छतरपुर से शिवेंद्र शुक्ला की रिपोर्ट
Bhimkund Depth Mystery Sawan : भीमकुंड, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित एक रहस्यमयी जल कुंड है, जो अपनी रहस्यमय गहराई और पौराणिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान जब द्रौपदी को प्यास लगी, तब भीम ने अपनी गदा से ज़मीन पर प्रहार किया था, जिससे यह जलकुंड प्रकट हुआ।
इस कुंड की सबसे रहस्यमयी बात यह है कि आज तक इसकी गहराई का पता नहीं चल पाया है। वैज्ञानिकों और गोताखोरों ने कई प्रयास किए, लेकिन इसका तल आज भी अज्ञात बना हुआ है। कहा जाता है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा से पहले इस कुंड का जलस्तर स्वतः ही बढ़ने लगता है।
सावन माह में हो रही श्रद्धालुओं की भीड़
बताते हैं कि गोताखोर और वैज्ञानिक भी भीमकुंड के नीले पानी जो फिल्टर से भी ज्यादा साफ है जिसकी गहराई का कोई भी पता नहीं लग पाया कई लोग इसमें स्नान के दौरान जान भी गवा चुके लेकिन आज तक शव का पता नहीं चला, पानी में सिक्का फेंकने पर चमचमाता हुआ सिक्का लगभग 20 फीट से अधिक की दूरी तक जाते हुए दिखाई देता है। भारत के मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में हरे-भरे जंगलों और पथरीली पहाड़ियों के बीच स्थित है भीमकुंड। भीमकुंड एक प्राकृतिक जलाशय है जिसका एक गहरा इतिहास है और माना जाता है कि इसमें औषधीय गुण हैं। इस स्थान का नाम पौराणिक पांडव राजकुमार भीम के नाम पर रखा गया है, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपनी गदा से ज़मीन पर प्रहार करके इस कुंड का निर्माण किया था।इसका साफ और समुद्र जैसा नीला पानी सहज ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
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भीमकुंड के पीछे की किंवदंती
स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, भीम ने अपनी गदा से ज़मीन पर प्रहार करके इस कुंड का निर्माण किया था। ऐसा माना जाता है कि पांडवों के वनवास के दौरान जब द्रौपदी प्यास से मूर्छित हो गईं, तो भीम ने अपनी गदा, जिसे गदा कहते हैं, से ज़मीन पर प्रहार करके एक जलकुंड का निर्माण किया था। इस प्रहार का प्रभाव इतना प्रबल था कि एक छोटा सा कुंड बन गया, जो धीरे-धीरे पानी से भर गया और इसे भीमकुंड नाम दिया गया। यह स्थान पवित्र माना जाता है और कहा जाता है कि इस कुंड के पानी में औषधीय गुण हैं। तीर्थयात्री इस कुंड के ठंडे पानी में डुबकी लगाने आते हैं, ऐसा माना जाता है कि इससे कई बीमारियों से राहत मिलती है। इस किंवदंती के अलावा, इस स्थल से जुड़ी कई कहानियाँ भी हैं।
एक ऋषि की कहानी : एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक ऋषि उस क्षेत्र में तपस्या कर रहे थे, तभी शिकारियों के एक समूह ने उन्हें परेशान कर दिया। ऋषि ने शिकारियों को श्राप दिया और वे पत्थर में बदल गए। ऋषि ने फिर उस स्थान को आशीर्वाद दिया और वहाँ पानी का एक कुंड प्रकट हुआ। माना जाता है कि जिस स्थान पर शिकारी पत्थर में बदल गए थे, वह भीमकुंड के पास है।
लुप्त होते जल का रहस्य
एक अन्य कथा के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि ऋषि नारद ने भीमकुंड में भगवान विष्णु की स्तुति में दिव्य गान, “गंधर्व गान” गाया था। उनकी भक्ति के परिणामस्वरूप, भगवान विष्णु कुंड से प्रकट हुए और उनके रंग के कारण जल नीला हो गया। भीमकुंड के जल कुंड की गहराई अज्ञात और एक रहस्य बनी हुई है। कुंड के पवित्र जल में डुबकी लगाने के अलावा, भीमकुंड आगंतुकों के लिए कई अन्य गतिविधियाँ भी प्रदान करता है। आप आसपास के बाजना जंगल का भ्रमण कर सकते हैं, जहाँ हिरण, बंदर और मोर सहित विभिन्न प्रकार के वन्यजीव रहते हैं। आप भीमादेवी मंदिर तक ट्रेकिंग भी कर सकते हैं या भगवान हनुमान और भगवान शिव के पवित्र मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता मनमोहक है, और आप यहाँ के शांत वातावरण में शांति का अनुभव करें। छतरपुर जिले का सबसे पुराना श्री नारायण संस्कृत विद्यालय भी है यहां पर संचालित जहां पर वेद पुराणों के पाठ यहां पर पढ़ाई जाते हैं और कर्मकांडी ब्राह्मण की पहचान दिलाई जाती है
वकील परिवार के सदस्य की कुंड में डूब जाने से मौत की वजह से जिला प्रशासन अलर्ट हुआ यद्यपि गोताखोरों के द्वारा मृतक के शव को ढूंढने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिली और बार-बार इस तरह की घटनाएं सामने आने पर जिला प्रशासन ने कुंड के चारों तरफ बेरीकेटिंग कर दी है।अब यहां स्नान करना वर्जित है।
भीमकुंड कैसे पहुंचें?
भीमकुंड छतरपुर शहर से लगभग 70 किमी दूर स्थित है और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। आप छतरपुर से भीमकुंड पहुंचने के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं। निकटतम हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन दोनों खजुराहो में हैं, जो लगभग 120 किमी दूर है। वही छतरपुर से 75 किलोमीटर की सड़क यात्रा करके आप यहां पहुंच सकते हैं।
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FAQ
सवाल – भीमकुंड कहां स्थित है
जवाब – भीमकुंड मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित एक रहस्यमयी प्राकृतिक जलकुंड है। यह छतरपुर से लगभग 70-75 किलोमीटर दूर है।
सवाल – भीमकुंड का पौराणिक महत्व क्या है?
जवाब – भीमकुंड को महाभारत काल से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान जब द्रौपदी प्यास से व्याकुल हुईं, तब भीम ने अपनी गदा से ज़मीन पर प्रहार कर यह कुंड बनाया था। यह स्थान धार्मिक आस्था का केंद्र है और कहा जाता है कि इसके जल में औषधीय गुण भी हैं।
सवाल – भीमकुंड की गहराई कितनी है?
जवाब – भीमकुंड की गहराई आज तक रहस्य बनी हुई है। वैज्ञानिक और गोताखोर कई प्रयासों के बाद भी इसकी गहराई का ठीक-ठीक अनुमान नहीं लगा सके हैं। यह माना जाता है कि इसका संबंध समुद्र से है, क्योंकि समुद्री आपदाओं से पहले यहां का जलस्तर अपने आप बढ़ जाता है।
सवाल – क्या भीमकुंड में स्नान करना सुरक्षित है?
जवाब – हाल के वर्षों में कई हादसे होने के बाद, जिसमें लोगों की जान गई और शव नहीं मिल सके, जिला प्रशासन ने कुंड के चारों ओर बैरिकेडिंग कर दी है। अब यहां स्नान वर्जित है। सुरक्षा कारणों से पर्यटकों को केवल दर्शन की अनुमति है।
सवाल – सावन माह में भीमकुंड में क्या आयोजन होते हैं?
जवाब – सावन माह में भीमकुंड धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बन जाता है। यहां भगवान शिव की प्राचीन मूर्ति स्थापित है, और सावन के दौरान पार्थिव शिवलिंग बनाए जाते हैं। श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन करने आते हैं और विशेष पूजा-अर्चना एवं धार्मिक आयोजनों में भाग लेते हैं।