अदालती कार्यवाही की पृष्ठभूमि पर आधारित हिंदी फिल्म ‘सेक्शन 84’ में अमिताभ बच्चन के साथ अभिनय करने वाली अभिनेत्री स्वास्तिका मुखर्जी का मानना है, कि एक महिला को अपनी सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना किसी भी कार्यस्थल पर खुद को साबित करने के लिए 200 प्रतिशत अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
स्वास्तिका का कहना है कि, “लैंगिक भेदभाव के कारण महिलाओं को 200 प्रतिशत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।”
अपने दो दशक लंबे करियर में पहली बार बांग्ला वेब सीरीज ‘निखोज’ में एक पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा रहीं स्वास्तिका ने कहा कि लैंगिक रूढ़िवादिता इस धारणा के साथ मौजूद रही कि शादी और बच्चों के बाद महिलाएं पहले की तरह काम करने में सक्षम नहीं हो सकती हैं।
लैंगिक भेदभाव पर अभिनेत्री का बयान
अभिनेत्री ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘एक अजीब लैंगिक पूर्वाग्रह मौजूद है। यह माना जाता है कि एक महिला पहले की तरह काम को करने में असमर्थ होगी, क्योंकि उन्हें अपने ‘घर संसार’ और ‘छेले पुले’ (बच्चों के लिए बंगाली में उपयुक्त शब्द) की देखभाल करनी होती है।
निखोज ने इस मुद्दे को रेखांकित किया है।’’ अभिनेत्री वर्तमान में मुंबई और कोलकाता में एक के बाद एक फिल्मों पर काम कर रही हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि वह हर महीने एक फिल्म रिलीज होने में विश्वास नहीं करती हैं। उन्होंने ‘कला’ में प्रभावशाली प्रदर्शन किया था, जो दिसंबर 2022 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी और हाल में 70 के दशक में हावड़ा में एक महिला गैंगस्टर के वास्तविक जीवन से प्रेरित एक बंगाली फिल्म ‘शिबपुर’ में अभिनय किया।
महिला-केंद्रित ‘शिबपुर’ और ‘निखोज’ में केंद्रीय पात्र अपने परिवार और अपने समुदाय की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ते हुए दिखाई देता है।
‘शिबपुर’ में स्वास्तिका का रोल
‘शिबपुर’ में स्वास्तिका ने जिस महिला डॉन मंदिरा बिस्वास का किरदार निभाया है, वह अपने ससुराल वालों और बच्चों की सुरक्षा करती है। ‘निखोज’ में वह कोलकाता पुलिस उपायुक्त की भूमिका में हैं, जो अपनी लापता बेटी को ढूंढने की कोशिश कर रही है, यह मामला आधिकारिक तौर पर उसे सौंपा गया है।
अपने द्वारा निभाए गए दो बिल्कुल विपरीत किरदारों के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक उनके संबंधित कार्यस्थलों में उनकी लड़ाई का सवाल है, इन दोनों किरदारों में काफी समानताएं हैं।
‘निखोज’ को लेकर स्वास्तिका का बयान
कार्यस्थलों पर आमतौर पर पुरुषों का वर्चस्व होता है। स्वास्तिका ने कहा कि ‘निखोज’ में उन्हें एक मां और एक मेहनती पुलिसकर्मी के व्यक्तित्व के बीच संतुलन बनाने के लिए काफी प्रयास करना पड़ा।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह देखना था कि एक पहचान दूसरी पर हावी न हो जाए। मैं एक कामकाजी एकल मां का किरदार निभा रही थी और मुझे याद है कि मैं हर शूटिंग के बाद निर्देशक अयान चक्रवर्ती से पूछती थी कि क्या मैं सही संतुलन बना पा रही हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मां के किरदार को जांच अधिकारी के किरदार से ऊपर रखना आसान था, लेकिन पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाते समय मैं व्यक्तित्व में बदलाव को लेकर सावधान थी।’’
‘निखोज’ में ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ के अभिनेता तोता रॉय चौधरी भी हैं। यह फिल्म 11 अगस्त से एक प्रमुख बंगाली ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखाई जाएगी। अपनी भविष्य की भूमिकाओं के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं बड़ी संख्या में फिल्में करने में विश्वास नहीं करती।
मेरे लिए संख्या से अधिक गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। अगर मेरे पास हर महीने रिलीज के लिए फिल्में कतार में हों, तो क्या आप उन सभी को याद रखेंगे? नहीं, मैं कम काम करना पसंद करती हूं लेकिन उन फिल्मों में जो लोगों के दिमाग में कुछ छाप छोड़ें, जैसे ‘शिबपुर’।’’
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