तेलंगाना। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की चर्चा पर भाजपा की तेलंगाना इकाई में जो नेतृत्व संकट छाया हुआ है, उसने बीजेपी (Bharatiya Janata Party) को दो पक्षों में विभाजित कर दिया है।
एक पक्ष बंदी संजय को बदले जाने के समर्थन में और दूसरा पक्ष चाहता है कि पहले की तरह वह प्रदेश अध्यक्ष बने रहें।
चुनाव में सिर्फ चार महीने शेष
तेलंगाना विधानसभा चुनाव में लगभग चार महीने शेष हैं, नेताओं का एक समूह नेतृत्व में किसी भी बदलाव का विरोध करता है क्योंकि उसे लगता है कि इससे चुनावों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
इसके विपरीत, दूसरा समूह आगामी चुनावों में संभावित विफलता की चिंता का हवाला देते हुए नेतृत्व परिवर्तन के लिए पार्टी पर दबाव बना रहा है।
विरोध करने वालों का कहना है कि पार्टी को ऊर्जावान नेता को प्रोत्साहित करना चाहिए।
कैबिनेट पद के लिए नहीं हैं इच्छुक
एपी जितेंदर रेड्डी और पूर्व मंत्री विजयरमण राव जैसे दिग्गजों सहित पार्टी (Bharatiya Janata Party) के भीतर वरिष्ठ हस्तियों ने संजय को पद पर बने रहने के लिए खुले तौर पर अपनी मांग उठाई है।
संजय के करीबी सहयोगियों का कहना है कि वह कैबिनेट पद के लिए बहुत अधिक इच्छुक नहीं हैं और वह किसी भी पद पर पार्टी की सेवा करने के इच्छुक हैं
दिल्ली में सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला किया है।
उम्मीद है कि इससे मामला सुलझ जाएगा और विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी का कायाकल्प हो जाएगा।
जोखिम भरा है राजनीतिक करियर
हालांकि, किशन के करीबी लोगों का कहना है कि चुनाव से सिर्फ चार महीने पहले वह राज्य पार्टी का नेतृत्व करने के लिए के लिए इच्छुक नहीं हैं और ऐसे समय में वो इस पद को लेकर अपने राजनीतिक करियर को जोखिम भरा मान रहे हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि हालिया वर्षों में प्रदेश में पार्टी का बहुत बढ़िया प्रदर्शन नहीं रहा है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठना कोई बड़ी बात नहीं रह जाती है।
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