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Bhopal: दोस्ती की मिसाल, परिवार से कोई डोनर नहीं मिला तो दोस्त ने दी जिंदगी

Bhopal: दोस्ती की मिसाल, परिवार से कोई डोनर नहीं मिला तो दोस्त ने दी जिंदगी Bhopal: Example of friendship, if no donor was found from the family, then the friend gave life nkp

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Bansal Digital Desk
Bhopal: दोस्ती की मिसाल, परिवार से कोई डोनर नहीं मिला तो दोस्त ने दी जिंदगी

भोपाल। कहा जाता है कि दोस्ती वो कड़ी है जो जिंदगी में खुशियों को बांधे रहती है। इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है मध्य प्रदेश के रहने वाले पुष्पेंद्र बच्छ ने। जिन्होंने भोपाल के रहने वाले अपने एक दोस्त सतीश नायक को किडनी डोनेट कर नया जीवन दिया है। दोनों के बीच खून का रिश्ता नहीं था, लेकिन ये रिश्ता उससे कम भी नहीं था।

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मुंबई जाकर पता चला किडनी खराब है

भोपाल के अशोका गार्डन के रहने वाले सतीश नायक को शुगर और बीपी की शिकायत थी। तबीयत लगातार बिगड़ने लगी तो नायक को किसी ने गुजरात के एक अस्पताल में इलाज कराने को कहा। लेकिन वहां इलाज कराकर भी नायक स्वस्थ्य नहीं हुए। इसके बाद वे इलाज के लिए मुंबई गए। मुंबई में डॉक्टरों ने जांच के बाद उनके दोनों किडनी को खराब बताया और डायलिसिस कराने की सलाह दी।

डायलिसिस से भी नहीं हुआ सुधार

15 दिसंबर 2020 से सप्ताह में दो दिन उनका डायलिसिस शुरू हुआ। लेकिन फिर भी हालत में सुधार नहीं हुआ। ऐसे में डॉक्टर ने उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी। सतीश की पत्नी ने उन्हें किडनी देने की इच्छा जताई, लेकिन वो भी शुगर और बीपी की मरीज थीं। इस कारण से डॉक्टरों ने उन्हें मना कर दिया। तभी एक दिन अचानक उनके पास जबलपुर के रहने वाले दोस्त पुष्पेंद्र बच्छ का फोन आया।

भाई से बढ़कर मानते हैं एक-दूसरे को

खराब तबीयत का मालूम पड़ा तो पुष्पेंद्र ने कहा कि सतीश भाई आप मेरे लिए भाई से बढ़कर हो, मैं आपको किडनी दूंगा। सतीश के लिए यह चमत्कार से कम नहीं था। किडनी डोनेट करने के लिए पुष्पेंद्र भोपाल के सिंद्धांता रेड क्रॉस हॉस्पिटल पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें यह कहते हुए मना कर दिया कि डोनर से खून का रिश्ता होना चाहिए तभी वो किडनी डोनेट कर सकते हैं।

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कानूनी अड़चनें आई

दोनों के बीच खून का रिश्ता नहीं था, इसलिए किडनी डोनेट करने में उनके सामने कई कानूनी अड़चनें आई, लेकिन सारे नियमों को पार कर उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली। कोर्ट में मिन्नतें की कि मेरे दोस्त की कुछ दिन की जिंदगी बची है। कोई खून के रिश्ते में डोनर नहीं मिल रहा है। अपने भाई जैसे दोस्त को मैं अपनी किडनी देना चाहता हूं। कृपया इजाजत दीजिए। कोर्ट ने मानवीय आधार पर ट्रांसप्लांट की अनुमति दे दी। साथ ही ट्रांसप्लांट सेंटर के संचालकों को एक महीने के भीतर इसकी सूचना कोर्ट को देने के निर्देश दिए। अब पुष्पेंद्र की किडनी सतीश के शरीर में काम करने लगी है और इस तरह दोनों के बीच खून का रिश्ता भी बन गया है।

दोनों एक-दूसरे को 20 साल से जानते हैं

सतीश और पुष्पेन्द्र का एक-दूसरे से 20 साल पुराना रिश्ता है। दोनों पहले भोपाल के जिंसी चौराहे के पास रहा करते थे। लेकिन 10 साल पहले पुष्पेंद्र जबलपुर चले गए, वहां जाने के बाद भी वह अपने दोस्त को नहीं भूले। दोनों के बीच के रिश्ते को आप ऐसे समझ सकते हैं कि जब पुष्पेंद्र ने सतीश को किडनी देने का फैसला किया तो उनके परिवार में से किसी ने विरोध भी नहीं किया।

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