जगदलपुर से रजत वाजपेयी की रिपोर्ट। रथ बनाने 2 गांव से जगदलपुर पहुंचे ग्रामीणों ने विशालकाय काष्ठ रथ का निर्माण शुरू कर दिया है। इसके साथ ही बस्तर दशहरा पर्व का तीसरा विधान भी बड़े ही धूम-धाम और रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया।
बेड़ाउमरगांव और झारउमरगांव के सिद्धहस्त कारीगर लंबे-चौड़े रथ के निर्माण के लिए पारंपरिक औजारों का ही इस्तेमाल करते हैं।
सदियों से कर रहे रथ का निर्माण
अनपढ़ और आधुनिक तकनीक से अनजान ये ग्रामीण सदियों से रथ का निर्माण कर रहे हैं। खास बात यह है कि इनकी कला किसी मानद विश्वविद्यालय के प्रमाण पत्र की मोहताज नहीं है।
पारंपरिक औजारों से सिर्फ एक पखवाड़े के भीतर रथ बनाकर खड़ा कर देते हैं, जो सड़कों पर सरपट दौड़ता है। बता दें कि बारसी उतारनी रस्म के साथ ही रथ का निर्माण शुरु कर दिया जाता है। इस साल 4 पहियों का रथ तैयार किया जा रहा है।
यहां बन रहा रथ
शहर के सिरहासार चौराहे पर लकड़ी लाकर रखी गई है, जिससे रथ बनेगा। रथ तैयार करने के लिए 30 से अधिक गांवों के जंगलों से साल और तिवसा की लकड़ी काटकर लाई जाती है। औजारों की पूजा करने के साथ ही बकरे, मोंगरी मछली और कबूतरों की बलि दी गई, जिसके बाद रथ का निर्माण प्रारंभ हुआ।
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