रिया पूरी कराई। कॉलेज की डीन डॉ. कविता एन. सिंह और डॉ. संदीप जी ने भी इस कार्य में पूरा सहयोग दिया।
उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने दी श्रद्धांजलि
एमपी के उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा, “देहदान सबसे बड़ा दान है। यह एक ऐसा कार्य है जो इंसान को मृत्यु के बाद भी जीवित रखता है।” उन्होंने रमा चौदा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका यह फैसला आने वाली पीढ़ियों को चिकित्सा शिक्षा में अमूल्य योगदान देगा। डिप्टी सीएम शुक्ल ने कहा है कि देहदान सबसे बड़ा दान है। यह मानव जीवन को सेवा के माध्यम से अमर बना देता है। मध्यप्रदेश सरकार ऐसे प्रेरणादायी कार्यों को सम्मान देने के लिए संकल्पित है।
समाज में जागरूकता की नई शुरुआत
गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. कविता सिंह ने कहा कि इस राजकीय सम्मान से देहदान जैसे पुण्य कार्यों के प्रति समाज में जागरूकता और प्रेरणा दोनों बढ़ेगी। अब लोग इससे प्रेरित होकर जीवन के अंतिम पड़ाव में भी समाज के काम आने का विचार करेंगे।
प्रदेश के लिए 3 नई योजनाएं –
– गंगोत्री योजना
– एक बगिया मां के नाम योजना
– देहदान-अंगदान करने वालों के लिए ''गार्ड ऑफ ऑनर' योजना pic.twitter.com/gc1dcwVaDv— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) July 2, 2025
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की थी घोषणा
बता दें कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने देहदान और अंगदान करने वाले व्यक्ति को राजकीय सम्मान देने की घोषणा की थी। सीएम ने कहा था कि मध्यप्रदेश में अंगदान और देहदान करने वाले नागरिकों को अब अंतिम विदाई राजकीय सम्मान के साथ दी जाएगी। अब यह पहल पूरे राज्य में लागू की गई है, जिससे समाज में मानवता और सेवा के इन कार्यों के प्रति सम्मान और जागरूकता दोनों बढ़ें।
मानवीय सेवा को मिली नई पहचान
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया था कि देहदान और अंगदान करने वाले दिवंगत नागरिकों के पार्थिव शरीर को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देकर सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उनकी उस अद्वितीय सेवा भावना को दर्शाता है, जिससे उन्होंने मृत्यु के बाद भी दूसरों के जीवन को रोशनी देने का काम किया।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में हृदय और अन्य अंगों के प्रत्यारोपण की सुविधाओं को सशक्त किया जा रहा है। जहां एयर एम्बुलेंस की सुविधा संभव है, वहां यह उपलब्ध कराई जा रही है, और जहां नहीं, वहां हेलिकॉप्टर के माध्यम से मरीजों को तत्काल उपचार दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
पूरे राज्य में लागू होंगे यह निर्देश
मध्यप्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने समस्त संभागायुक्तों, कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों और पुलिस आयुक्तों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि देहदान या अंगदान करने वालों को राजकीय सम्मान देना अनिवार्य किया जाए। यह कदम समाज को इस दिशा में प्रेरित करने और इन महान आत्माओं को सम्मानित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
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परिजनों को भी मिलेगा विशेष सम्मान
राज्य सरकार ने न सिर्फ देहदान और अंगदान करने वाले दिवंगत नागरिकों को, बल्कि उनके परिजनों को भी सम्मानित करने का निर्णय लिया है। हर साल 26 जनवरी और 15 अगस्त पर जिला स्तरीय समारोहों में इन परिवारों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा। इसके लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इस खबर से जुड़े 5 FAQ
1. देहदान को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देने की शुरुआत कब से हुई?
उत्तर: मध्यप्रदेश शासन ने 1 जुलाई 2025 को एक आदेश जारी कर यह घोषणा की थी कि देहदान और अंगदान करने वालों को अंतिम विदाई राजकीय सम्मान (गार्ड ऑफ ऑनर) के साथ दी जाएगी। भोपाल में स्व. रमा चौदा को यह सम्मान मिलने वाला पहला उदाहरण है।
2. स्व. रमा चौदा कौन थीं और उनके देहदान का महत्व क्या है?
उत्तर: स्व. रमा चौदा भोपाल निवासी थीं और उनके बेटे राजेश गुप्ता, नेशनल हॉस्पिटल भोपाल के संचालक हैं। उन्होंने अपना शरीर गांधी मेडिकल कॉलेज को देहदान किया, जिससे मेडिकल छात्रों को पढ़ाई और रिसर्च में मदद मिलेगी। उन्हें देहदान के लिए राजकीय सम्मान भी दिया गया।
3. क्या अंगदान और देहदान करने वाले परिजनों को भी सरकार सम्मान देती है?
उत्तर: हाँ, मध्यप्रदेश सरकार ने निर्देश जारी किए हैं कि हर साल 26 जनवरी और 15 अगस्त को देहदान और अंगदान करने वाले लोगों के परिजनों को भी सम्मानित किया जाएगा। इसके लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदारी दी गई है।
4. राजकीय सम्मान में ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: गार्ड ऑफ ऑनर एक राजकीय सम्मान है, जिसमें दिवंगत व्यक्ति को सशस्त्र बलों या पुलिस द्वारा अंतिम विदाई दी जाती है। यह उच्च सम्मान आमतौर पर शहीदों, नेताओं या विशेष योगदान देने वालों को दिया जाता है। अब देहदान करने वालों को भी यह सम्मान दिया जाता है।
5. इस पहल से समाज को क्या लाभ होगा?
उत्तर: इस पहल से समाज में देहदान और अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, मेडिकल शिक्षा को संसाधन मिलेंगे और मानवता को बढ़ावा मिलेगा। लोग मृत्यु के बाद भी समाज के लिए उपयोगी बनने की प्रेरणा लेंगे।