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Bhopal Dog Lovers Protest
हाइलाइट्स
भोपाल में डॉग लवर्स का शांतिपूर्ण विरोध
सुप्रीम कोर्ट आदेश के खिलाफ सड़क पर उतरे पशु-प्रेमी
ABC नियमों के हवाले से कोर्ट फैसले पर आपत्ति
Bhopal Dog Lovers Protest: सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्कूल, कॉलेज, रेलवे स्टेशन और अस्पतालों से आवारा कुत्तों को हटाकर रिहैबिलिटेशन सेंटर भेजने के निर्देश के विरोध में रविवार,16 नवंबर को भोपाल में पशु प्रेमियों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। ऋषभदेव पार्क में हुए प्रदर्शन में बड़ी संख्या में डॉग लवर, स्थानीय एक्टिविस्ट और समाजसेवी शामिल हुए।
'कुत्तों को विस्थापित करना कानून के खिलाफ'
पीपल्स फॉर एनिमल (PFA) की स्टेट कोऑर्डिनेटर और भोपाल यूनिट हेड स्वाति गौरव ने कहा कि 7 नवंबर का सुप्रीम कोर्ट आदेश न केवल अव्यावहारिक है बल्कि वर्तमान ABC (Animal Birth Control) Rules का सीधा उल्लंघन भी करता है। उन्होंने कहा कि किसी भी सामुदायिक कुत्ते को उसके क्षेत्र से हटाना कानूनन गलत है, क्योंकि ABC नियम और पुराने कोर्ट जजमेंट्स इसकी अनुमति नहीं देते।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ भोपाल के ऋषभदेव पार्क में प्रदर्शन करते डॉग प्रेमी।[/caption]
इसलिए किया विरोध
स्वाति ने समझाया कि एक गली का कुत्ता दूसरी जगह सर्वाइव ही नहीं कर पाता। क्षेत्र बदलने पर उनके लिए पानी, खाना, और सुरक्षा सब बदल जाते हैं, जिससे उनके मरने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। इसी वैज्ञानिक और व्यवहारिक कारणों से भोपाल के प
अगली सुनवाई में पक्ष रखने की मांग
प्रदर्शन के दौरान स्वाति गौरव ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि 16 जनवरी 2026 की सुनवाई में पशु-कल्याण संगठनों को भी सुना जाए। उनका कहना था कि राज्य सरकार को कोर्ट को भेजे जाने वाले रिहैबिलिटेशन प्लान को जमीनी हकीकत के आधार पर तैयार करना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया- भोपाल में ही एक लाख से ज्यादा स्ट्रीट डॉग हैं। क्या सरकार के पास इतने जानवरों को रिहैबिलिटेट करने की क्षमता और बजट है?
अगर बिना योजना के इन्हें शेल्टर में रखा गया, तो वह जगह इनके लिए “डेथ बेड” बन सकती है।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ भोपाल के ऋषभदेव पार्क में प्रदर्शन के दौरान अपने डॉग को लेकर पहुंचे पशु प्रेमी।[/caption]
“समस्या डॉग नहीं, प्रशासनिक कमी है”
प्रदर्शन में शामिल कई एक्टिविस्ट्स ने कहा कि देश में मौतें सबसे ज्यादा रोड एक्सीडेंट से होती हैं, न कि डॉग बाइट से। स्वाति ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि दिल्ली जैसे बड़े शहर में भी रेबीज से होने वाली मौतों की संख्या साल भर में केवल 16-17 रहती है, जो जनसंख्या और डॉग पॉपुलेशन के अनुपात में बेहद कम है।
एक्टिविस्ट्स का मानना है कि कुत्तों को हटाना न संवैधानिक है और न वैज्ञानिक। इसके बजाय नगर निगमों को ABC (Birth Control), वैक्सीनेशन और जिम्मेदार प्रशासनिक व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए।
प्रदर्शन का शांतिपूर्ण समापन
दिनभर के बाद शाम को समाप्त हुए इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन में पशु-अधिकारों, संवैधानिक मूल्यों और सह-अस्तित्व की अवधारणा को बचाने की मांग प्रमुख रही। प्रदर्शन में शामिल डॉग लवर्स ने कहा कि इंसान और जानवर दोनों शहर का हिस्सा हैं, इसलिए समाधान भी ऐसा होना चाहिए जो दोनों की सुरक्षा और गरिमा का सम्मान करे।
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