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भोपाल में पत्रकार के खिलाफ झूठा‌ केस : पुलिस ने दबाव में लगाई अड़ीबाजी करने की धारा, सेशंस कोर्ट से मिली जमानत

Journalist Kuldeep Singoria Arrest: भोपाल के कटारा हिल्स थाने में पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर मीडियाकर्मी एकजुट हो गए हैं। पत्रकारों ने थाने के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। पत्रकारों का आरोप है कि पुलिस ने बिना ठोस जांच के कुलदीप पर एक्सीडेंट के मामले में गंभीर धाराएं लगा दी हैं।

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Kushagra valuskar
भोपाल में पत्रकार के खिलाफ झूठा‌ केस : पुलिस ने दबाव में लगाई अड़ीबाजी करने की धारा, सेशंस कोर्ट से मिली जमानत

पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया को पुलिस ने किया गिरफ्तार।

हाइलाइट्स
  • पत्रकार के खिलाफ अड़ीबाजी की झूठी एफआईआर।
  • कटारा हिल्स थाने में धरने पर बैठे मीडियाकर्मी।
  • पुलिस महानिदेशक ने दिए जांच के निर्देश।
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Bhopal Journalist Arrest: भोपाल में पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया पर फर्जी मुकदमा दर्ज होने के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। यहां बंसल न्यूज के खबर का बड़ा असर देखने को मिला है। सेशन कोर्ट से पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया को जमानत मिल गई है, साथ हीं पत्रकारों के विरोध और चक्काजाम के बाद कटारा हिल्स थाना TI को लाइन अटैच कर दिया गया है।

बता दें, सुबह से ही पत्रकारों ने थाने में धरना दिया और पीएचक्यू के बाहर चक्काजाम कर कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद पुलिस कमिश्नर हरीनारायणचारी ने TI को हटाने का आदेश दिया। धरना कर रहे पत्रकारों का आरोप है कि बिना सबूत के एक्सीडेंट और अड़ीबाजी के झूठे केस में गिरफ्तारी की गई थी। इस मामले में पूर्व सीएम कमलनाथ और बीजेपी नेता आशीष अग्रवाल ने भी पत्रकारों का समर्थन किया है।

कटारा हिल्स थाने में पत्रकारों का धरना

भोपाल में वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप सिंह सिंगोरिया को खिलाफ सोमवार, 24 मार्च की रात झूठे मामले में एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने के खिलाफ कई पत्रकार कटारा हिल्स थाने में धरने पर बैठ गए। पत्रकारों की मांग थी कि सिंगोरिया के खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

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मामले की जानकारी मिलने पर प्रदेश बीजेपी के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल भी प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों के साथ थाने पहुंचे। बताया जा रहा है कि इस मामले में पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना ने भोपाल के एडिशनल पुलिस कमिश्नर अवधेश गोस्वामी को मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं।

इधर, पुलिस ने सिंगोरिया को जेल भेज दिया है। अब वे मामले को लेकर जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील कर रहे हैं।

पत्रकार सिंगोरिया के खिलाफ दर्ज केस पूरी तरह से फर्जी

Rajneesh Barya, Senior Advocate

पत्रकारों का आरोप, बिना सबूत के गिरफ्तारी

धरने पर बैठे पत्रकारों का कहना है कि कुलदीप सिंगोरिया को सोमवार को आधी रात गिरफ्तार किया गया। जिस गाड़ी से हादसे का आरोप लगाया गया है। वह कुलदीप की नहीं है और वह उस समय मौजूद भी नहीं थे। पुलिस ने कुलदीप को गिरफ्तार करते समय उसका मोबाइल फोन जब्त कर लिया। परिवार और दोस्तों को सूचित भी नहीं किया।

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[caption id="" align="alignnone" width="800"]publive-image थाना परिसर में धरना देते पत्रकार।[/caption]

भाजपा नेता ने उठाई आवाज, मुख्यमंत्री से मांगी तत्काल कार्रवाई

इस मामले में भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने भी पत्रकारों का समर्थन किया और कटारा हिल्स थाने पहुंचे। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से तुरंत कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि यह मामला गंभीर है। थाना प्रभारी को निलंबित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने की बात कही।

[caption id="" align="alignnone" width="800"]publive-image बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल कटारा हिल्स थाने पहुंचे।[/caption]

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फरियादी का आरोप: बुलेरो से टक्कर और धमकी

फरियादी शेख अकील (33 वर्ष) ने कटारा हिल्स थाने में शिकायत दर्ज कराई है। उसके अनुसार, 20 मार्च 2025 को वह अपनी एक्सिस स्कूटर (MP-04-JAL-0519) में एम्स अस्पताल से बागसेवनिया जा रहा था, जबकि उसका दोस्त फैजान एक्टिवा पर सवार था। विवेकानंद कॉलोनी के पास एक सफेद बोलेरो ने तेज रफ्तार से उसकी गाड़ी को टक्कर मार दी।

आरोप है कि बोलेरो से उतरे 5-6 लोगों ने शेख अकील को गालियां दीं, मारपीट की और 50 हजार रुपये की मांग की। उन्होंने धमकी दी कि अगर पैसे नहीं दिए तो उसे जान से मार दिया जाएगा।

शेख अकील किसी तरह वहां से भागने में सफल रहा और उसने पुलिस में शिकायत की। इसी के आधार पर पुलिस ने पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, एफआईआर में कुलदीप सिंगोरिया की जगह कुलदीप सिसौदिया व उसके साथ का नाम दर्ज है।

पत्रकारों की मांग, निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई

पत्रकार संगठनों का कहना है कि इस मामले में कई विसंगतियां हैं, जो इसे झूठा साबित करती हैं। उन्होंने निष्पक्ष जांच और मीडियाकर्मियों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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