हाइलाइट्स
- भोपाल मेट्रो की स्पीड टेस्टिंग।
- मेट्रो के स्टील ब्रिज की लोड टेस्टिंग।
- रेत से भरी बोरियों से जांच।
Bhopal Metro Update: भोपाल के हबीबगंज रेलवे क्रॉसिंग पर बने मेट्रो के स्टील ब्रिज की लोड टेस्टिंग शुरू हो गई है। शुक्रवार रात को रेत से भरी बोरियों से लदी दो मेट्रो ट्रेनें ब्रिज के ऊपर खड़ी कर दी गईं। इन बोरियों का वजन 1800 यात्रियों के बराबर है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह ब्रिज का ‘हेल्थ चेकअप’ जैसा है। शनिवार को पूरे दिन यह मेट्रो ब्रिज पर ही खड़ी रहेगी।
900 मीट्रिक टन वजन के साथ टेस्टिंग
इस स्टील ब्रिज को 600 मीट्रिक टन वजन सहने के लिए डिजाइन किया गया है। पहले भी इसकी लोड टेस्टिंग हो चुकी है, जबकि दूसरी टेस्टिंग शुक्रवार से शुरू हुई।
शाम को रेत से भरी बोरियों से लदी तीन कोच वाली दो मेट्रो ट्रेनें ब्रिज पर लाई गईं और खड़ी कर दी गईं।
शनिवार को यह देखा जाएगा कि 65 मीटर लंबे ब्रिज पर 24 घंटे में क्या बदलाव आते हैं। यह ब्रिज की फाइनल टेस्टिंग है।
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600 मीट्रिक टन वजन का डेढ़ गुना भार डाला गया
- मेट्रो के एक कोच में 300 यात्री बैठ सकते हैं (50 बैठकर, 250 खड़े होकर)। अगर एक यात्री का औसत वजन 60 किलो माना जाए, तो पूरी ट्रेन का वजन 600 मीट्रिक टन होता है।
- टेस्टिंग के लिए इसका डेढ़ गुना (900 मीट्रिक टन) वजन रेत की बोरियों के रूप में लादा गया, ताकि 90 किमी/घंटा की रफ्तार से ट्रायल रन किया जा सके। दूसरी ट्रेन के साथ भी ऐसा ही किया गया है।
ब्रिज की सुरक्षा और स्थिरता की जांच
- ट्रेन को ब्रिज पर खड़ा करके लोड टेस्टिंग की जा रही है। इंजीनियर ब्रिज की हेल्थ रिपोर्ट चेक करेंगे, यानी यह पता लगाया जाएगा कि क्या ब्रिज ट्रेन और यात्रियों का वजन सहन करने में सक्षम है।
- इसी मार्च में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से एम्स तक पहली बार मेट्रो चलाई गई थी। पहले दिन इसकी गति 10-20 किमी/घंटा रखी गई थी और 3 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 12 मिनट में पूरी हुई।
- इससे पहले, सुभाषनगर से आरकेएमपी के बीच ही मेट्रो परीक्षण चल रहा था। अब 3 किमी के नए ट्रैक पर भी ट्रायल रन सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है।
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