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MP Property News: एमपी में प्लॉट को आधार से लिंक करने की हुई शुरुआत, फर्जीवाड़ा रोकने में होगी आसानी, यहां लगे शिविर

Good News for Land Buyers: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्लॉट व जमीन के खसरे को आधार कार्ड से लिंक कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

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Kalpana Madhu
MP Property News: एमपी में प्लॉट को आधार से लिंक करने की हुई शुरुआत, फर्जीवाड़ा रोकने में होगी आसानी, यहां लगे शिविर

हाइलाइट्स

  • आधार से लिंक करवानी होगी प्रॉपर्टी
  • आधार से लिंक होगी प्राॅपर्टी; जमीन
  • मध्य प्रदेश में इस जिले में प्रक्रिया शुरू
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Good News for Land Buyers: जिले में प्लाट, जमीन के खसरा को आधार से लिंक कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्लॉट व जमीन के खसरा को आधार कार्ड से लिंक कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

राजस्व विभाग (Revenue Department) की ओर से भोपाल के ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर खास जोर दिया जा रहा है। इसके चलते यहां शिविर भी लगाए जा रहे हैं।

बता दें, अब तक ग्रामीण क्षेत्र के करीब 10 प्रतिशत किसानों ने खसरे को आधार से लिंक करा लिया है। फिलहाल, शहरी क्षेत्रों में प्रॉपर्टी को आधार से लिंक करने का काम नहीं किया जा रहा है।

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क्या कहती है मीडिया रिपोर्ट्स

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिले के बैरसिया, हुजूर और कोलार इलाकों में 335,000 से ज्यादा खसरा नंबर लिंक करने की जरूरत है और 200,000 से ज्यादा रिकॉर्ड दर्ज होने बाकी हैं।

ये रिकॉर्ड अपडेट होने के बाद इन्हें भी आधार से लिंक कर दिया जाएगा। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के सख्त आदेश के बाद गांवों में कैंप लगाए जा रहे हैं, जहां पटवारी सीधे लिंकिंग प्रक्रिया में मदद कर रहे हैं।

यहां लगा है शिविर

कई गांवों में शिविर भी लगाए जा रहे हैं, जहां खसरा लिंक करने का काम किया जा रहा है। कोलार के सुहागपुर में पिछले एक हफ्ते से शिविर लगाया गया है।

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अधिकारियों का तर्क है कि शहरी क्षेत्र में खसरे को आधार से लिंक कराने में जमीन मालिक आनाकानी कर रहे हैं। जबकि गांवों में इतनी दिक्कत नहीं आ रही है।

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ऐसे काम करता है भू-आधार

इसमें पहले जीपीएस (GPS) तकनीक की मदद लेकर जमीन का जियोटैग किया जाता है। इसके बाद सर्वेक्षण करने वाले भूमि की सीमा का भौतिक सत्यापन (Physical verification) और माप करते हैं। यह करने के बाद जो रिकॉर्ड एकत्रित किया जाता है।

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उसको भूमि रिकॉर्ड मैनेजमेंट (Land Records Management) सिस्टम में दाखिल किया जाता है। इसके बाद सिस्टम अपने आप भू-खंड के लिए 14 अंकों का भू-आधार संख्या तैयार करता है। यह भू-आधार संख्या डिजिटल रिकॉर्ड से जुड़ा होता है।

अभी जमीन खरीदने की क्या व्यवस्था है

जमीन विवाद में खुद ही मालिकाना हक साबित करना पड़ता है। सिर्फ कागजात के आधार पर रजिस्ट्री होती है। खरीद-बिक्री के समय दोनों पक्षों में क्या शर्तें तय हुईं, सरकार अभी इसकी गारंटी नहीं लेती।

आगे क्या व्यवस्था होगी?

सरकार जमीन के स्वामित्व (ownership) की गारंटी लेगी। रजिस्ट्री भी स्वामित्व (Registry also owned) स्थापित कराने के बाद होगी। सरकार खरीद-बिक्री की शर्तेँ जांचेगी। संपत्ति पर किसी का कब्जा है तो उसे खाली कराना या मुआवजा देना सरकार की जिम्मेदारी होगी।

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