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Bharatmala Project Ghotala
हाइलाइट्स
48 करोड़ का मुआवजा घोटाला खुलासा
10 आरोपियों के खिलाफ 8,000 पन्नों का चालान
CBI या ED जांच की संभावना बढ़ी
Bharatmala Project Ghotala : छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार की महात्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना अब एक बड़े घोटाले की वजह से चर्चा में है। रायपुर से विशाखापट्टनम तक बनने वाले इकोनॉमिक कॉरिडोर में 48 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने आखिरकार जांच पूरी कर ली है।
सोमवार को EOW ने विशेष न्यायालय में करीब 8000 पन्नों का विस्तृत चालान पेश कर दिया है, जिसमें 10 मुख्य आरोपियों के नाम शामिल हैं। इन लोगों ने कथित तौर पर जमीन को टुकड़ों में बांटकर NHAI को 78 करोड़ का भुगतान दिखाया।
EOW की जांच में बड़ा खुलासा
करीब एक साल तक चली गहन जांच में EOW ने पाया कि भारतमाला परियोजना की प्रोजेक्ट रिपोर्ट पहले ही लीक कर दी गई थी। इसका इस्तेमाल कुछ चुनिंदा लोगों ने जमीन खरीदने और टुकड़े करने के लिए किया, ताकि उन्हें भारी मुआवजा मिल सके। अधिकारियों की मिलीभगत से कई अपात्र लोगों को भी मुआवजा बांटा गया, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ।
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Bharatmala Project Ghotala[/caption]
जिनके खिलाफ पेश हुआ चालान
जिन 10 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान दाखिल किया गया है, उनमें हरमीत सिंह खनूजा, उमा तिवारी, केदार तिवारी, विजय जैन, कुंदन बघेल, भोजराज साहू, खेमराज कोसले, पुन्नूराम देशलहरे, गोपाल वर्मा और नरेंद्र नायक शामिल हैं। इनके खिलाफ EOW ने मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी और सरकारी संपत्ति में हेराफेरी जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इनमें से कुछ को पहले गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अब उन्हें जमानत मिल चुकी है।
NHAI और राजस्व विभाग के अधिकारी भी घेरे में
इस मामले में केवल निजी लोग ही नहीं, बल्कि एनएचएआई (NHAI) और राजस्व विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी सामने आई है। जांच में एनएचएआई के कम से कम तीन अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई है, लेकिन विभाग ने उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति नहीं दी। यही कारण है कि अब राज्य सरकार ने पूरी जांच रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है। उम्मीद की जा रही है कि केंद्र जल्द ही यह मामला सीबीआई या ईडी को सौंप सकता है।
क्या है भारतमाला परियोजना ?
भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक लगभग 950 किलोमीटर लंबी फोरलेन और सिक्सलेन सड़क बनाई जा रही है। इस सड़क के निर्माण के लिए बड़ी संख्या में किसानों की ज़मीन अधिग्रहित की गई थी। भूमि अधिग्रहण के एवज में किसानों को मुआवजा मिलना था, लेकिन कुछ प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर जमीन के टुकड़े कर मुआवजे की रकम कई गुना बढ़वा ली। वहीं, कई वास्तविक किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिल सका है।
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विधानसभा में उठा था मुद्दा
इस घोटाले का मामला तब सुर्खियों में आया, जब विधानसभा के बजट सत्र 2025 के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इसे सदन में उठाया। इसके बाद राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच EOW को सौंपी थी। अब जांच पूरी हो चुकी है और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
भूमि अधिग्रहण कानून के नियम
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की 5 लाख रुपये मूल्य की जमीन ली जाती है, तो उसे इतनी ही रकम सोलेशियम (पुनर्वास सहायता) के रूप में भी दी जाती है। यानी उसे कुल 10 लाख रुपये मिलने चाहिए। लेकिन इस प्रोजेक्ट में फर्जीवाड़ा कर कई गुना अधिक राशि निकाल ली गई। कई स्थानों पर तो एक ही जमीन को कई टुकड़ों में दिखाकर मुआवजा लिया गया।
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