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गायत्री परिवार का युवा चिंतन शिविर: मुख्यमंत्री ने कहा- मौजूदा शिक्षा नीति में समाहित सांस्कृतिक विरासत पर हमें गर्व

Madhya Pradesh Bhopal Gayatri Parivar Chintan Shivir 2025 Update: भोपाल में गायत्री परिवार का प्रांतीय युवा चिंतन शिविर का सोमवार, 27 अक्टूबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और देव संस्कृति विवि हरिद्वार ने उद्घाटन किया।

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BP Shrivastava
Bhopal Gayatri Parivar

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हाइलाइट्स

  • भोपाल में गायत्री परिवार का युवा चिंतन शिविर 29 तक
  • शिविर का सीएम डॉ. मोहन यादव ने किया उद्घाटन
  • डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने किया युवाओं को संबोधित
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Bhopal Gayatri Parivar: भोपाल में गायत्री परिवार का प्रांतीय युवा चिंतन शिविर का सोमवार, 27 अक्टूबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और देव संस्कृति विवि हरिद्वार के कुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने उद्घाटन किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो शिक्षा नीति (2020) आई उसमें वो हर चीज समाहित करने का प्रयास किया गया, जिससे हम अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व कर सकें। हमें अहसास हो कि हम सनातन संस्कृति के संवाहक हैं।

शिवर भोपाल के शारदा विहार विद्यालीय में 27 से 29 अक्टूबर तक आयोजित किया जा रहा है। जो 'राष्ट्र एवं संस्कृति का उत्थान' विषय पर फोकस है। आयोजन गायत्री परिवार की माताजी भगवती देवी शर्मा के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर किया जा रहा है।

[caption id="attachment_921300" align="alignnone" width="938"]publive-image सीएम डॉ. मोहन यादव गायत्री परिवार के प्रांतीय युवा चिंतन शिविर के उद्घाटन मौके पर पूजन करते हुए।[/caption]

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मुख्यमंत्री ने यह भी कहा

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश देश का दिल है। ...और हार्ट मजबूत होता है तो शरीर भी अपने आप मजबूत हो जाता है। हृदय की जैसी शरीर में भूमिका है वैसी ही भूमिका देश में मध्यप्रदेश की है। मैं देश के परिपेक्ष में गायत्री परिवार को भी उसी परिपेक्ष में देखता हूं।
मुख्यमंत्री ने कहा, जिओ और जीने दो का भाव केवल बोलने का वाक्य नहीं हो सकता है। इसे चरितार्थ करके भारत ने विश्व के सामने दिखाया है और नमस्कार का अर्थ क्या होता है यह भी दुनिया ने देखा है।

[caption id="attachment_921302" align="alignnone" width="899"]publive-image गायत्री परिवार के प्रांतीय युवा चिंतन शिविर के उद्घाटन मौके पर मौजूद बहनें।[/caption]

'शिक्षा नीति में सांस्कृतिक विरासत समाहित'

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि शिक्षा नीति देश में दो बार आई। सन 1968 और 86 में। दोनों बार सिर्फ ऊपर के कलेवर को बदला, अंदर का मेटेरियल नहीं बदला गया... यह दुर्भाग्य है देश का। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जो शिक्षा नीति 2020 आई उसमें वो हर चीज समाहित करने का प्रयास किया गया, जिससे हम अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व कर सकें। हमें अहसास हो कि हम सनातन संस्कृति के संवाहक हैं। वो सारे उदाहरण जिन्हें पहले चिमटे से पकड़ने में भी डर लगता था, उन्हें हमने पाठ्यक्रम में बिंदास तरीके से शामिल कर दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया।

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[caption id="attachment_921304" align="alignnone" width="919"]publive-image सीएम डॉ. मोहन यादव को गायत्री परिवार के प्रांतीय युवा चिंतन शिविर के उद्घाटन के बाद स्मृति चिन्ह देते डॉ. चिन्मय पण्ड्या।[/caption]

कृष्ण-सुदामा की दोस्ती क्यों नहीं बतानी चाहिए ?

सीएम ने कहा कि अगर मित्रता का उदाहरण देना है तो भगवान कृष्ण और सुदामा की दोस्ती क्यों नहीं बतानी चाहिए ? इसमें क्या परेशानी है, लेकिन हम जैसे ही भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता की बात करते हैं तो तथातथित लोग हमें जाने क्या-क्या कहते थे। उन्होंने कहा कि भगवान राम-कृष्ण और ऐसे उनके सभी अनुयायिओं के सारे प्रसंगों को शिक्षा नीति में शामिल करने से हमें कोई परहेज नहीं हैं। जिनके उदाहरण से हमारी युवा पीड़ी सीख ले सके।

[caption id="attachment_921305" align="alignnone" width="894"]publive-image गायत्री परिवार के प्रांतीय युवा चिंतन शिविर के उद्घाटन मौके पर मौजूद सदस्यगण।[/caption]

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युवा चिंतन शिविर का उद्देश्य

तीन दिवसीय शिविर का मुख्य उद्देश्य युवाओं में राष्ट्रभक्ति, सांस्कृतिक चेतना और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा देना है। शिविर के दौरान विभिन्न सत्रों में प्रेरणादायी व्याख्यान, समूह चर्चा, योग, ध्यान और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी।

'भगवान का पता बताने वाली भारत भूमि'

डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, राजा रंतिदेव, राजा छत्रसाल, स्वामी रामतीर्थ समेत कई महापुरुषों के उदाहरण देकर युवाओं को संबोधित किया।
डॉ. पण्ड्या ने कहा, गायत्री परिवार के संस्थापक श्रीराम शर्मा ने कहा था-जिस दिन भारत जागेगा, उसी दिन विश्व जागेगा। भगवान का पता बताने वाली भूमि भारत की भूमि हैं। भारतीय संस्कृति अजर-अमर है। यहां मंदिरों के कलश जितनी बार गिरते हैं उतनी ही बार पूरी भव्यता के साथ ऊपर चढ़ते हैं।

डॉ. पण्ड्या ने कहा, भारत की जो पुकार है वह जन जन में भगवान देखने की पुकार है। हमारा एक ही उद्देश्य होना चाहिए हम भारत के नव निर्माण में जुटें।

डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने यह भी कहा

उन्होंने कहा, भारत के ऊपर जो ग्रहण लगाकर बैठे हैं। उन्हें दूर करने का समय आ गया है। क्षितिज के ऊपर सूर्य का प्रकाश आने वाला है। भारत फिर से उठ कर खड़ा होने वाला है। सृष्टि के सौभाग्य का सूर्योदय होने वाला है। उसके आने के पहले के समाचार को देने के लिए हम सबका चयन किया गया है। यहां से उन्हीं संकल्प के भाव को लेकर जाएं।

डॉ. पण्ड्या ने एक वाकया सुनाया। जिसमें एक नन्ही बेटी अपने छोटे भाई को किसी तरह गोद में लेकर पहाड़ चढ़ रही थी, एक स्वामी जी ने उससे कहा, बेटी मैं तुम्हारे मददकर भार को कम कर सकता हूं। जिस पर बेटी ने कहा... स्वामी जी यह भार नहीं, भाई है। इसके माध्यम से उन्होंने कहा, मैं यही कहूंगा...यह योजनाएं नहीं हैं। यह हमारी मां हैं। भारत माता हमारी मां हैं। उनको भार की तरह नहीं, भाई की तरह से, बेटे की तरह से, पुत्र- पुत्री की तरह से उनकी रक्षा करने की आवश्यकता है। इस भाव को लेकर आप यहां से जाएंगे, ऐसी मेरा विश्वास है।

FAQ

Q. गायत्री परिवार की स्थापना कब और किसने की थी ?

गायत्री परिवार की स्थापना पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा वर्ष 1953 में की गई थी। उन्होंने हरिद्वार (उत्तराखंड) स्थित शांतिकुंज आश्रम को इसका मुख्यालय बनाया। संगठन की प्रेरणा गायत्री महामंत्र और वेदिक संस्कृति के पुनर्जागरण से मिली।

Q. गायत्री परिवार की स्थापना का उद्देश्य क्या था?

गायत्री परिवार का प्रमुख उद्देश्य "विचार क्रांति" के माध्यम से समाज में नैतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जागरण लाना है।
मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं-

  • मानव जीवन में संस्कार, संयम और सेवा के मूल्यों का विकास।
  • नशामुक्ति, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, और स्वावलंबन को बढ़ावा देना।
  • “युग निर्माण आंदोलन” के तहत एक समतामूलक और जागरूक समाज का निर्माण करना।

Q. गायत्री परिवार का मुख्यालय कहां है ?

संगठन का मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार (उत्तराखंड) में स्थित है।

इसके अतिरिक्त, इसका एक प्रमुख अनुसंधान केंद्र ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान भी हरिद्वार में है, जहां अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय पर कार्य होता है।

Q. वर्तमान में गायत्री परिवार का विस्तार कहां-कहां तक है ?

  • वर्तमान में गायत्री परिवार का नेटवर्क विश्वभर के 90 से अधिक देशों में फैला हुआ है।
  • भारत में लगभग 5,000 से अधिक सक्रिय प्रज्ञा केंद्र, 3,000 से अधिक महिला मंडल, और सैकड़ों युवा मंडल कार्यरत हैं।
  • विदेशों में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, मॉरीशस, और यूएई में इसके सक्रिय केंद्र हैं।

Q. गायत्री परिवार में कितने सदस्य जुड़े हुए हैं?

गायत्री परिवार से वर्तमान में विश्वभर में 5 करोड़ से अधिक सदस्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।
इनमें साधक, सेवक, युवा संगठन, महिला मंडल और प्रज्ञा परिवार के स्वयंसेवक शामिल हैं।

Q. गायत्री परिवार के प्रमुख कार्यक्रम कौन-कौन से हैं?

  • अखिल विश्व गायत्री यज्ञ और साधना आंदोलन
  • युवा जागरण एवं व्यक्तित्व निर्माण शिविर
  • संस्कार निर्माण अभियान (बाल संस्कार, महिला सशक्तिकरण)
  • पर्यावरण संरक्षण (वृक्षगंगा आंदोलन)
  • नशामुक्ति और ग्राम विकास कार्यक्रम
  • आपदा प्रबंधन और सेवा कार्य

Q. गायत्री परिवार से कैसे जुड़ा जा सकता है ?

इच्छुक व्यक्ति शांतिकुंज, हरिद्वार से संपर्क कर सकते हैं या अपने नजदीकी प्रज्ञा केंद्र / गायत्री शक्ति पीठ से जुड़ सकते हैं।
ऑनलाइन जुड़ने के लिए वेबसाइट - www.awgp.org पर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।

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