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Nabhi Kund Mystery: नर्मदा के इस कुंड में स्नान करने से होता है बीमारियों का अंत, जानें इसका रहस्य

Nabhi Kund Mystery: नर्मदा के इस कुंड में स्नान करने से होता है बीमारियों का अंत, भगवान गणेश जी ने भी यहां की थी तपस्याी, जानें इसका रहस्य।

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Preetam Manjhi
Nabhi Kund Mystery: नर्मदा के इस कुंड में स्नान करने से होता है बीमारियों का अंत, जानें इसका रहस्य

Nabhi Kund Mystery: भारत की सभी दैविक नदियों में से एक मां नर्मदा है, जो भारत की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। मां नर्मदा अपनी आलौकिक कहानियों से दुनिया भर में जानी जाती है। आज हम आपको बताएंगे नर्मदा जी के एक ऐसे चमत्कारिक  कुंड के बारे में जिसमें स्नान करने से शरीर की कई बीमारियों का नाश हो जाता है।

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मध्यप्रदेश के हरदा जिले के हंडिया के सुप्रसिद्ध रिद्धनाथ घाट के पास जीवन दायिनी नर्मदा नदी का नाभि कुंड है। जो नर्मदा नदी की दूरी 1321 किलोमीटर के बीचों बीच स्थित है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां नर्मदा के नाभि कुंड में स्नान करने से कई तरह की बीमारियों का नाश होता है। इस कुंड में नर्मदा जयंती के अलावा भी पूरे साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु का तांता लगा रहता है।

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   कुंड का रहस्य

महाभारत काल में इसका नाम नाभिपुर हुआ करता था। उस समय यह एक व्यापार का मुख्य बिंदु था। शासन के दस्तावेजों में इसका नाम मामा कदम है।

इस नाभि कुंड पर प्राकृतिक स्वयंभू शिवलिंग है। मान्यताओं के मुताबिक कहा जाता है, कि यहां भगवान गणेश जी ने भी तपस्या की थी। आप यहां देख सकते हैं, गणेश जी की मूर्ति आज भी यहां स्थापित है।

इस कुंड को सिद्ध क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। बताया जाता है, कि यहां पर सिद्धनाथ जी की स्थापना जो कि संत ऋषि मुनियों के द्वारा की गई थी।

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मां नर्मदा की उत्पत्ति माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन हुआ है, मां नर्मदा मैकल पर्वत की कन्या के रूप में जानी जाती हैं, यह शिव पुत्री भी हैं।

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   नर्मदा मैया की जन्म की कहानी

मैकल पर्वत पर अंधकासुर नाम के राक्षस का आतंक चलता था। राक्षस के आतंक से परेशान होकर देवताओं ने शिव जी की तपस्या की और उन्हें प्रसन्न किया।

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शिवजी ने जाकर अंधकासुर का वध किया अंधकासुर से युद्ध करते समय भगवान शिव के पसीने की बूंद धरती पर मैकल पर्वत पर गिरी।

जिससे मां नर्मदा का जन्म हुआ। मां नर्मदा नदी रूप में प्रकट हुई तब देवता ने कहा कि आप धरती पर प्रकट हो।

तब मां नर्मदा ने कहा कि मुझे भी यदि मां गंगा जैसी शुद्धता प्राप्त हो तो मैं धरती पर रहूंगी। संसार का कल्याण में मेरा सहयोग हमेशा रहेगा।

   ऐसे मिला वरदान

मां नर्मदा ने तपस्या की और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें वरदान दिया कि मां गंगा के तो इस नाम से पापियों के पाप धुलेंगे, लेकिन आपके दर्शन मात्र से सभी के पाप कट जाएंगे।

मां नर्मदा विश्व की एकमात्र नदी है जिनकी परिक्रमा होती है। नर्मदा नदी विश्व में दिव्य और रहस्यमयी नदी है। मां नर्मदा की महिमा का वर्णन चारों वेदों की व्याख्या में श्री विष्णु के अवतार वेदव्यास जी ने स्कन्द पुराण के रेवाखंड़ में किया है। मां नर्मदा के दर्शन मात्र से लोगों के पाप मिट जाते हैं।

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