Non Veg Prasad In Hindu Temple: भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है- यहां भाषा, वेश-भूषा, संस्कृति और आस्था के साथ-साथ पूजा-पद्धतियों में भी अद्भुत विविधता देखने को मिलती है। जहां ज्यादातर मंदिरों में प्रसाद के तौर पर फल, मिठाई या शुद्ध शाकाहारी भोजन ही चढ़ाया जाता है।
वहीं, देश में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां प्रसाद में Non Veg चढ़ाया जाता है। ये परंपराएं सदियों पुरानी हैं और क्षेत्रीय मान्यताओं के अनुसार इनका विशेष महत्व है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में जहां Non Veg प्रसाद चढ़ाया और बांटा जाता है।
कामाख्या देवी मंदिर, असम
गुवाहाटी में स्थित यह मंदिर भारत के सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठों में से एक है। यहां मासिक धर्म (अंबुबाची मेला) के दौरान देवी को विशेष प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसमें मछली, बकरे का मांस, चावल और शराब शामिल है। इस अनुष्ठान को शक्ति और प्रजनन क्षमता का प्रतीक माना जाता है।
विमला देवी मंदिर, पुरी (ओडिशा)
पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर परिसर में स्थित यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। खास तौर पर दुर्गा पूजा के दौरान देवी को बकरे का मांस चढ़ाया जाता है और फिर इसे “बिमला परुसा” नामक Non Veg प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटा जाता है।
मुनियांडी स्वामी मंदिर, तमिलनाडु
मदुरै के पास वडक्कमपट्टी गांव में स्थित इस मंदिर में भगवान मुनियांडी विराजमान हैं। माना जाता है कि उन्हें बिरयानी बहुत पसंद है। हर साल वार्षिक उत्सव पर यहां हजारों किलो मटन बिरयानी बनाई जाती है, जो श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में बांटी जाती है।
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तारकुल्हा देवी मंदिर, उत्तर प्रदेश
गोरखपुर के इस प्रसिद्ध मंदिर में चैत्र नवरात्रि के दौरान भक्त बकरे की बलि देते हैं। बाद में, मटन पकाकर देवी को चढ़ाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है।
कालीघाट मंदिर, कोलकाता
पश्चिम बंगाल के 51 शक्तिपीठों में से एक यह मंदिर अपनी बलि प्रथा के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां पशुओं की बलि दी जाती है और मांस पकाकर देवी को चढ़ाया जाता है। हालांकि, भक्तों को केवल प्रतीकात्मक प्रसाद ही दिया जाता है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता
यहां भी विशेष अवसरों पर देवी को मछली का भोग लगाया जाता है। बंगाली संस्कृति में मछली को शुभ माना जाता है और यह परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है।
पारस्सिनिक कड़ावु मंदिर, केरल
भगवान मुथप्पन को समर्पित यह मंदिर केरल के कन्नूर जिले में स्थित है। यहां भगवान को भोग के रूप में मछली और ताड़ी (देशी शराब) चढ़ाई जाती है। यह मंदिर हिंदू धर्म और लोक मान्यताओं का अनूठा मिश्रण है।
तारापीठ मंदिर, पश्चिम बंगाल
यह शक्तिपीठ तांत्रिक साधनाओं के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहां विशेष अवसरों पर देवी तारा को मटन, मछली और मदिरा का भोग लगाया जाता है। यह परंपरा तांत्रिक साधनाओं से जुड़ी है।
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